भावनात्मक संवेदनशीलता, संवेदनशील व्यक्ति

भावनात्मक संवेदनशीलता को संभालने के 5 तरीके जानें

संवेदनशील होना भावनात्मक बुद्धिमत्ता की निशानी है, बहुत अधिक भावनात्मक संवेदनशीलता आपके लिए बुरी भी हो सकती है।

आपको कभी ऐसा एहसास हुआ है कि आम सी लगने वाली बात पर आप अत्यधिक भावुक हो जाते हैं! क्या आप ऐसी परिस्थितियों से अक्सर घबरा जाते हैं, जो दूसरों के लिए आसान होती है? क्या आप अक्सर छोटी-छोटी बातों में उलझ जाते हैं और सोचने पर मजबूर हो जाते हैं? क्या आप दूसरों की बातों और कार्यों से आसानी से दुखी हो जाते हैं? यदि आपका उत्तर ‘हां’ है, तो आप ‘अत्यधिक संवेदनशील व्यक्ति’ हो सकते हैं। लेकिन आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।

संवेदनशील व्यक्तित्व होना अच्छी बात है और भावनात्मक होना बुद्धिमत्ता का संकेत है। लेकिन बहुत अधिक भावनात्मक संवेदनशीलता (Emotional sensitivity) आपके लिए बुरी भी हो सकती है। यदि आपको अक्सर कहा जाता है कि ‘आप बहुत सेंसटिव हैं’, तो आपको उदास होने की ज़रूरत नहीं है। 5 ऐसे तरीके हैं, जिनसे आप अपनी भावनाओं पर काबू रख सकते हैं और अपनी संवेदनशीलता को संभाल सकते हैं।

अपनी भावनाओं को नोट करें (Apni bhavnao ko note karen)

अपनी भावनाओं को खुद पर हावी होने से रोकने के लिए आप उसके बारे में लिखें कि कैसा महसूस करते हैं। यह ऐसी प्रक्रिया है, जिससे किसी भी परिस्थिति का सामना करने से पहले आप जो महसूस कर रहे होते हैं, उसके बारे में समझ पाते हैं। लिखते समय नकारात्मक या सकारात्मक पहलुओं के बारे में न सोचें, बस उस समय आप जो महसूस कर रहे हैं, उसे लिखें। यह आपको सभी उलझनों से बाहर निकालने, स्थिति को सुलझाने और आप पर पड़ रहे प्रभाव के बारे में समझने में मदद करेगा। यह आपको किसी भी स्थिति को बेहतर ढंग से संभालने और उसका सही जवाब देने के काबिल बनाएगा। जब भी कभी आपको लगे कि आप भावनात्मक हो रहे हैं या आप किसी दुखद स्थिति से गुज़रे हैं, तो अपने मन की सारी बातें लिखें। जैसे ही आप इसे अपनी आदत बना लेंगे, आप अपने भावनात्मक संवेदनशीलता पर कंट्रोल करना सीख लेंगे।

फीडबैक लें (Feedback len)

यदि आपके काम की कभी आलोचना होने पर आपने कुछ ऐसी प्रतिक्रिया दी है, जिसके बारे में आपने कभी सोचा भी न था। ऐसी परिस्थितियों में फीडबैक लेना ही समझदारी होगी। इसे एक मजाक के रूप में लेने की जगह फीडबैक कमेंट पर अपना ध्यान लगाएं। हमेशा ध्यान रखें कि आपको प्राप्त फीडबैक आपके लिए व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि आपको काम में बेहतर बनाने का एक तरीका है। नकारात्मकता पर ध्यान देने से सिर्फ आपको तनाव और भावनात्मक संवेदनशीलता महसूस होगी।

जवाब देने से पहले सोचें (Jawab dene se pahle sochen)

आमतौर पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने और जवाब देने में सिर्फ एक सेकंड का समय लगता है। शायद यही हमारी सबसे बड़ी गलती होती है। जवाब देने से पहले प्राप्त जानकारी को समझने के लिए हमेशा थोड़ा समय लेने की सलाह दी जाती है।

