क्षतिपूर्ति हो सकती है

क्षतिपूर्ति हो सकती है!

एक तरह से यह संकट-स्थिति अच्छी है क्योंकि वह लोगों को चुनाव करने के लिए बाध्य करेगी, तुम मरना चाहते या तुम एक नया जीवन जीना चाहते हो?

क्षतिपूर्ति हो सकती है। तो फिर अतीत के प्रति मर जाओ, तुम्हें अतीत की विरासत की भांति जो भी मिला है उसे त्याग दो और नई शुरुआत करो। मानो तुम इस धरती पर पहली बार अवतरित हुए हो। प्रकृति के साथ दुश्मन की तरह नहीं, दोस्त की तरह काम करना शुरू करो और पर्यावरण फिर से एक सावयव एकता की भांति काम करने लगेगा।

इस धरती को और हरा-भरा बनाना कठिन नहीं है। यदि बहुत सारे वृक्षों को काटा गया है, तो और बहुत से वृक्ष लगाए भी जा सकते हैं। वैज्ञानिक सहयोग से वे बड़ी तेज़ी से बढ़ सकते हैं और उन पर ज्यादा घने पत्ते आ सकते हैं। नदियों में भिन्न-भिन्न प्रकार के अवरोध खड़े किए जा सकते हैं, जिससे कि बांग्लादेश जैसे गरीब देशों का बाढ़ से नुकसान न हो। वही पानी कई गुना अधिक बिजली पैदा कर सकता है और हज़ारों गांवों की अंधियारी रातें रोशन कर सकता है, सर्द शीतकाल में उष्मा दे सकता है।

बात सरल है। सभी समस्याएं सरल हैं।

लेकिन, इन समस्याओं के मौलिक आधार गड़बड़ है।

राष्ट्र और संगठित धर्म इस बात की पूरी कोशिश करेंगे कि वे खो न जाएं। चाहे सारा संसार क्यों न खो जाए, उसे स्वीकार करने के लिए वे तैयार हैं, लेकिन वे अपने हथियार, अपनी फ़ौजें किसी विश्व-संगठन को सौंपने को तैयार नहीं होंगे। लेकिन, फौजों की कोई ज़रुरत नहीं है। लाखों लोगों को फौजों में उलझाए रखना सिर्फ अपव्यय है। वे कुछ भी नहीं कर रहे हैं। उनका उपयोग तभी होता है, जब राष्ट्र के भीतर या अन्य राष्ट्रों के साथ युद्ध होता है। शांति काल में उनका कोई उपयोग नहीं है।

विश्व-शासन धीरे-धीरे फौजों को विसर्जित करने लगेगा और उन्हें शांतिप्रेमी नागरिक बना देगा

उन्हें रचनात्मक कलाओं में लगाया जा सकता है, खेती करने के लिए, बागवानी करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। ये लोग प्रशिक्षित हैं। वे इस तरह काम कर सकते हैं जैसे और कोई नहीं कर सकता। सेना इतनी जल्दी पुल बना सकती है, वह इसकी प्रशिक्षण है। वह लोगों के लिए ज्यादा मकान बना सकती है।

मैं सारी दुनिया को यह बताना चाहता हूं कि अगर तुम एक होने के लिए तैयार नहीं हो तो इस ग्रह से विलीन होने को तैयार हो जाओ।

मनुष्य का स्वर्णिम भविष्य: एक महान चुनौती से उद्धृत

ओशो को आंतरिक परिवर्तन यानि इनर ट्रांसफॉर्मेशन के विज्ञान में उनके योगदान के लिए काफी माना जाता है। इनके अनुसार ध्यान के जरिए मौजूदा जीवन को स्वीकार किया जा सकता है।

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