इतिहास की गवाही देते हैं हम्पी के खंडहर

इतिहास की गवाही देते हैं हम्पी के विरान खंडहर

आप बेंगलुरु में हैं और आसपास के खास जगहों पर न जाएं, तो आपका यहां आना बेकार है। बेंगलुरु आने के साथ ही मैंने मन ही मन में यह सोच रखा था कि मौका मिला तो हम्पी ज़रूर जाउंगा। खैर वो दिन आ गया। हम्पी और उसके विरान खंडहर व इतिहास के बारे में जानने के लिए पढ़ें ये खास लेख।

काफी दिनों से मुझे ऐसी जगह पर जाने का मन कर रहा था, जहां मैं न केवल खूबसूरती का आनंद ले ले सकूं, बल्कि कुछ सीख भी सकूं। मैं बेंगलुरु में था और इत्तेफाक से तीन दिन की छुट्टियां भी पड़ गई। ऐसे में मैंने हम्पी (Hampi) जाने का प्लान किया।

प्लान जल्दबाजी में किया था, तो ट्रेन की टिकट भी जल्दबाजी में ही कटवा ली और मेजिस्टिक के पास केएसआर सिटी जंक्शन से मैंने ट्रेन पकड़ ली हॉसपेट जंक्शन के लिए। सफर रात का था इसलिए खाना खाकर मैं अपनी बर्थ पर जाकर बैठ गया। सुबह उठा तो कुछ देर के बाद ही हम अपने लक्ष्य यानि की हॉसपेट जंक्शन पर पहुंच चुका था। वहां सुबह चाय व नाश्ता करने के बाद हमने हम्पी जाने के लिए टैक्सी बुक की और निकल पड़ा अपने सफर पर। अगर आप हम्पी जाने की सोच रहे हैं, तो बेंगलुरु (Bangalore) से कई ट्रेन हॉसपेट जंक्शन के लिए आती हैं, इसके अलावा आप टैक्सी या बस से भी यहां आ सकते हैं। आप भारत के दूसरे राज्यों में रहते हैं, तो बेंगलुरु तक फ्लाइट से आ सकते हैं, फिर वहां से टैक्सी या ट्रेन से यहां पहुंच सकते हैं। हॉसपेट जंक्शन से हम्पी की दूरी करीब 14 किलोमीटर है, आप ऑटो या टैक्सी लेकर यहां पहुंच सकते हैं।

मैंने किताबों में पढ़ा था कि सदियों पहले हम्पी रोम से भी भव्य शहर हुआ करता था। जैसे ही मैं यहां पहुंचा, तो यहां के विशाल व पत्थरों को तराशकर बनाए भवनों को देखकर मैं दंग ही रह गया। 500 सालों से इतिहास की गवाही देते विशाल खंडहर देखकर मैं अंदाजा लगा सकता था कि एक जमाने में यहां पांच लाख लोग रहते होंगे।

हमने लेन-देन के लिए 50 रुपए के नोट का इस्तेमाल किया ही है, उसके पीछे हम जो तस्वीर में देखते हैं, वो मुझे हम्पी में देखने को मिला, जिसे देखकर मैं दंग रह गया। अब मुझे समझ में आ गया था कि इस जगह को यूं ही यूनिस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज (World Heritage) का दर्जा नहीं दे रखा। ये स्टोन चैरेट विरूपाक्ष टेंपल के पास में है।

हम्पी में आकर यहां साइकिल किराए पर मिल रही थी, लेकिन मैं थका इसलिए ऑटो से घूमने का प्लान किया। सबसे पहले मैं कडालेकाउ गणेश मंदिर (Kdalekalu Ganesh mandir) में गया। ये हम्पी में मुख्य मंदिर के पास ही में है। इस मंदिर की खूबसूरती यही है कि एक ही पत्थर में भगवान गणेश की प्रतिमा को उकेरा गया है। ये काफी भव्य है। इसके पास वॉकिंग डिस्टेंस में ही ससाईविकालू गणेशा का मंदिर है, मैं वहां गया। यहां भगवान गणेश की भव्य मूर्ति देखने को मिली। अब मैं पहुंच चुका था कृष्णा मंदिर, जो पास में ही था। लेकिन, इस मंदिर में भगवान कृष्ण की प्रतिमा देखने को नहीं मिली। लेकिन, यहां के खंडहर नुमा भवनों को देख मैं ये सोच में पड़ गया कि इसे कैसे बनाया गया होगा। कितने वर्षों में इसे तैयार किया गया होगा। ये मंदिर काफी भव्य था, जिसमें दीवारों पर नक्काशी के साथ पिल्लर में कलाकृति देखने को मिली।

इसके बाद मैं पहुंचा कृष्णा बाजार, ये वही जगह थी जहां एक समय में हाट लगाया जाता था, वहीं आसपास के किसान अपनी फसल को बेचने के लिए यहां आते थे। ये कृष्णा मंदिर के पास ही में था। वैसे हम्पी में आपको घुमाने के लिए गाइड भी मिल जाएंगे, लेकिन, मैं यहां अकेले ही घूम रहा था, क्योंकि मुझे अकेले घूमने में ही मजा आता है। वहीं, यहां पर हर मंदिर के बाहर एक बोर्ड भी लगा था, जिसमें इतिहास से जुड़े रोचक तथ्य जानने को मिले।

