खूबसूरत मौसम और हरी-भरी घाटियों से घिरा है हिल स्टेशन पंचगनी

पंचगनी छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा है, जो खूबसूरत हिल स्टेशन घूमने के शौकीन लोगों के लिए बेहद दिलचस्प जगह है। पंचगनी की बस्तियों और खेतों से होकर गुज़रती गंगा नदी, आकर्षण का एक बड़ा केंद्र है।

बीते साल मैं इतनी जगहों पर घूम कर आ चुकी हूं कि अब तो मैंने खुद को ‘घुमक्कड़’ कहना शुरू कर दिया है। रेत के पहाड़ हों या हरी-भरी पहाड़ियां, जो सुकून पहाड़ों में जाकर मिलता है, वो शहर की भीड़-भाड़ में कहां!

तो चलिए आज मैं अपनी घुमक्कड़ी की बहुत-सी यादों में से, कुछ यादें आपके साथ शेयर करती हूं। ये यादें हैं महाराष्ट्र के पास बसे एक हिल स्टेशन पंचगनी की।

सह्याद्रि या पश्चिमी घाट की पांच पहाड़ियों से घिरा पंचगनी, महाराष्ट्र के सतारा ज़िले का एक शांत पहाड़ी शहर है। मुझे बीते साल सितंबर में ही अपने परिवार के साथ मुंबई और महाराष्ट्र घूमने का मौका मिला। जब महाराष्ट्र जाने का मौका मिला ही था, तो हमने कुछ वक्त निकाल कर पंचगनी हिल स्टेशन घूमने का प्लान भी बना लिया।

पंचगनी महाबलेश्वर से 20 किमी, पुणे से 108 किमी और मुंबई से 250 किमी दूर है। हमने पंचगनी घूमने के लिए ट्रेवल एजेंसी की कार का सहारा लिया। सच में पंचगनी छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा है, जो खूबसूरत हिल स्टेशन घूमने के शौकीन लोगों के लिए बेहद दिलचस्प जगह है। पंचगनी की बस्तियों और खेतों से होकर गुज़रती गंगा नदी, आकर्षण का एक बड़ा केंद्र है। पंचगनी में घूमने की ऐसी बहुत-सी जगहें हैं, जिनपर किसी का भी मन आ सकता है। पंचगनी में रहने के लिए बहुत से होटल और रिसोर्ट मौजूद हैं, जहां से हम पंचगनी के सुंदर नज़ारे देख सकते हैं। ऐसे ही एक होटल के कमरे में खिड़की पर बैठ कर मैंने तो पंचगनी के बहुत-से खूबसूरत लैंडस्केप्स को अपने कैमरे में कैद किया।

पंचगनी के बारे में कहा जाता है कि ये हिल स्टेशन ब्रिटिश सरकार के वक्त बसाया गया था। यहां के घरों में आज भी अंग्रेजों के ज़माने के आर्किटेक्चर्स देखने को मिल जाते हैं। यहां का आर्किटेक्चर ब्रिटिश काल से प्रभावित है, क्योंकि यहां बहुत से अंग्रेज छुट्टियां बिताने आया करते थे। पंचगनी में ऐसी बहुत-सी जगहें हैं, जहां आप एक बार घूमने चले गए, तो दोबारा घर लौटने का मन नहीं करेगा। तो फिर चलिए मैं आपको बताती हूं कि अगर आप पंचगनी घूमना चाहते हैं तो वहां कौन-कौन सी जगहों पर जा सकते हैं।

पारसी पॉइंट है बेहद खूबसूरत (Parsi Point hai behad khoobsurat)


पारसी पॉइंट चारों ओर हरे-भरे पहाड़ों से घिरा है। अगर आप प्रदूषण से दूर ताज़ी हवा में सांस लेना चाहते हैं, यह एक बेहतरीन जगह है। महाबलेश्वर के रास्ते में स्थित, पारसी प्वाइंट भारत का एक मशहूर पॉइंट है, जो आपको शहर की भीड़-भाड़ से दूर, अपनी आत्मा और मन की शांति के लिए बुला रहा है। पारसी प्वाइंट का नाम पारसी समुदाय के नाम पर रखा गया है, जो सभी प्रकृति-प्रेमियों, घूमने वालों और दर्शनीय स्थलों की यात्रा पसंद करने वालों के लिए एक बढ़िया चुनाव है।