कभी-कभी हम आसानी से यह तुरंत मान लेते हैं कि दूसरे व्यक्ति की मंशा या शब्द आपको ठेस पहुंचाने के लिए है। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। हमारी भावनात्मक संवेदनशीलता हमें नकारात्मकता की ओर धकेलती है। यह हमें ऐसी बातें कहने के लिए प्रेरित करती है, जिनका पछतावा हमें भविष्य में हो सकता है। जब आप स्थिति को समझने के लिए कुछ समय लेते हैं, तो आप समझते हैं कि सामने वाला व्यक्ति कहना क्या चाहता है। इसके बाद आप खुद को उस स्थिति में रखकर सोचते हैं।

भावनात्मक संवेदनशीलता के मूल कारण का पता लगाएं (Bhavnatmak samvedansheelta ke mul karan ka pata lagaye)

आपको खुद से कुछ अहम सवाल पूछने चाहिए, जैसे, “आपको किस बात पर गुस्से में लाल हो जाते हैं?”; “किस बात से आपको स्ट्रेस होता है?”; “आपको किस बात से दुख होता है?” जब आपको नकारात्मक भावनाओं के मूल कारण के बारे में पता होगा, तो आप उन्हें जल्द सुलझा पाएंगे। सकारात्मक तरीके से समस्या का सामना करने के लिए आपको पहचानना होगा कि आपको क्या पसंद है, ताकि आप मानसिक रूप से खुद को तैयार कर सकें।

मान लीजिए कि अगर किसी का फीडबैक आपको तनाव देता है, तो कोई भी काम पूरा करने से पहले कोशिश करें कि आपके काम में कोई गलती न हो। इसके बाद जब आपको फीडबैक मिले, तब खुद से कहें कि यह आपको और आपके काम को बेहतर बनाएगा

सकारात्मक पहलू की तलाश करें (Sakaratmak pahlu ki talash karen)

आपका दिमाग एक ऐसी मशीन है, जिसमें जो फीड करेंगे वह वही देखेगा। दिमाग आपके पिछले अनुभवों के आधार पर ही किसी स्थिति को देखता और समझता है। यदि आप अपने दिमाग को सकारात्मक देखने के लिए प्रेरित करेंगे, तो कठिन समय में भी आपका दिमाग खुद-ब-खुद उसमें सकारात्मकता ढूंढेगा। यह आपकी भावनात्मक संवेदनशीलता को नियंत्रित करने में मदद करेगा।

कोशिश करें कि हमेशा सकारात्मक माहौल में रहें। सकारात्मक लोगों से मिलें, ऑनलाइन मोटिवेश्नल कंटेंट देखें और ऐसे काम करें, जिनसे आपको खुशी मिलती है। आप जीवन में जितनी अच्छी चीज़ों पर ध्यान देंगे, उतना ही आप आगे बढ़ेंगे। यदि आप अपने जैसे अन्य लोगों को जानते हैं, जो अतिसंवेदनशील या भावनात्मक संवेदनशीलता का सामना कर रहे हैं, तो उनसे बात करें। इससे आप यह जान पाएंगे कि आप दुनिया में अकेले नहीं हैं। इस तरह आप न केवल अपनी बल्कि दूसरों की भी मदद कर सकेंगे।

संवेदनशील व्यक्ति होना कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक अस्थायी समस्या है। यदि आप नहीं जानते हैं कि भावनात्मक संवेदनशीलता से कैसे निपटा जाए, तो यह आपके जीवन को कठिन बना सकता है। जितना ज़्यादा आप खुद को शिक्षित और प्रशिक्षित करते हैं, आपके लिए किसी परिस्थिति को सरल और संतुलित तरीके से देखना उतना ही आसान हो जाता है। संवेदनशीलता को कम होने में समय लगता है, इसलिए धैर्य बनाए रखें और सही समय पर अपनी भावनाओं को संभालने के लिए खुद पर भरोसा करें। इससे आप खुद में आत्मविश्वास महसूस करेंगे।

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