ना कहना सीखें

ना कहना सीखें

सुनो, क्या तुम मेरे लिए इन कागजातों की जांच कर सकती हो? दरअसल, मुझे आज एक दोस्त से मिलने जाना है, सुमन ने अपना बैग उठाते हुए नमिता से पूछा। हां, ज़रूर.., नमिता ने हिचकिचाते हुए अपना सिर हिलाया। ... इस कहानी को पूरा पढ़ने के लिए लेख अंत तक ज़रूर पढ़ें।

सुनो, क्या तुम मेरे लिए इन कागजातों की जांच कर सकती हो? दरअसल, मुझे आज एक दोस्त से मिलने जाना है, सुमन ने अपना बैग उठाते हुए नमिता से पूछा।

हां, जरूर.., नमिता ने हिचकिचाते (Hesitating) हुए अपना सिर हिलाया।

थैंक यू…नमिता। तुम बहुत ही अच्छी हो, सुमन यह कहते हुए वहां से चला गया।

अपना काम खत्म करने के बाद नमिता ने सुमन के सारे कागजात को अच्छी तरह देखा। हे! भगवान.. ये तो 30 पेज का है, वह मन ही मन बोली।

इस सारे कागजातों की जांच करने में कम-से-कम दो घंटे से ज्यादा का समय लगेगा। तब तक अंधेरा हो चुका था। नमिता ऑफिस में काम करके काफी थक गई थी। घर पहुंचते ही बिना कुछ खाए-पीए वह एक बार फिर सीधे अपने बेडरूम में सोने चली गई।

नमिता अपने ऑफिस में अभी नई-नई थी। नई जगह पर अपनी अच्छी छवि बनाने के लिए वह कभी भी किसी व्यक्ति को कोई काम के लिए ना नहीं बोलती थी। जब भी किसी सहकर्मी का कोई असाइनमेंट फंसता या शीट अपडेट करने में परेशानी होती, तो मदद मांगने पर उनकी सहायता के लिए वह तुरंत तैयार हो जाती थी। नमिता हर वो काम करती, जो उसके साथी उसे करने को बोल देते थे, ताकि वह ऑफिस में एक अलगाव महसूस न करे।

एक दिन नमिता की बॉस राहिला ने उसे डेस्क पर अकेले बैठे देखा। ऑफिस का समय खत्म हो गया था और सभी लोग अपना-अपना काम खत्म करके घर जा चुके थे।

राहिला ने नमिता से पूछा, इस वक्त तुम क्या काम कर रही हो? जब नमिता ने बताया कि वह किसी दूसरे साथी का काम कर रही है, तो वह परेशान हो गई।

“इस काम को तुम जैसे है, वैसे ही छोड़ो और अपना लैपटॉप बंद करके मेरे साथ चलो”, राहिला ने कहा।

वह नमिता को अपने साथ एक रेस्टोरेंट ले गई। ज्यों ही उन दोनों ने अपना खाना खत्म किया, तो राहिला ने नमिता की तरफ देखा और कहा,”ये काम तुम क्यों कर रही थी?” मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकती हूं कि ऐसा व्यवहार तुम्हारे साथ पहले भी हो चुका होगा।”

जी मैम…नमिता ने बाहर देखते हुए राहिला से कहा।

“तुम मुझे राहिला बोल सकती हो”, राहिला ने मुस्कुराते हुए नमिता से कहा। “लेकिन तुमने अब तक मेरे सवालों को सही-सही जवाब नहीं दिया।”

“मैं उन लोगों की नज़रों में गिरना नहीं चाहती हूं,” नमिता ने जवाब दिया।

“मैं अच्छी तरह जानती हूं कि तुम्हारे कहने का मतलब क्या है। कभी मैं भी बिल्कुल तुम्हारी ही तरह थी। बिल्कुल हां में हां मिलाने वाली एक महिला। मैं भी पहले तुम्हारी तरह किसी भी काम के लिए हामी भर देती थी, यह सोचकर कि दूसरे लोग मुझसे प्रभावित हो जाएंगे। इतना करने के बावजूद मुझे एक दिन नौकरी से निकाल दिया गया। उस समय मेरे बॉस ने मुझे यही सलाह दी थी, जो मैं आज तुम्हें बता रही हूं।

ना कहना सीखो,” राहिला ने जोर देते हुए कहा।

“मैं आगे से ऐसा ही करूंगी राहिला। इस सलाह के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। हर समय हां कहना, सच में एक थका देने वाले खेल की तरह है,” नमिता ने कहा।

“हां बिल्कुल! लेकिन अपने बॉस को भी ना मत कह देना,” इस बात पर दोनों खिलखिला के हंस पड़ी।

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