बनारस के अनेक रूप

वाराणसी के प्रसिद्ध मंदिर और पर्यटन स्थल जगाते हैं भक्ति-भावना

जब मैं वाराणसी घूमने गई, तो लौटते वक्त मुझे लगा मेरा आधा हिस्सा इस शहर में छूट गया है। यहां घूमने का मतलब ही है कि थोड़ा आप इस शहर के हो जाते हैं और थोड़ा ये शहर आपका हो जाता है।

विश्व के सबसे पुराने शहरों में से एक और भारत की सबसे पुरानी नगरी ‘वाराणसी’ को ‘काशी’, ‘बनारस’ के नाम से भी जाना जाता है। उतरप्रदेश में बसा ये शहर ‘देश का आध्यात्मिक शहर’ कहलाता है। बनारस को ‘घाटों का शहर’, ‘शिव की नगरी’ आदि के नाम से भी जाना जाता है। गंगा नदी के किनारे बसा ये शहर 84 घाटों से सजा हुआ है, जो घाट पूरे साल भक्तजनों से भरे रहते हैं।

वाराणसी की भव्य आरती, तीर्थ स्थल, मंदिर और पूजा-पाठ, इसे भक्तजनों के लिए एक पसंदीदा नगरी बनाते हैं। इस शहर को तो पवित्र माना ही जाता है साथ ही मान्यता यह भी है कि यहां आकर गंगा में डुबकी लगाने वाले भक्तों के सभी पाप धूल जाते हैं। गंगा घाट और मंदिरों का सबसे खूबसूरत संगम वाराणसी में ही देखने को मिलता है।

बनारस का एक और अलग रूप है जो यहां की गलियों में देखने को मिलता है। इस शहर की घुमावदार गलियों से गुजरते वक्त आप ऐसा महसूस करेंगे कि जैसे इस जगह से आपका रिश्ता काफी पुराना है। यहां की गलियों से गुजरते वक्त कभी चाट, समोसे, पान, लस्सी, जलेबी आदि की खुशबू आपको अपनी ओर खींच लेगी, तो कभी यहां की रंग-बिरंगी दुकानों में आप खुद ही खिचें चले जाएंगे।

जब मैं वाराणसी घूमने गई, तो लौटते वक्त मुझे लगा मेरा आधा हिस्सा इस शहर में छूट गया है। यहां घूमने का मतलब ही है कि थोड़ा आप इस शहर के हो जाते हैं और थोड़ा ये शहर आपका हो जाता है। आइए, जानते हैं वाराणसी के प्रसिद्ध मंदिर और पर्यटन स्थल के बारे में।

मन में आस्था का दीप जलाते हैं काशी के मंदिर (Man mein aastha ka deep jalate hain Kashi ke mandir)

अक्सर हम मंदिर में पूजा-आराधना करने जाते हैं। लेकिन, काशी के मंदिरों में बात सिर्फ पूजा-आराधना पर ही समाप्त नहीं होती है, बल्कि यहां के मंदिर हमारे अंदर आस्था का एक ऐसा दीपक जलाते हैं, जो हमें अंदर और बाहर से रौशन करता है।

काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से है एक (Kashi Vishwanath Mandir 10 jyotirling mein se hai ek)

गंगा के पश्चिमी तट पर बसा काशी विश्वनाथ मंदिर, सबसे बड़े तीर्थ स्थलों में से एक है। माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान शिव का वास्तविक रूप है। यह महाकाल के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मैंने जैसे ही इस मंदिर में प्रवेश किया, मुझे लगा जैसे अचानक से मन पूरा शांत हो गया है। इसके बाद मेरी नजर मंदिर के गुंबदों पर पड़ी, जिसे सोने से सजाया गया है। यही कारण है कि इसे ‘वाराणसी का स्वर्ण-मंदिर’ भी कहा जाता है।

बीएचयू प्रांगण के अंदर है नया विश्वनाथ मंदिर (BHU prangan ke andar hai naya Vishwanath Mandir)

इस मंदिर का निर्माण बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के अंदर ही किया गया है। अगर आप काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के बाद यहां आते हैं, तो आपको महसूस होगा कि ये मंदिर काशी विश्वनाथ से काफी मिलता-जुलता है। यहां निर्माण किए गए 7 अलग-अलग मंदिर एक धार्मिक स्थल का एहसास कराते हैं। विश्वविद्यालय में बसे इस मंदिर के दर्शन के लिए साल भर भारी भीड़ उमड़ती है।

दुर्गा मंदिर में है वानरों की सेना (Durga mandir mein hai vanro ki sena)

दुर्गा मंदिर, मां दुर्गा की छवि को ध्यान में रखते हुए लाल रंग से रंगा गया है। यह मंदिर ‘मंकी मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां काफी बंदरों का बसेरा है। इस मंदिर का दर्शन कर शांति का एहसास तो होता ही है, लेकिन यहां के शरारती बंदरों के कारण आप अंदर से खुशी महसूस करेंगे। हमारी नकल करते हुए ये बंदर किसी बच्चे की तरह लगते हैं, जिसकी शरारतें हमें अच्छी लगती हैं।

