सकारात्मक सोच: एक दवा

सकारात्मक सोच: एक दवा जो हर तरह से हमें ठीक करती है

एक कहावत तो हम सबने सुनी है कि ‘पानी का ग्लास आधा भरा है या फिर आधा खाली’। इसका सीधा-सा मतलब है कि हर चीज़ हमारी सोच पर निर्भर करती है। सकारात्मक रहने का सीधा-सा मतलब है कि अच्छी चीज़ों पर हम फोकस करना।

हर दिन हमारे दिमाग में हज़ारों विचार आते हैं। कुछ तो आकर चले जाते हैं, तो कुछ के बारे में हम सोचते ही रह जाते हैं। हर विचार के कारण हमारे दिमाग में खास बायोकेमिकल रिएक्शन होते हैं। इसके कारण से दिमाग में अलग-अलग तरह के केमिकेल मैसेंजर बनते हैं। गलत विचार के कारण जो केमिकल मैसेंजर बनते हैं, उनसे बेचैनी, डर और गुस्से की भावनाएं पैदा होती हैं। ऐसे में गलत विचार हमारे दिमाग में नेगेटिविटी भर देते हैं। 

वहीं, जब हम कुछ अच्छा सोचते हैं, तो हमारे दिमाग से जो हार्मोंस निकलते हैं, वो हमें खुशी का एहसास दिलाते हैं। इससे हमारा मूड भी अच्छा हो जाता है। हर सोच से एक दिमागी प्रक्रिया जुड़ी हुई होती है। अगर आप पॉज़िटिव सोच के साथ कोई भी काम करना शुरू करेंगे, तो बहुत ही आसानी से उस काम को पूरा कर लेंगे। 

एक कहावत तो हम सबने सुनी है कि ‘पानी का ग्लास आधा भरा है या फिर आधा खाली’। इसका सीधा-सा मतलब है कि हर चीज़ हमारी सोच पर निर्भर करती है। सकारात्मक रहने का अर्थ है कि अच्छी चीज़ों पर फोकस करना। चाहे हालात कैसे भी हों, हमें पॉज़िटिव एप्रोच का साथ जीवन जीना चाहिए। सकारात्मक सोच (Positive Thought) रखने से हमारा मेंटल हेल्थ भी अच्छा रहता है। 

तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे सकारात्मक सोच के बारे में। साथ ही आप यह भी जानेंगे कि कैसे सकारात्मक सोच (Sakaratmak Soch) एक ऐसी दवा है, जो हर तरह से हमें ठीक कर देती है।

कैसे रख सकते हैं हम अपने आप को सकारात्मक? (Kaise rakh sakte hain hum apne aap ko sakaratmak?)

खुद को सकारात्मक रखना जीवन में बहुत ही ज़रूरी है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि आप गलत चीज़ों को देखें ही नहीं। आप अगर सकारात्मक रहेंगे, तो आप खराब परिस्थिति में भी खुद को पॉज़िटिव रखते हुए परेशानियों से निकल जाएंगे। सकारात्मक रहने के लिए जो सबसे पहली चीज़ है, वो है कि नेगेटिविटी को पहचाना। अगर आप नकारात्मकता को पहचान लेंगे, तो खुद इससे दूर हो जाएंगे या फिर सतर्क रहने लगेंगे। यह दूरी आपको पॉज़िटिव बने रहने में मदद करेगी। पॉज़िटिव रहने के लिए ज़रूरी है कि आप ऐसे लोगों के ग्रुप में रहें, जो पॉज़िटिव एप्रोच रखते हों। उससे यह होगा कि आपको प्रेरणा मिलेगी कुछ अच्छा करने का। वहीं, सकारात्मक रहने के लिए यह भी ज़रूरी है कि अपने आप से प्यार करें। 

