शोक

दुख की दवा है धैर्य

दुख अपने आप में नकारात्मक भावना नहीं है, बल्कि यह हमारे द्वारा महसूस किए जाने वाले भारी भाव को खत्म करने का माध्यम है।

वे इच्छाएं जो अधूरी रह गईं। वे प्रश्न जो पूछे ना जा सके, छिपे हुए रहस्य हमेशा अधूरे, अनकहे और छिपे ही रह गए। इच्छाएं चिताओं में जल गईं, प्रश्न नदी की धारा में बह गए और रहस्य धरती के भीतर गहरे दबा लिए गए।

एक बच्चा जिसके नाम का कभी प्रमाण-पत्र नहीं बन सका। एक पालतू पंछी जिसका पंख अब तक घर की कुर्सी में फंसा है। एक पिता जो बेटी को स्नातक होते न देख सके। एक मां जो कभी अपनी बहू का स्वागत न कर सकी। एक मित्र जिसका चिल्लाना आज भी दीवारों से टकराकर गूंज रहा है। कोई हमें इसके लिए तैयार नहीं कर सकता। जिन्हें पीड़ा होती है, उन्हें ही उसके दर्द का पता होता है, कोई और उसको अनुभव नहीं कर सकते हैं।

दो साल पहले मेरे दादाजी का देहांत हो गया था। वे लंबे समय से बीमार थे। यही कारण है कि जब उनका निधन हुआ, तो हमें अधिक सदमा नहीं लगा। मुझे ना तो गुस्सा आया और ना ही कुछ और ही अनुभव हुआ। उनकी वृद्धावस्था उन्हें ले गई और मुझे बस इसे स्वीकार करना पड़ा। मुझे आज भी विस्फोट के बाद की शांति से उपजे शून्य की स्थिति याद है।

परिवार के लोग हमारे जीवन में इस तरह अहमियत रखते हैं कि हम उनके बिना जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकते। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस प्रकार की पीड़ा का अनुभव करना जीवन में सबसे अधिक कठिन है। हम यह कम ही समझ पाते हैं कि यदि हम गम या हानि पर दुखी हो लें, तो हम इससे होने वाली पीड़ा को कम कर सकते हैं। कुछ भाग्यशाली होते हैं, जिन्हें यह पीड़ा कम होती है। अधिकतर लोग दुख को साइड में रख देते हैं।

शोक अपने आप में नकारात्मक भाव नहीं है। यह अपने गहरे भाव को बाहर निकालने का एक माध्यम है। साइकोलॉजिस्ट तिश्या महेंद्रु साहनी के अनुसार ‘‘शोक एक प्रक्रिया है। यह कुछ सप्ताह में भी कम हो सकता है और कुछ माह भी ले सकता है। वहीं, कुछ लोगों को तो इससे उबरने में वर्षों लग जाते हैं।’’ वे आगे कहती हैं ‘‘ना तो यह किसी समय सीमा के साथ आता है और ना ही यह सबके लिए बराबर होता है। कुछ लोग शोक की सामान्य प्रक्रिया का अनुभव नहीं करते, ऐसा उनके व्यक्तित्व के कारण हो सकता है या फिर उनकी विशेष परिस्थितियों के कारण।’’

आईटी प्रोफेशनल अरुणिमा माजी ऐसी ही एक भावनात्मक घटना के बारे में बताती हैं। ‘‘किशोरावस्था में अपने पिता को खोना मेरे लिए बहुत बड़ा आघात था। मुझे लगा मैं इसका सामना नहीं कर सकती और ऐसा ही हुआ।’’ आगे जो हुआ वह उनके लिए हानिकारक था। ‘‘मैंने अपनी सारी ऊर्जा पढ़ाई में लगा दी, उसके बाद काम और सफलता प्राप्त करने में। ये मैं इसलिए की ताकि मैं इस बारे में कुछ अनुभव न कर सकूं। इसलिए मैंने जो भी किया, मैं उसमें खुश नहीं थी। मैंने अपनी भावनाओं को दबा दिया था। मुझे घोर चिंता की शिकायत और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं होने लगीं। इस सबने मुझे सिखाया कि शोक हो या कोई और गम या फिर कोई अन्य भाव, कभी भी किसी भी भावना को दबाना नहीं चाहिए।”

शोक को मन में दबा देने को हम स्वास्थ्य के लिए लाभदायक मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। यह पूरी से हमारे स्वास्थ्य के लिए गलत है। शोक से उबरने के लिए सकारात्मक साधनों को ढूंढ़ना अनिवार्य है। साहनी ऐसी अवस्थाओं से उबरने के लिए कुछ सुझाव दे रही हैं :

इसे गहराई से अनुभव करें

शोक से उबरने का सबसे अच्छा तरीका है, इसे पूरी तरह से अनुभव तथा व्यक्त करना। पीड़ा को कम करने के लिए शराब पीना व दवा लेना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। वहीं, परेशानी होने पर गुस्से में चिल्लाना या भगवान को दोष देना सामान्य प्रक्रिया है।

जैसे चाहें शोक मनाएं

यह ज़रूरी नहीं है कि शुभचिंतकों द्वारा दी गई सहानुभूतिपूर्ण सलाह सभी के लिए काम करे। शोक मनाने का कोई ‘सही’ तरीका नहीं है। किसी भी नुकसान को छह से 12 महीने तक ज्यादा अनुभव करना सामान्य बात है। हालांकि, शुरू में कम भावनात्मक परेशानियां हो, लेकिन काफी वर्षों के बाद निराशा या चिंता में उलझने पर इलाज कराना जरूरी है।

प्रतिक्रियाओं पर ध्यान दें

शादी की सालगिरह, जन्मदिन और विवाह के मौके पर उन यादों को और ताजा कर देते हैं। जिनके बारे में हम सोचते हैं कि हम इन बातों के काफी आगे निकल चुके हैं। परिवार के किसी सदस्य की याद में कार्यक्रम के आयोजन का प्रयास सभी को साथ लाने में सहायक हो सकता है।

रचनात्मक करें

ज्यादातर समय शोक को भुलाकर आगे बढ़ने के लिए अतिरिक्त प्रयास की जरूरत होती है। साइकिल चलाना या मैराथन में दौड़ना हमारे भावनाओं को कंट्रोल में रख सकता है। किसी अच्छे कार्य के लिए स्वैच्छिक योगदान देना भी आपको शांति प्रदान कर सकता है। दुख से राहत पाने के लिए कला, कविता या शिल्प को भी माध्यम बनाया जा सकता है।

यदि आपने अपने किसी प्रिय को खो दिया है और इस दुख से निकलने का प्रयास कर रहे हैं, या दुख ने आपको अपने में समा लिया है, तो धैर्य रखें। यह आसान हो सकता है। इससे धीरे-धीरे बाहर आने का प्रयास आपके शोक को कम कर सकता है। समय के साथ-साथ आपके प्रियजन आपके लिए शोक का कारण नहीं, बल्कि याद बन जाएंगे।

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