वैष्णोदेवी मंदिर

चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है…

भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में स्थित वैष्णो देवी मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब तक देवी का बुलावा नहीं आता तब तक यह तीर्थयात्रा संभव नहीं होती।

भारत के विभिन्न धर्मस्थलों में वैष्णो देवी का बहुत ज्यादा महत्व है। जम्मू-कश्मीर में तीन पहाड़ों की गोद में एक गुफा के भीतर स्थित वैष्णो देवी मंदिर का पहली बार वर्णन हिन्दू महाकाव्य महाभारत में मिलता है। ऐसा माना जाता है कि अर्जुन ने कुरुक्षेत्र में जीत हासिल करने के बाद माता वैष्णो देवी से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी आराधना की थी।

हरेक वर्ष लाखों लोग मुश्किल सफर तय कर माता वैष्णो देवी के दर्शन करने पहुंचते हैं। लोगों को ऐसा मानना है कि वैष्णो देवी के दर्शन यूं ही नहीं होते। जब तक देवी की इच्छा न हो उनका दर्शन कर पाना संभव नहीं है।

पंडित श्रीधर की सपने में आई थी वैष्णो देवी

प्रचलित कहानियों के अनुसार पंडित श्रीधर को एक बार सपने में वैष्णो माता ने दर्शन दी और उनसे गांव के लोग और पड़ोसियों को खाना खिलाने की व्यवस्था करने के लिए कहा। आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण श्रीधर पंडित के लिए यह बहुत कठिन था, लेकिन उन्होंने इसका बीड़ा उठाया। देवी एक लड़की का रूप धारण कर पंडित श्रीधर के घर पहुंच गईं और खाने की व्यवस्था करने में मदद की। पर्याप्त संसाधन नहीं होने के बाद भी चमत्कारिक रूप से भोज में किसी चीज़ की कमी नहीं हुई।

इस बीच भोज में आए तांत्रिक भैरवनाथ ने वैष्णवी को भयभीत कर अपने वश में करने की कोशिश की। इसके कारण वैष्णो माता को भागकर जम्मू की त्रिकुटा गुफा में शरण लेनी पड़ी। लेकिन तांत्रिक भैरवनाथ ने अपनी शक्तियों से उनका वहां भी पता लगा लिया। इस बात से गुस्साकर वैष्णवी ने विनाश और मृत्यु की देवी काली का रूप धारण कर लिया। उन्होंने अपना त्रिशूल भैरवनाथ की ओर फेंका, जिससे उसका सिर धड़ से अलग होकर दो किलोमीटर दूर जाकर गिरा। मौत को सामने देख भैरवनाथ ने देवी से माफी मांगने लगा। इस पर देवी ने दया करते हुए उसे माफ कर दिया और मोक्ष प्रदान करने के साथ ही वरदान भी दिया। आज वैष्णो देवी की तीर्थयात्रा भैरवनाथ मंदिर के दर्शन के बगैर पूर्ण नहीं मानी जाती है। यह मंदिर उसी स्थान पर है, जहां भैरवनाथ का सिर गिरा था।

भोज में खाने-पीने की चीज़ों की कोई कमी न होता देख पंडित श्रीधर बहुत प्रसन्न हो गए और उन्होंने इसके लिए वैष्णवी को धन्यवाद देने के लिए उससे मिलने की प्रार्थना की। एक दिन सपने में उसने देखा कि माता की दिव्य ज्योति उसे गुफा का मार्ग दिखा रही है। वहां पहुंचने पर तीन छोटे गोल पत्थरों के साथ एक चट्टान आधी पानी में डूबी हुई दिखाई दी। इसी समय उसे शक्ति के तीन रूपों में महाकाली, महासरस्वती और महालक्ष्मी के दर्शन हुए। उसने अपना शेष जीवन इन तीनों देवियों की भक्ति में व्यतीत कर दिया।

जम्मू के पास कटरा से शुरू होती है यात्रा

वैष्णो देवी तक पहुंचने के लिए 12 किलोमीटर लंबा तय करना पड़ता है, जिसमें से ज्यादातर पैदल ही तय करना पड़ता है। यह यात्रा जम्मू के पास कटरा से शुरू होकर मुख्य मंदिर जिसे भवन कहते हैं वहां जाकर संपन्न होती है। इसमें चार से पांच घंटे का समय लगता है। हालांकि अब मंदिर तक पहुंचने का रास्ता काफी अच्छा हो गया है। लेकिन पहले यह रास्ता काफी कठिन और दुर्गम था और ज़्यादातर श्रद्धालु नंगे पैर पैदल चलकर जाया करते थे।

आज के समय में भक्तों के पास वैष्णो देवी तक जाने के लिए पालकी, खच्चर या हेलीकॉप्टर का विकल्प मौजूद है। सड़क पर रोशनी की व्यवस्था है। खाने-पीने और चाय की दुकानें हैं, जो चौबीसों घंटे खुली रहती हैं। श्रद्धालुओं के जय माता दी के उद्घोष से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि गोटे वाली लाल चुन्नी श्रद्धालुओं को सूरज की तेज किरणों से बचाती है।

दिव्यता का होता है आभास 

मुख्य मंदिर को भवन के नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर सबसे अधिक दिव्यता का आभास होता है। ऐसी मान्यता है कि देवी यहीं वास करती हैं। भवन के पास पहुंचने पर श्रद्धालु बाणगंगा में स्नान करने के बाद पिंडी के साथ गुफा में प्रवेश करते हैं। नदी में दोबारा स्नान के साथ ही मुख्य मंदिर के दर्शन पूर्ण होते हैं। हालांकि वैष्णो देवी की तीर्थ यात्रा भैरवनाथ मंदिर के दर्शन के बिना अपूर्ण मानी जाती है। यह मंदिर 6600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए काफी सीधी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। हवा का दबाव भी यहां बहुत कम है, जिसकी वजह से कई लोग इस तीर्थ यात्रा को पूरी नहीं कर पाते हैं।

वैष्णो देवी की तीर्थयात्रा को जीवन की एक बड़ी उपलब्धि माना जाता है। कुछ लोग तो देवी के बुलावे की जीवन भर प्रतीक्षा करते रह जाते हैं, लेकिन उनकी यह मनोकामना कभी पूरी नहीं हो पाती। वहीं, जो लोग एक बार भी जीवन में ऐसा कर पाते हैं, उनका सपना साकार हो जाता है।

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