सकारात्मक रहने के लिए खुद अपने आप का दोस्त बनें। वहीं, कभी भी किसी से बराबरी या तुलना न करें। तुलना करने से आप नेगेटिविटी की ओर बढ़ते चले जाएंगे। ऐसी स्थिति में आप अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। इसलिए ज़रूरी है कि हमेशा सकारात्मक सोच के साथ काम किया जाए। एक रिसर्च के अनुसार मनन (चिंतन) करने वाले लोग सकारात्मक होते हैं। ऐसे लोगों के जीवन में पॉज़िटिविटी बरकरार रहती है। वे काफी कुशल भी होते हैं। 

सकारात्मक रहने के लिए छोटी-छोटी चीज़ों को करें सेलिब्रेट (Sakaratmak rahne ke liye choti-choti chizon ko karein celebrate) 

ज़िंदगी में सकारात्मक रहने के लिए ज़रूरी है कि आप अपनी सोच में पॉज़िटिविटी लाएं। आप छोटी उपलब्धियों को लेकर सोचते होंगे कि इसके लेकर जश्न मनाने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन ऐसा नहीं है। आप जब भी छोटी-छोटी उपलब्धियों को पाने के बाद जश्न मनाते हैं, तो उस दौरान आपका दिमाग पॉज़िटिव तरीके से काम करता है। इसका फायदा यह होता है कि आप खुद में नई एनर्जी पाते हैं, कुछ भी नया करने के लिए। 

जब भी सेल्फ टॉक करें पॉज़िटिव चीज़ों को लेकर करें (Jab bhi Self Talk karein positive chizon ko lekar karein) 

हर इंसान खुद से बात करता है और अपने सुख-दुख के बारे में सोचता है। लेकिन, खुद से बात करने के दौरान आप किसी भी तरह की परेशानियों को लेकर ज़्यादा न सोचें। अगर आप ऐसा करेंगे, तो आप नेगेटिव होते चले जाएंगे। ऐसे में ज़रूरी है कि जब भी सेल्फ टॉक करें, तो खुद से खुशियों वाली बातें करें। इससे आपका दिमाग हेल्दी रहेगा और आपको अंदर से पॉज़िटिविटी बरकरार रखने में मदद मिलेगी।

पॉज़िटिव रहने के लिए रहें खुश (Positive rahne ke liye rahein khush) 

जीवन में सकारात्मक रहने के लिए ज़रूरी है कि हमेशा खुश रहें और मुस्कुराते रहें। जीवन में परिस्थितियां चाहे कैसे भी हों, अगर आप मुस्कुराते रहेंगे, तो सभी परेशानियों से काफी आसानी से निकल जाएंगे। हर दिन हंसते-मुस्कुराते रहने से आपको तनाव नहीं होगा। वहीं, जो भी शिकायतें हैं, वो खुद ही आपसे काफी दूर चली जाएंगी।

सकारात्मक सोच के फायदे (Positive thinking ke fayde)

अगर आप राह चलते किसी भी इंसान से बात कर लें तो आपको लगेगा कि हर इंसान कहीं-न-कहीं दुखी ही है। कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है? इसके पीछे का कारण है दूसरों से तुलना करना, खुद को कम आंकना, खुद में कमियां ढूंढना, सोशल मीडिया की दुनिया को सच मानना। इन जालों से बाहर निकालने में सिर्फ सकारात्मक सोच ही मदद कर सकती है।

सकारात्मक सोच रखने से हम मोटिवेशन से भर जाते हैं। पॉज़िटिव थिंकिंग हमें आगे बढ़ते रहने में भी मदद करती है, वो भी बिना किसी टेंशन के। सकारात्मक सोच की शक्ति हमें हमारे मंज़िल को पाने में भी मदद करती है। अगर हम खुद को सकारात्मक बनाए रखते हैं तो हम कुछ भी बन सकते हैं, कुछ भी पा सकते हैं और हमेशा खुश भी रह सकते हैं। याद रखें मन के जीते जीत है और मन के हारे हार।

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