भारत के खास जैन मंदिर

भारत के 10 सबसे प्रसिद्ध जैन मंदिरों के बारे में जानिए

कोस-कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वाणी, ये कहावत हमारे देश की संस्कृति को बयां करने के लिए काफी है। भारत को लेकर इस कहावत की बात कहें तो महज एक कोस पर पानी के स्वाद में अंतर आ जाता है और चार कोस (आठ किलोमीटर) पर भाषा बदल जाती है। भारत विविधताओं का देश है, जहां अलग-अलग धर्म, जाति, भाषा और संस्कृति के लोग मिल-जुल कर रहते हैं। आइए, इस लेख में हम भारत के सबसे प्रसिद्ध जैन मंदिरों के बारे में जानते हैं।

भारत में कई संस्कृतियां व धर्म के लोग एक साथ रहते हैं। माना जाता है कि सनातन धर्म यानि हिंदू धर्म का उत्पति भारत में हुई थी, उसी प्रकार जैन धर्म की जन्मस्थली भी भारत ही है। भारत आस्था पर विश्वास करने वाले लोगों का देश है, यहां के लोगों की सुबह मंदिर में मत्था टेकने से होती है। भारत में काफी संख्या में जैन धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। मंदिरों के देश भारत में काफी जैन मंदिर भी हैं। आइए, उसके बारे में जानते हैं।

गोमतेश्वर मंदिर, कर्नाटक

कर्नाटक के श्रवणबेलागोरा के विद्यागिरी पहाड़ पर गोमतेश्वर मंदिर को बनाया गया था। यहां भगवान गोमतेश्वर की भव्य प्रतिमा है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इस मंदिर को देशभर में लोग बाहुबली मंदिर के नाम से भी जानते हैं। परंपराओं के अनुसार हर 12 साल में इस प्रतिमा का दूध, गन्ने की रस, केसर, घी आदि से अभिषेकम् भी किया जाता है और चंदन, हल्दी, सिंदूर भी प्रतिमा पर डाला जाता है। उस दौरान यहां भव्य आयोजन होता है और देश-दुनिया से लोग जुटते हैं।

शिखरजी मंदिर, झारखंड

झारखंड के गिरिडीह जिले के पारसनाथ पहाड़ी पर शिखरजी मंदिर है। यहां मोक्ष की प्राप्ति करने वाले 23वें तीर्थकर पार्श्वनाथ के नाम पर ही पारसनाथ पहाड़ी का नाम रखा गया था। यह मंदिर जैन धर्म से जुड़े लोगों के आस्था का मुख्य केंद्र है। इसी जगह पर जैन धर्म के 20 तीर्थकर ने मोक्ष की प्राप्ति की थी। इस मंदिर को 18वीं शताब्दी में बनाया गया था। यहां न केवल जैन समाज के लोग जुटते हैं, बल्कि देश-दुनिया के सैलानी भी आते हैं। पहाड़ों से घिरा ये मंदिर बेहद सुंदर है। इस मंदिर में दर्शन करना सामान्य नहीं है, क्योंकि भक्तों को पहाड़ी चढ़कर दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

कुलपाकजी मंदिर, तेलंगाना

तेलंगाना के कोलानुपाका गांव में कुलपाकजी मंदिर 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस मंदिर को भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। जैन धर्म के श्वेतांबर समाज के लोगों के लिए ये मंदिर काफी खास है। इस मंदिर को जैन धर्म के पहले तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को समर्पित किया गया है। लोगों की ऐसी आस्था है कि भगवान ने खुद इस जगह को रहने के लिए चुना है। इस मंदिर में बड़ी-बड़ी भगवान महावीर की मूर्तियां देखने को मिल जाएंगी, जिसे महंगे पत्थरों से बनाया गया है। इस मंदिर के गर्भगृह को छोड़ अन्य हिस्सों में मरम्मत की गई है, लेकिन इसका गर्भगृह आज भी सदियों पुराना ही है। इस मंदिर में दो हजार साल पुराने शिलालेख भी मिले हैं, जो इस मंदिर के इतिहास को कई गुना ज्यादा बढ़ाते हैं

रणकपुर जैन मंदिर, राजस्थान

ये मंदिर दुनिया के 77 अजूबों में से एक है, जो राजस्थान के गौरव को कई गुणा ज्यादा बढ़ाता है। राजस्थान के उदयपुर से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर रणकपुर गांव में ये जैन मंदिर है। माना जाता है कि इसे 15वीं शताब्दी में बनवाया गया था। मेवाड़ शासक की मदद से धरना शाह नाम के व्यापारी ने इस मंदिर को बनवाया था। यहां पर पार्श्वनाथ मंदिर, अंबा मंदिर, चतुर्मुख मंदिर और सूर्य मंदिर भी हैं। चतुर्मुख मंदिर यहां के खास धार्मिक स्थलों में एक है। यहां जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर भगवान आदिनाथ की पूजा की जाती है।