हम्पी की खास बात ये लगी कि इसके सभी मंदिर आस-पास ही थे, अब मैं पहुंच चुका था लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर में। नरसिम्हा भगवान प्रभु विष्णु के चौथे अवतार थे। ये मंदिर इसलिए भी खास था, क्योंकि ये हम्पी में सबसे बड़ा था। इस मंदिर के पास में ही बडविलिंगा मंदिर भी है। यहां पर बहुत बड़ा शिवलिंग देखने को मिला, जिसके नीचे पानी जमा था।

मैं अंडर ग्राउंड शिवा मंदिर (Shiv Mandir) में भी गया, जिसे जमीन के अंदर बनाया था। यहां जमीन पर पानी जमी थी, इसलिए मैं अंदर तक तो नहीं गया, लेकिन दूर से नंदी भगवान दिख रहे थे और आगे जाने पर शिवलिंग था। अब मैं पहुंच चुका था नोबल्समैन क्वार्टर, इस जगह की खासियत ये है कि यहां से नीचे हम्पी के मंदिर व पहाड़िया दिखती हैं। मैं सर्दियों में आया था, इसलिए मुझे यहां का मौसम काफी सुहावना लगा, आप चाहें तो फरवरी, मार्च या फिर सर्दियों में यहां घूमने के लिए आ सकते हैं। यहां के लोकल लोगों ने मुझे बताया कि गर्मियों में यहां पर खूब गर्मी होती है, इसलिए उन दिनों में आने पर आपको थोड़ी परेशानी हो सकती है।

इसके बाद मैं गया वीर हरिहर पैलैस में, लेकिन ये तहस-नहस हो चुका था। वहीं, पत्थर मैदान में बिखरे थे। एक समय था जब हम्पी सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुआ था, लेकिन कई आक्रमण को झेलने के बाद इसके कई भवन अब क्षतिग्रस्त हो चुके थे, जिसके निशान हमें यहां देखने को मिल जाएंगे।

लोटस महल, रांगा महल देखने के लिए मैंने टिकट कराकर घूमने गया। यहां मैंने लोटस महल देखा, जो कमल के फूल की तरह दिख रहा था। इसमें भी बेजोड़ कला का नमूना मुझे देखने को मिला। अब मैं आ चुका था क्वीन्स वाचटावर में, यहां मुझे ऐसे ही 3 और वॉच टावर देखने को मिले। अब मैं आ चुका था एलीफेंट स्टेबल, यहां पर कई लोग मुझे तस्वीर खींचाते भी दिखे। सो मैंने भी कई तस्वीरें खींचा ली।

अब मैं आ चुका था हजारामा मंदिर में। यहां की दीवारों पर बनी कलाकृतियों में रामायण की झलक देखने को मिली। इसके बाद मैं पहुंचा किंग्स सिक्रेट चैंबर में, इसे ये नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि इसके अंदर जाने के लिए एक खुफिया दरवाजा है, जिसकी मदद से यहां तक पहुंचा जा सकता था। ये रास्ता अंडरग्राउंड बना हुआ था, जिसके अंदर मैं भी गया और यहां पर काफी अंधेरा था। अब मैं आ चुका था चौकोर लेक में जिसे पुष्करनी कहा जाता है, इसकी खासियत ये है कि इसे बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए पत्थरों को उस जमाने में बाहर से लाया गया था। इसलिए यहां मौजूद पत्थरों की तुलना में इस पत्थर की रंगत में अंतर साफ तौर पर मैं देख पा रहा था।

अब मैं एक ऐसी जगह गया, जिसे क्वीन्स बाथ प्लेस कहते हैं, ये वही जगह थी जहां पर एक समय में रानी नहाया करती थीं। वहां पर मुझे पानी नहीं देखने को मिला।

अब मैं पहुंच चुका था विजय विट्ठल मंदिर में, यहां पर मैंने जो पहले टिकट खरीदा था उसे दिखाकर ही इंट्री मिल गई। यहां मुझे स्टोन चैरेट दिखा, ये वही तस्वीर थी, जो हम 50 रुपए के पीछे तस्वीर में देख सकते हैं। इसके बाद मैं गया विट्ठल मंदिर, विट्ठल भगवान को भगवान विष्णु का अवतार भी कहते हैं, इस मंदिर में मुझे भगवान विट्ठल की मूर्ति नहीं देखने को मिली।

अब मैं हम्पी की सबसे खास जगह जिसे विरूपाक्ष मंदिर (Virupaksh mandir)  कहते हैं, वहां दर्शन करने के लिए गया। ये मंदिर काफी भव्य था। यहां पर एक हाथी भी मिला, जिससे लोग आशीर्वाद ले रहे थे, ऐसे में मैंने भी आशीर्वाद ले लिया और बढ़ गया आगे की ओर। अब मैं पास के ही हेमकुटा हिल्स (Hemakuta Hill) पहुंच चुका था। जहां से विरूपाक्ष मंदिर साफ-साफ दिख रहा था और ऊपर से नजारा काफी सुंदर व भव्य दिख रहा था। इसके बाद मैं पहुंच चुका था मातंग पर्वत पर, यहां भी काफी खंडरनुमा भवन देखने को मिले, जो काफी भव्य थे। यहां सबसे ऊपर पहुंच कर मैंने सनसेट का आनंद लिया। ऊपर से हम्पी काफी खूबसूरत दिख रहा था।

हम्पी एक ऐसी जगह है, जहां संस्कृति के साथ इतिहास को करीब से जानने का मुझे मौका मिला, आप भी आइए और जानिए काफी कुछ। फिर मिलते हैं अगले सफर पर, तब तक आप पढ़ते रहिए सोलवेदा और पॉजिटिविटी बढ़ाने के साथ स्वस्थ रहिए।

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