इसके अलावा वाराणसी में तुलसी मानस मंदिर, नेपाली मंदिर, संकट मोचन हनुमान टेम्पल, भारत माता मंदिर और मृत्युंजय महामंदिर भी है। हर मंदिर का परिसर अलग है, लेकिन जो चीज यहां के सभी मंदिरों में एक जैसी है, वो है खूबसूरती और एहसास। यहां के हर मंदिर में, बनारस का एक अनोखा एहसास है, जो दर्शन के साथ और बाद, आपके मन में बना रहता है।

दिल में घर कर जाएंगे वाराणसी के पर्यटन स्थल (Dil mein ghar kar jayenge Varanasi ke paryatan sthal)

जब बात बनारस के पर्यटन स्थलों की आती है, तो सबसे पहले आते हैं यहां के घाट। यहां के घाट, बनारस की जान हैं। आइए, जानते हैं यहां के प्रसिद्ध घाटों और कुछ अन्य पर्यटन स्थलों के बारे में।

दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती है काफी फेमस (Dashashwamedh ghat ki ganga aarti hai kafi famous)

यहां का ‘दशाश्वमेध घाट’ काफी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि भव्य यज्ञ करने के बाद भगवान ब्रह्मा ने 10 घोड़ों की बलि देकर इस घाट का निर्माण किया था। शाम के वक्त, इस घाट पर भव्य रूप से कई पुजारी मिलकर गंगा आरती करते हैं। इस आरती को आप घाट पर बैठकर या नाव में बैठकर देख सकते हैं। जिस वक्त मैं नाव में बैठकर गंगा आरती देख रही थी, मुझे लगा कि इससे खूबसूरत दृश्य मैंने आज तक नहीं देखा। पानी से टकराकर चेहरे को छूती हुई ठंडी हवा, शाम की हल्की रौशनी में दीपक की टिमटिमाती हुई लौ, आरती के प्रवित्र शब्द, हाथ जोड़े श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और शोर में भी एक अजीब-सी शांति, ये खूबसूरत संगम मैंने आज तक नहीं देखा था। एक पल को लगता है, मानो हम ईश्वर के घर में ही बैठे हैं।

जन्म और मृत्यु की कहानी बताता है मणिकर्णिका घाट (Janam aur mrityu ki kahani batata hai Manikarnika ghat)

मोक्ष प्राप्ति स्थल के नाम से जाना जाने वाला ‘मणिकर्णिका घाट’, सबसे पुराने घाटों में से एक माना जाता है। इस घाट पर बैठकर एक ओर अंतिम संस्कार और दूसरी तरफ गंगा की लहरों को चलते हुए देख रही थी। इस वक्त मुझे लगा कि इंसान की जिंदगी जन्म और मृत्यु के बीच की कहानी है। इसको देखकर आंसू की एक बूंद आंखों से निकलकर घाट पर गिर जाती है, ये आंसू न तो खुशी के होते हैं, न गम के और न किसी पछतावे के बल्कि ये जिंदगी की सच्चाई को साफ तौर पर देखने के आंसू होते हैं।

लाल पत्थरों से बना है भव्य रामनगर किला (Lal pattharon se bana hai bhavya Ramnagar Kila)

रामनगर किला वाराणसी के मशहूर पर्यटन स्थलों में से एक है। इसी किले में वाराणसी के राजा रहते थे। यह किला लाल पत्थरों से बना है, जो देखने में काफी भव्य लगता है। इस किले में एक बड़े आकार की घड़ी है, जो सालों पहले समय का अंदाजा लगाने के लिए बनाई गई थी। यह किला अंदर से एक संग्रहालय की तरह है, जिसके अंदर आपको पुराने कपड़े, तलवार आदि दिखाई देंगे। इस किले को देखकर आपको महसूस होगा कि मानो ये किला सबको अपनी कहानी सुनाने के लिए बेताब है।

चुनार फोर्ट में है बनारस की पुरानी तस्वीर (Chunar Fort mein hai Banaras ki purani tasvir)

अगर आपने आगरा के किले को देखा है, तो चुनार फोर्ट आपको उससे काफी मिलता-जुलता लगेगा। इस जगह को बनारस के अनूठे जगहों में से एक माना जाता है। यह किला गंगा तट पर स्थित है, लेकिन शहर से थोड़ा दूर है। यहां आना आपको अच्छा लगेगा, क्योंकि इस किले में बनारस की एक पुरानी तस्वीर नजर आती है। इस किले का निर्माण उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई भरथरी के लिए करवाया था। इतिहास के पन्नों में कई बार इस किले का जिक्र किया गया है।

बनारस में बसे किसी भी घाट पर जाकर आप बैठ जाएं, आप खुद के अंदर खुद को ढूंढने पर मजबूर हो जाएंगे। यहां के पर्यटन स्थल देखकर आप समझ पाएंगे कि इस शहर को ‘आध्यात्म का शहर’ क्यों कहा जाता है। यहां के मंदिर में प्रवेश कर के आप महसूस करेंगे कि आप ईश्वर के वास्तविक घर में आएं हैं। बनारस की गलियां आपको खुद से कभी निकलने नहीं देंगी और एक बार यहां आने के बाद आप खुद भी यहां से निकलना नहीं चाहेंगे।

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