प्यार के चेहरे

प्यार के अलग-अलग चेहरे

यह पहला मौका था जब मैं संतोष से मिली, उससे मिलते ही न जाने क्यों मेरा दिल काफी तेज़ी धड़क रहा था। उसे देख ऐसा लगा मानो मैं उसकी तरफ किसी चुंबक के समान खिंची चली जा रही हूं। मुझे ऐसा लगा जैसे पहली नज़र में उससे प्यार हो गया हो।

घर के सभी रिश्तेदार मेरी शादी की तैयारी में जुटे थे। शादी को कुछ दिन ही रह गए थे, मैं उसके साथ पारिवारिक बंधन में बंधने जा रही थी, जो मुझे काफी प्यार करता था। मेरी जगह कोई और होता, तो वो फूले ना समाता। लेकिन अपने ही घर में अपने ही जानने वालों के सामने किसी अंजान की तरह खुश होने का दिखावा कर रही थी। ऐसे में मैंने एक बड़ा कदम उठाने का फैसला किया।

मैं बहुत ही असमंजस की स्थिति में थी। धीरज और मैं एक दूसरे के लिए बिल्कुल सही मेल थे। मुझे लगता था वो मेरा पूरा ख्याल रखेगा, लेकिन मेरे मन में ना जाने क्यों ये ख्याल आ रहे थे कि… क्या मैं उससे प्यार करती थी? ये सब सोच-सोचकर मैं परेशान हो रही थी। मैं बस अकेलेपन में कुछ समय बिताना चाहती थी, इसलिए अपने घर में गई और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया। एकाएक मेरे ज़हन में संतोष की तस्वीर उभरी। मुझे अपने आप पर यह सोचकर अजीब लगा कि क्या वो मुझे अभी भी याद है। इस बात को 10 साल बीत चुके थे जब हम आखिरी बार मिले थे। मेरा फर्स्ट लव वही था। लेकिन ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था, क्योंकि जब भी इससे पहले मैंने उसके बारे में सोचा, तो वो उतना याद नहीं आता था, जितना आज आ रहा था। यह मेरे लिए एक प्यारा अनुभव था कि मैंने खुद को उसे कभी भी भूलने की इजाज़त ही नहीं दी थी।

संतोष से मेरी पहली बार बात सोशल मीडिया (Social Media) की एक साइट पर शुरू हुई थी, उस वक्त मैं 18 साल की थी। उसकी बातें, उसके मैसेजेस इतने अच्छे होते थे कि मुझे भी उससे बात करना अच्छा लगने लगा। धीरे-धीरे हमारी बातचीत को महीनों बीत गए। एक दिन यूं ही बात करते-करते संतोष ने मेरा नंबर मांगा। अब तक मुझे भी उसपर विश्वास हो गया था। सो मैंने भी उसे अपना नंबर दे दिया। लेकिन दिल में घबराहट भी हो रही थी। नंबर देने के कुछ ही देर बाद उसका फोन आया। मैंने फोन उठाया, तो उसकी आवाज़ सुन मैं खो सी गई।

कई महीनों की फोन पर बात और ऑनलाइन चैटिंग के बाद आखिरकार हमने एक दिन मिलने का फैसला किया। जब पहली बार मैंने संतोष को देखा, तो उसे देखकर मेरा दिल तेज़ी से घड़कने लगा था। जब हमारी नज़रें मिली, तो मुझे उसके लिए एक कशिश का एहसास हुआ। उसी समय मैं समझ गई थी कि मुझे उससे प्यार हो गया है। फिर क्या था मैं उसके प्यार में पड़ गई, मैंने खुद ही ये मान लिया कि मेरी शादी अब इसी से होगी। लेकिन जीवन में वैसा नहीं होता जैसा हम सोचते हैं या चाहते हैं।

जैसे-जैसे समय गुज़रा संतोष ने मुझे यह बता दिया कि मेरे को लेकर उसकी फिलिंग्स क्या है। यह बात जानकर सच मानो मुझे बहुत झटका लगा, उसके इनकार के बाद कई महीने मैंने इस दुख और दिल के दर्द के साथ लड़ते हुए बिताए। तब मैंने यह कसम खाई कि अब मैं कभी किसी के साथ प्यार नहीं करुंगी।

कई साल बाद जब धीरज मेरे जीवन में आया, तो स्थिति पहले जैसे ना थी। इस बार धीरज था, जो सिर से लेकर पैर तक मेरे प्यार में डूबा हुआ था और मैं उसके लिए कुछ महसूस नहीं करती थी। यहां तक कि जब एक सुबह उसने मुझसे शादी का प्रस्ताव रखा तब मैंने बहुत समय लगाकर इस शादी के हर पहलू पर विचार किया और तब जाकर मैंने उसे शादी के लिए हां कही।

अचानक एक आवाज़ सुनकर मैं अपने विचारों की दुनिया से बाहर आ गई। संतोष ठीक मेरे पीछे खड़ा था, वो बोला “पूजा, मैं सिर्फ आई लव यू कहने के लिए आया था।” आई लव यू … उस पल… संतोष के ये शब्द सुनते ही मैं थम सी गई। लेकिन अगले ही पल मुझे धीरज के बारे में ख्याल आया। वो जो मुझसे काफी प्यार करता था। उसकी वजह से ही मैंने प्यार की ऊंचाइयों और गहराइयों को महसूस किया था। उसके साथ ही मैंने प्यार के उतार-चढ़ाव को देखे थे, दिल की बढ़ती हुई धड़कनों को महसूस किया था। हालांकि हम एक-दूसरे के लिए नहीं बने थे फिर भी मैं उसकी यादों को संजोकर रखना चाहती थी और हमेशा उसके अच्छे की कामना करती थी। लेकिन संतोष के बारे में क्या? क्या मैं उससे प्यार करती हूं? मैंने अपने आप से दोबारा पूछा। मैंने उसी समय महसूस किया कि संतोष से मेरा संबंध आपसी विश्वास से भरा है। उसके साथ मैं प्यार के एक अलग रूप का अनुभव कर रही थी, एक ऐसा प्यार जो एक मज़बूत दोस्ती की बुनियाद पर खड़ा था।

मैंने संतोष का हाथ अपने हाथ में लिया और कहा “मैं भी तुमसे प्यार करती हूं। अब मेरा दिल हल्का महसूस कर रहा था।

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