Alzheimer Day

अल्जाइमर दिवस: अल्जाइमर रोग के प्रति जागरूक करता एक खास दिन

अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्ति को न अपने खाने का होश होता है और न पहनने का। कभी-कभी व्यक्ति खुद को शीशे में देखकर भी पहचान नहीं पाता। बात करते-करते उसी बात को भूल जाना या कहीं बाहर टहलते हुए घर का पता भूलने जाने पर वापस अपने घर न आ पाना, इस बीमारी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।

क्या कभी आपने सोचा है कि क्या हो अगर हम अपने सबसे प्रिय इंसान का नाम और चेहरा ही न पहचान पाएं या वो हमें पूरी तरह भूल जाएं? अल्जाइमर नामक मानसिक बीमारी में ऐसा ही होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति की याददाश्त धीरे-धीरे कम होती जाती है। लोगों के नाम याद रख पाना मुश्किल हो जाता है और धीरे-धीरे व्यक्ति अपने-आप को भी भूलने लगता है।

अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्ति को न अपने खाने का होश होता है और न पहनने का। कभी-कभी व्यक्ति खुद को शीशे में देखकर भी पहचान नहीं पाता। बात करते-करते उसी बात को भूल जाना या कहीं बाहर टहलते हुए घर का पता भूलने जाने पर वापस अपने घर न आ पाना, इस बीमारी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।

चिंता और डिप्रेशन से भी अल्जाइमर की बीमारी हो सकती है। लोगों में बढ़ते अल्जाइमर के प्रति जागरूकता के लिए अल्जाइमर दिवस की नींव रखी गई है ताकि लोग अल्जाइमर की बीमारी के लक्षण और उपचार को समझ सकें। और उनके आस-पास जो भी लोग इस बीमारी के शिकार होते हैं, उनका अच्छे से ध्यान रख सकें। आइए जानें अल्जाइमर दिवस कब मनाया जाता है, इसे भूलने की बीमारी क्यों कहते हैं और आखिर ये बीमारी होती कैसे है?

अल्जाइमर दिवस कब मनाया जाता है? (Alzheimer divas kab manaya jata hai?)

अल्जाइमर रोग के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 21 सितंबर को अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। हर साल इस दिन के लिए एक खास थीम रखी जाती है। इस साल अल्जाइमर दिवस का थीम है ‘न ही कभी बहुत ज़ल्द होता है और न ही कभी बहुत देर’। अल्जाइमर दिवस के दिन विश्वभर के लोगों को अल्जाइमर रोग के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में जागरूक किया जाता है। दुनियाभर में कई लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। उनके प्रति सहानुभूति रखने के लिए और उनकी मदद करने के उद्देश्य से भी अल्जाइमर डे मनाया जाता है।

अल्जाइमर रोग की जानकारी (Alzheimer rog ki jankari)

अल्जाइमर एक मानसिक रोग है, जिसके कारण संबंधित व्यक्ति धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खो देता है। शुरुआत में वो अपनी चीज़ें इधर-उधर रख कर भूल जाता है। पर समय के साथ-साथ ये बीमारी बढ़ती जाती है। फिर उसे हाल ही हुई घटनाएं भी याद नहीं रहतीं। लोगों के नाम याद करने में दिक्कत होती है। पीड़ित व्यक्ति परिवार के सदस्यों को भी भूलने लगता है। यहां तक भी उसे ये भी याद नहीं रहता कि उसने खाना कब खाया था।

अल्जाइमर के लक्षण ज़्यादतर बूढ़े लोगों में 60 के बाद ही देखने को मिलते हैं पर इसकी शुरुआत 40 की उम्र से भी हो सकती है। यह बीमारी आनुवंशिक भी हो सकती है। खाने में पोषण की कमी, डिप्रेशन या अन्य कोई शारीरिक बीमारी के कारण भी अल्जाइमर हो सकता है।

क्यों होता है अल्जाइमर? (Kyon hota hai Alzheimer?)

क्षतिग्रस्त ऊतक (damaged tissues) दिमाग में प्लाज्मा या टैंगल्स के रूप में जमा हो जाते हैं, जिसकी वज़ह से दिमाग के आस-पास की कोशिकाएं मर जाती हैं।

अल्जाइमर दिमाग के रसायन, खासकर ऐसिटाइल कोलिन आदि को प्रभावित करता है। ये रसायन एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक संदेश पहुंचाते हैं। ये बीमारी धीरे-धीरे पैदा होती है और कुछ वर्षों में अपना असर दिखाती है। कुछ परिवारों में यह बीमारी आनुवांशिक होती है, और डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्तियों को ज़्यादा होती है।

अल्जाइमर की बीमारी याददाश्त और सोच में समस्या पैदा करती है, जिससे नई जानकारी को याद करने और सीखने में परेशानी होती है। पीड़ित व्यक्ति को हाल में घटी घटना, किसी से मिलना या फोन पर बात करना तक भी याद नहीं रहता।

क्या भूलने की बीमारी का नाम है अल्जाइमर? (Kya bhulne ki beemaari ka naam hai Alzheimer?)

भूलने की बीमारी यानी याददाश्त का चले जाना। ये बिल्कुल वैसा है जैसे किसी स्मार्टफोन में फोटो और वीडियो सेव करने के लिए बने, मेमरी कार्ड का डेटा मिट जाना। अल्जाइमर की बीमारी में ठीक वैसे ही दिमाग में मौजूद हर मेमोरी मिट जाती है और नई मेमोरी रखने में भी दिक्कत होती है।

मनोविज्ञान में भूलने की बीमारियों को अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं। शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस, लॉंग टर्म मेमोरी लॉस, अल्जाइमर और डिमेंशिया। हालांकि, ज़्यादतर भूलने की बीमारी का नाम अल्जाइमर या डिमेंशिया ही समझा जाता है।

दुर्भाग्य से भूलने की बीमारी को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता। पर रोगी की उचित देखभाल और कुछ दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। बीमारी चाहे फिजिकल हो या मेंटल,  रोगी को ठीक होने के लिए इमोशनल सपोर्ट की ज़रूरत होती है।

दवा भी तभी असर करती है जब दवाओं के साथ पीड़ित व्यक्ति को प्यार और स्नेह मिले। कोशिश करें कि रोगी को आप दोनों ही चीज़ें दे पाएं ताकि बीमारी के असर को कम करने में मदद मिल सके।

आज आपने अल्जाइमर दिवस के बारे में जाना। आप भी अल्जाइमर रोग से पीड़ित लोगों की मदद करके इस दिन को सार्थक बना सकते हैं।

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