धर्मनाथ मंदिर, केरल

ये मंदिर केरल के कोच्चि में मट्टनचेरी शहर में है। इस मंदिर को 1904 में बनाया गया था। यहां पर गुजरात और राजस्थान से काफी संख्या में जैन समाज के लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। जैन धर्म के 15वें तीर्थकर धर्मनाथ जी के नाम पर इस मंदिर का नाम रखा गया है। इस मंदिर का दिलवाड़ा मंदिर के साथ काफी गहरा संबंध माना जाता है। हरियाली के बीच में बसे इस मंदिर कैंपस में शांति का एहसास होता है। इस मंदिर में भगवान धर्मनाथ जी के अलावा कई देवताओं और तीर्थकरों की मूर्तियां भी हैं।

पलिताना मंदिर, गुजरात

ये मंदिर गुजरात के पलिताना शहर में शनत्रुजय पहाड़ी पर है। इस मंदिर को झारखंड के गिरिडीह जिले में बसे शिखरजी मंदिर के बाद जैन समाज के लोग सबसे पवित्र धार्मिक स्थान के रूप में मानते हैं। 11वीं शताब्दी में राजा कुमारपाल ने यहां मंदिर बनवाए थे। माना जाता है कि यहां के मंदिरों को पूरा करने में करीब 900 साल लगे थे। मुख्य मंदिर पहाड़ के सबसे ऊपर बनाया गया है, वहां दर्शन करने के लिए करीब 3 हजार सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। यदि आप मूर्तिकला को करीब से देखना चाहते हैं, तो यहां ज़रूर जाना चाहिए। यहां की मूर्तिकला देखते ही बनती है।

मध्यप्रदेश का सोनागिरि मंदिर

जैन धर्म के प्रमुख जगहों में से एक मध्य प्रदेश का सोनागिरि मंदिर भी है। यहां भारत के साथ दुनियाभर से जैन धर्म के लोग प्रार्थना करने के लिए आते हैं। यहां पर कुल 84 मंदिर हैं, जिसे एक छोटी पहाड़ी पर बनाया गया था। इतिहास की मानें तो इस धार्मिक स्थल को 9वीं और 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। माना जाता है कि यहां पर 5.5 करोड़ संतों ने निर्वाण की प्राप्ति की थी। यही वजह है कि लोग इस जगह को शांति के स्थान व ध्यान करने की जगह के रूप में भी देखते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि जिस जगह पर मंदिर का निर्माण किया है, वो सोने की पहाड़ी थी

गिरनार जैन मंदिर, गुजरात

गिरनार की पहाड़ी पर बसा ये मंदिर अपनी भव्य सौंदर्यता के लिए जाना जाता है। क्योंकि ये पहाड़ी वादियों से घिरा है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जैन समाज के दोनों ही समुदाय दिगांबर और श्वेतांबर समाज के लोग जुटते हैं व इसे पवित्र मानते हैं। 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ ने गिरनार के इसी पर्वत पर मोक्ष की प्राप्ति की थी। माना जाता है कि 11वीं शताब्दी में इस मंदिर को बनवाया गया था, लेकिन इस स्थान को 250 बीसी के समय से ही धार्मिक स्थल के रूप में माना जाता है। इस मंदिर में दर्शन करना आसान नहीं है, भगवान का दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को करीब 10 हजार सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। इसके अलावा भक्तों की सुविधा को देखते हुए यहां रोपवे भी बनाया गया है, ताकि वे आसानी से दर्शन कर सकें। शहर के शोर-शराबे से दूर यहां आकर आप मन की शांति हासिल कर सकते हैं।

बावनगज मंदिर, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश का ये मंदिर भी पहाड़ियों से घिरा है और पहाड़ की चोटी पर बनाया गया है। इस मंदिर की खूबसूरती भी देखते ही बनती है। जैन धर्म के लोग इस मंदिर को काफी पवित्र स्थलों में एक मानते हैं। इसे 12वीं शताब्दी के समय में बनाया गया था, वहीं इस मंदिर परिसर में अन्य 8 मंदिर भी हैं। इस मंदिर में भगवान आदिनाथ की 84 फीट ऊंची प्रतिमा आकर्षण का मुख्य केंद्र है, जिसे देखने व दर्शन करने के लिए देश-दुनिया से लोग यहां जुटते हैं। ये भारत की सबसे ऊंची जैन प्रतिमा है।

माउंट आबू का दिलवाड़ा मंदिर

ये मंदिर माउंट आबू से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर है। इसे विमलशाह ने 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच में बनवाया था। राजस्थान में यूं तो कई मंदिर हैं, लेकिन ये मंदिर अपनी कलाकृति व सौंदर्यता के लिए जाना जाता है। इस मंदिर के पिलर पर कला व नक्काशी का बेजोड़ नमूना देखने को मिलता है। मंदिर में आने वाले लोग शांति का एहसास भी कर सकते हैं। लोग कहते हैं कि सूर्य की रोशनी जब मंदिर पर पड़ती है, तो ये किसी हीरे के समान चमकता है। इस मंदिर की खासियत यह भी है कि ये 5 अलग-अलग भागों में बंटा हुआ है, जिसे तीर्थंकरों को समर्पित किया गया है। माना जाता है कि इन मंदिरों में सबसे पुराना मंदिर भगवान आदिनाथ का है, इसकी दीवारों व पिल्लर पर शानदार कलाकृति का नमूना आपको मोहित कर देंगे। यहां नहाने की खास व्यवस्था की गई है, भक्त नहाने के बाद ही भगवान की प्रतिमा का दर्शन कर सकते हैं।

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