यहां आप धोम-धाम के क्रिस्टल-क्लियर पानी के 360-डिग्री झरने के दृश्य का आनंद लेने के साथ-साथ कृष्णा घाटी का अद्भुत नज़ारा भी देख सकते हैं। यहां बहुत से लोग खूबसूरत शाम बिताने और सुबह के वक्त सूर्योदय का मज़ा लेने आते हैं। मैं यहां शाम के वक्त पहुंची और डूबते सूरज की बहुत-सी मनमोह लेने वाली तस्वीरें अपने फोन में कैद कर लाई।

टेबललैंड व्यूप्वाइंट और खूबसूरत सनसेट (Tableland View Point aur khoobsurat sunset)

समुद्र तल से 4,550 फीट की ऊंचाई पर बसा, टेबललैंड व्यूपॉइंट पंचगनी का सबसे ऊंचा स्थान है। साथ ही, ये सभी ज्वालामुखीय पठार और तिब्बती पठार के बाद, एशिया का दूसरा सबसे लंबा पर्वतीय पठार है। ये हरी-भरी पहाड़ियों से घिरी 6 किमी लंबी सपाट लेटराइट चट्टान है। यह नज़ारा पंचगनी की सुंदर घाटियों का मंत्रमुग्ध कर देने वाला हवाई दृश्य दिखता है। साथ ही मैंने यहां पांडवों के चरणों और अपनी ओर ध्यान खींचती गुफाओं को भी देखा। कहते हैं यहां से डूबता सूरज बहुत ही खूबसूरत लगता है, लेकिन मैं वो नज़ारा नहीं देख पाई, पर आप जब पंचगनी जाएं तो यहां का खूबसूरत सूर्यास्त ज़रूर देख कर आएं।

पंचगनी का वाई (Panchgani ka Wai)

वाई को लोग महाराष्ट्र के ‘दक्षिण काशी’ के रूप में जानते है, क्योंकि यहां देखने लायक 100 से भी ज़्यादा मंदिर हैं। कृष्णा नदी के तट पर बसा एक छोटा-सा शहर है। अगर आप पंचगनी के वाई घूमना चाहते हैं तो इसके लिए आपके पास एक पूरा दिन होना चाहिए। वाई अपनी कुछ ऐतिहासिक बातों के लिए जाना जाता है। यहां दो मुख्य मराठा ब्राह्मण रानियां, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और नानासाहेब पेशवा की पत्नी रानी गोपिकाबाई का जन्म हुआ था।

वाई अपने सात घाटों के लिए भी जाना जाता है, जिनमें गंगापुरी, मढ़ी आली, गणपति आली, धर्मपुरी, ब्राह्मणशाही, रामदोह और भीमकुंड शामिल हैं। ब्राह्मणशाही घाट में कौंतेश्वर, चक्रेश्वर, कालेश्वर और चिमनेश्वर सहित कई मंदिर हैं। धोम बांध के बैकवॉटर और मशहूर ढोल्या गणपति मंदिर के अलावा मेनावली घाट, वाई में सबसे लोकप्रिय दर्शनीय स्थल है। यह जगह प्राकृतिक सुंदरता के अलावा श्रद्धा और भक्ति भाव के लिए भी मशहूर है। यहां दुनिया भर के श्रद्धालु मन में आस्था लिए इन मंदिरों के दर्शन के लिए आते हैं।

पांच नदियों का संगम है पंचगंगा मंदिर (Panch nadiyo ka sanagm hai Panchganga Mandir)

पंचगंगा मंदिर कुल मिलाकर पांच नदियों का संगम है। सदियों पुराना ये मंदिर भगवान कृष्ण का है और इसमें उनकी एक सुंदर मूर्ति स्थापित है। यहां आने वाले पर्यटक इस मंदिर की ऐतिहासिकता और मन में श्रद्धा लिए पांच नदियों के पवित्र जल को पीते हैं।

ये मंदिर पुराने महाबलेश्वर में महाबलेश्वर मंदिर के पास बना हुआ है। पंचगंगा मंदिर, पांच नदियों कृष्णा, वेन्ना, सावित्री, कोयना और गायत्री के संगम पर बना हुआ है। इस मंदिर में गाय की मूर्ति के मुख से सभी नदियां निकलती हैं, इसलिए इस स्थान को पंचगंगा मंदिर कहा जाता है।

