अच्छे स्वास्थ्य का मतलब है मन, शरीर व आत्मा के बीच सटीक संतुलन। स्वस्थ शरीर, शांत मन और निर्मल आत्मा हमें जीवन में उन चुनौतियों का सामना करने की शक्ति देती हैं, जिनका हम आएदिन की ज़िंदगी में सामना करते हैं। लेकिन इस बैलेंस को बनाए रखना हर किसी के बस की बात नहीं होती। इन दिनों हमारी लाइफस्टाइल बेतरतीब हो गई है। बेहिसाब तनाव और मिलावटी खाना हमारे स्वास्थ को प्रभावित कर रहा है। इसका ही परिणाम है कि अच्छे स्वास्थ्य का संतुलन बिगड़ जाता है, जिसका प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। 

आपको सुनने में यह बात अजीब लगे, लेकिन सच्चाई यही है कि अच्छा स्वास्थ्य (Good health) ही असली धन होता है। इस धन को बढ़ाने और बनाए रखने के लिए हमें अपने मन, शरीर और आत्मा का ध्यान रखना चाहिए। आज विश्व स्वास्थ्य दिवस पर सोलवेदा ने स्वास्थ्य क्षेत्रों में काम करने वाले कुछ विशेषज्ञों से बात कर उनसे जाना कि हम कैसे अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं।

  • नीलम कुमार

    लेखक एवं ‘कैंसर सर्वाइवर’

    मेरा अपने स्वास्थ्य के साथ काफी रोमांचक रिश्ता रहा है। जवानी में मैंने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया। जीवन के मध्य में इस बात पर मेरा ध्यान अकादमिक दृष्टि से गया। जब दूसरी बार मुझे कैंसर हुआ। इसके बाद मुझे अहसास हुआ कि मुझे जीवन के रूप में कितना अनमोल उपहार मिला है। जब आपका शरीर, मन और आत्मा एक सुर में काम करते हैं, तो एक अद्भुत जीवन शक्ति आपके भीतर से उत्पन्न होती है। यह जीवन शक्ति एक उफनती धारा होती है, जो व्यक्ति को चुनौती से निपटने की हिम्मत देती है। ऐसे व्यक्ति के पास सटीक रवैया होता है, जो सकारात्मक ऊर्जा पैदा कर हर चुनौती को एक अवसर समझने की सीख देता है। फिर वह व्यक्ति अपने अंदरूनी दायरे का विस्तार कर उन्हें इसमें शामिल करता है, जिन्हें उसकी ज़रूरत होती है। वह खुद के अस्तित्व को भलाई करने वाला बना लेता है। ऐसे ही लोगों को हम सही मायनों में अच्छा स्वास्थ्य वाला व्यक्ति कह सकते हैं।

  • बिंदिया मुर्गई

    मेंटल फिटनेस कोच

    स्वस्थ होने का मतलब मेंटली व फिजिकली तौर पर बैलेंस होना है। मन, शरीर व आत्मा का विचार ही व्यक्ति के स्वास्थ्य की नींव होती है। यदि इसमें से कोई एक बिगड़ जाए, तो अन्य बातें भी इससे प्रभावित होती हैं। यह बैलेंस अंदर की शांति व स्वास्थ्य के बीच आंतरिक संबंध कायम करने में मदद करता है। एक-दूसरे को प्रभावित करने की क्षमता विकसित होती है व इन तीनों की देखभाल करने से ही संभव होता है। ऐसा हम अच्छा भोजन करके, नियमित शरीर और मन का व्यायाम व ध्यान लगाकर कर सकते हैं। हमें अपने प्रति संतुष्ट होना होगा। खुद की कीमत का मान रखते हुए टेक्नोलॉजी की मदद लेकर स्वस्थ दायरा बनाकर छोटे और बड़े लक्ष्य तय करने होंगे। इसके अलावा हमें ऐसे लोगों को अपने जीवन में लाना होगा, जो हमारे लिए उपयोगी साबित हों। उन लोगों को हमें अपने जीवन से बाहर निकाल देना चाहिए, जो कि हमें तकलीफ देते हैं। यही अच्छा स्वास्थ्य का मूल मंत्र है।

  • जीन-डी-आर्क जब्बोर राजगोपाल

    प्राणिक हीलर

    आज कल लोगों की समझ में यह बात आ रही है कि हम, शरीर मात्र से कुछ ज्यादा हैं। हमारे शरीर में एक अनदेखी लेकिन अहम एनर्जी है, जो हमें जीवित व सक्रिय रखती है। यह ऊर्जा प्राण शक्ति से मिलती है (जीवन शक्ति व इसे ची भी कहते हैं) और यह हमारे शरीर को एनर्जेटिक बनाती है। दोनों के बीच गहरा संबंध होता है। प्राण के बिना शरीर मर जाता है। जब हम इस बात को समझ लेते हैं, तो हम इस प्राण का ध्यान रखना शुरू कर अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं। हमें कुछ मूल बातों का भी ध्यान रखना होगा, जैसे अच्छा भोजन जो हमारे शरीर को पोषित रखे, व्यायाम और संतुलित जीवनशैली। हमें अपने अच्छा स्वास्थ्य का सभी प्रकार से ध्यान रखना होगा, जिसमें शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक स्वास्थ्य शामिल हैं। आखिरकार इन बातों को जोड़कर ही तो हम ‘हम’ बने हैं।

  • आर एक्स मुरलीधर

    मुख्य कोच, केपीएल टीम मैसूर वारियर्स

    अधिकांश लोग अपने शारीरिक स्वास्थ्य पर ही ध्यान देते हैं, क्योंकि हमें इसे स्वस्थ रखने की आदत होती है। हम इस पर काम करना भी जानते हैं। लेकिन काफी लोगों को यह पता नहीं होता कि अपने मानसिक स्वास्थ्य को ठीक कैसे करना है। मानसिक स्वास्थ्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम कैसा महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा हमारे आसपास मौजूद अच्छी और बुरी ऊर्जा पर भी यह टिका होता है। जब हम इन ऊर्जाओं पर विजय प्राप्त करने का तरीका खोज लेते हैं, तो हम हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी विजय प्राप्त कर सकते हैं। इसके बाद ही हमारे सामने यह यक्षप्रश्न उत्पन्न होता है कि हमारे जीवन का क्या उद्देश्य है। एक खिलाड़ी के रूप में मेरी समग्र सोच यही है कि जो मन सोचता है शरीर उसका ही सृजन कर देता है। इसीलिए केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ होना काफी नहीं होता। बड़े एथलीट मन, शरीर और आत्मा तीनों को आपस में जोड़ लेते हैं। जो कि अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है।

  • अर्चिता रेड्डी

    मनोचिकित्सक

    हमारा शरीर किसी भी व्यक्ति की लाइफस्टाइल में आने वाले अनुभवों को संजोए रखता है। यह अनुभव भावना और विचारों के रूप में जमा होते हैं। फिर चाहे यह सकारात्मक हो या नकारात्मक। शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हम अच्छा भोजन कर कसरत किया करते हैं। इसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए हमें मन को महत्व देना होगा। रोजाना 15 से 20 मिनट खुद के साथ गुजारें, ताकि यह महसूस कर सकें कि आपको क्या लग रहा है। जो बात आप शरीर को देते हैं, उसी से आप मानिसक रूप से स्वस्थ होते हैं। इसी प्रकार जो आप मन में सोचते हैं, वही आपके शरीर पर परिलक्षित होता है।

  • डॉ मणिकांतन मेनन

    आयुर्वेदिक फिजिशियन

    जब हम कड़ी मेहनत के बाद सोते नहीं हैं, तो हमारे स्वास्थ्य पर उसका गलत असर पड़ता है, हम बीमार हो जाते हैं। इसी कारण हमें सबसे पहले अपने मन का ध्यान रखना होगा। यदि हमारी भावनाएं असंतुलित होंगी, तो बाकी बात अपने आप बिगड़ सकती है। इसीलिए आयुर्वेद में लोगों को संगीत सुनने, ध्यान करने व योग अपनाने की सलाह दी गई है। जब हम ध्यान करते हैं, तो हमारी जीवन शक्ति मज़बूत होती है, जिसमें हमें स्वस्थ रखने की क्षमता है। यह भावनाओं को भी संचालित करने का काम करती है। इसके उपयोग से तनाव भी नियंत्रित रहता है और तनाव से होने वाली बीमारियों को भी दूर रखा जा सकता है। इसीलिए संतुलन ज़रूरी होता है।