इस मंदिर को 13वीं शताब्दी में देवगिरि के यादव शासक राजा सिंहनदेव ने बनवाया था। 16वीं और 17वीं शताब्दी में जाओली के राजा चंदराव मोरे और मराठा शासक शिवाजी ने इस मंदिर की संरचना में ज़रूरी सुधार किए। मंदिर के पीछे त्रिमूर्ति, ब्रह्मा, विष्णु और शिव, सावित्री के श्राप से बने हुए हैं, जो यहां कोयना, कृष्णा और वेन्ना नदियों के रूप में बहती हैं। ये महाबलेश्वर का एक मशहूर धार्मिक स्थल है और यहां साल भर भक्त आते-जाते रहते हैं।

देवराय कला ग्राम है हस्तकलाकारी का गांव (Devrai Art Village hai hastkalakari ka ganv)

अगर मेरी तरह आप भी कला प्रेमी हैं और हाथों से बनीं सुंदर वस्तुओं को इकट्ठा करना या उन्हें बनाने की प्रक्रिया देखना पसंद करते हैं, तो देवराई आर्ट विलेज आपके लिए हिल स्टेशन पंचगनी में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। कलाकारों का एक गैर-लाभकारी समुदाय, कला गांव को प्रकृति और कला से जोड़ता है। देवराय कला गांव गढ़चिरौली और छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के आदिवासी कलाकारों के एक समूह को रहने और खाने के लिए काम भी देता है। आप पीतल, लोहा, लकड़ी, बांस, टोन और कपड़े से बने सामान की बहुत सी चीज़ें यहां से ले सकते हैं। यह पंचगनी में देखने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। मेरी मानें तो पंचगनी के देवराय कला ग्राम ज़रूर जाएं।

राजपुरी गुफाएं और मंदिर (Rajpuri gufayein aur mandir)

राजपुरी गुफाएं पंचगनी में स्थित चार गुफाओं का एक समूह है, जिनकी ऐतिहासिकता के बारे में कहा जाता है कि इन गुफाओं में पाण्डवों ने शरण ली थी। गुफाएं कई पवित्र कुंडों या तालाबों से घिरी हुई हैं, जिनमें गंगा का पानी बहता है। श्रद्धालु इस पानी को पीते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस पानी में हर बीमारी से लड़ने का इलाज है। हालांकि, अब ये गुफाएं बहुत पुरानी और जर्जर-सी हो चुकी है। यहां एक जगह पर शिव जी की सवारी नंदी की मूर्ति बनी हुई है। राजपुर गुफा में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय भगवान कार्तिकेय का मंदिर है, जिसके बारे में माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना गुफाओं से ली गई रेत से हुई है। यहां हर कोने में आस्था से जुड़ी एक कहानी आपको ज़रूर मिल जाएगी।

प्रतापगढ़ का ऐतिहासिक किला (Pratapgadh ka atihasik kila)

आप महाबलेश्वर के आस-पास मौजूद दिलचस्प जगहों की सैर करना चाहें तो प्रतापगढ़ किले को ज़रूर घूमें। यहां एक समय पर महाराज शिवाजी का शासन हुआ करता था। ये ऐतिहासिक किला शहर के बाहरी इलाके में समुद्र तल से 1,100 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है। यह किला दो भागों में बांटा गया है। इसके नीचे के हिस्से पर 10-12 मीटर ऊंची मीनारें और मजबूत खंभे बने हुए हैं। वहीं, इसका ऊपरी किला हर तरफ से 180 मीटर लंबा है। उस वक्त में सभी खास काम इसी जगह पर हुआ करते थे।

ऊपरी किले के उत्तर पश्चिम भाग में भगवन शिव का एक मंदिर है और ठीक इसके सामने छत्रपति शिवाजी महाराज का शाही दरबार बना हुआ करता था। ऐसा कहा जाता है कि शिवाजी महाराज को इस स्थान की पवित्रता पर बहुत विश्वास था। उनका मानना था कि यहां आकर कोई भी झूठ नहीं बोल सकता। यहां अफज़ल खान की कब्र बनी हुई है। साथ ही किले की ऊंची दीवारों से चारों ओर की हरियाली देखना बहुत दिलचस्प लगता है।

पंचगनी हिल स्टेशन अपने में ही एक बहुत खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है। अगर आप भी कहीं बाहर घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो पंचगनी हिल स्टेशन से बेहतर कोई जगह नहीं है। यहां जाने का सही समय सितंबर से जून तक का होता है, क्योंकि यहां जाने का मज़ा ठंड के महीनों में ही है। मैं भी सितंबर में ही पंचगनी गई थी।

तो आपने पंचगनी हिल स्टेशन की वादियां घूमने के बारे में क्या सोचा है, हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी से जुड़े रहें।