चाणक्य नीति

राधाकृष्णन पिल्लई की चाणक्य नीति

चाणक्य के जीवन के अमूल्य सिद्धांतों को समझाने के लिए राधाकृष्णन पिल्लई ने अद्भुत आधुनिक नज़रिया अपनाया है, जो लोगों के जीवन में बदलाव की वजह बना है।

लोग चले जाते हैं, लेकिन उनके काम और नाम याद रह जाते हैं। लेकिन सिर्फ वही नाम हज़ारों साल ज़िंदा रहते हैं, जो लाखों लोगों की ज़िंदगी को या तो बदल पाते हैं या छू पाते हैं। मौर्य साम्राज्य के राजा चंद्रगुप्त मौर्य के शाही सलाहकार चाणक्य भी एक ऐसा ही नाम हैं। सदियों बाद भी चाणक्य की विचारधारा, उनकी नीति के ज़रिए सभी उन्हें जानते हैं। क्योंकि लोगों की सफलता और खुशहाल जीवन के पीछे कहीं ना कहीं चाणक्य नीति प्रेरणा का स्रोत है। प्राचीन दार्शनिक और अर्थशास्त्री चाणक्य न सिर्फ एक उम्दा किंगमेकर थे, बल्कि एक महान शिक्षक भी थे। चाणक्य अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति के लिए वह आज भी पूजनीय हैं, जो उन्होंने तीसरी शताब्दी ईस्वी में नेतृत्व और शासन के बारे में लिखा था। चाणक्य अर्थशास्त्र ने राजाओं को अपने साम्राज्य का विस्तार करने का विचार दिया, तो वहीं चाणक्य नीति ने औसत व्यक्ति को अपने दायरे को बढ़ाने और खुशी व सफलता हासिल करने में सक्षम बनाया।

चाणक्य की विरासत आज डॉ. राधाकृष्णन पिल्लई के कार्यों में जीवित है, जिन्होंने समकालीन जीवन और आधुनिक प्रबंधन के साथ अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति के ज्ञान को सहजता से लिखा है।

डॉ. पिल्लई की पुस्तक ‘चाणक्य नीति : स्ट्रेटजी फॉर सक्सेस’ में नीति को एक नए नज़रिए से समझने का तरीका बताया गया है। इस बेस्ट सेलिंग लेखक ने चाणक्य नीति के छंदों को रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जोड़कर, उसे लागू करने का आसान तरीका बताया। ‘चाणक्य नीति : स्ट्रेटजी फॉर सक्सेस’ निजी जीवन से लेकर पेशेवर ज़िंदगी तक जीवन के सपनों और लक्ष्यों को हकीकत में बदलने के लिए ज्ञान से भरपूर है।

यह किताब हमें सांसारिक और आध्यात्मिक ज्ञान, धन प्रबंधन, संबंधों में विस्तार, समय का उपयोग और जीवन के लक्ष्यों के बारे में सिखाती है। सभी अध्याय को दार्शनिक अवलोकन के छंदों के साथ लिखा गया है, जो हमें सिखाते हैं कि हम खुद से भी ज्यादा बेहतर कैसे बनें। इस किताब में सभी छंदों की व्याख्या डॉ. पिल्लई ने सहजता से की है।

“बंधंय विषयासङ्गः मुक्त्यै निर्विषयं मनः। मन एव मनुष्याणां कारणं बंधमोक्षयोः॥” इस श्लोक का अर्थ है कि मानव का मन वास्तव में बंधन और मुक्ति का कारण है; आनंद और प्रेम से मन को हटा लेना ही मोक्ष का मार्ग है। इस श्लोक में मानव के मन को मित्र या शत्रु की तरह दिखाया गया है; जो व्यक्ति को सफलता और पतन दोनों की ओर कैसे ले जा सकता है। यह मनुष्य के स्व-विवेक पर निर्भर करता है। डॉ. पिल्लई ने इस श्लोक के स्पष्टीकरण में अपना मन आगे केंद्रित करने और अपने पसंद की नियति बनाने के लिए ध्यान की शक्ति के बारे में बताया है।

चाणक्य नीति में धन पर आधारित विशिष्ट छंद सिर्फ भौतिकवादी दुनिया की बात नहीं करते हैं, बल्कि धन की सही परिभाषा को समझाते हैं। डॉ. पिल्लई अपने पुस्तक के ज़रिए बताते हैं कि बुरी आदतें जैसे- देर से सोना, व्यक्तिगत स्वच्छता न रखना या पैसे कमाने के लिए अनैतिकता को अपनाना, किसी व्यक्ति को अमीर नहीं बनने देती हैं।

डॉ. पिल्लई कहते हैं कि “ऐसी संपत्ति का कोई मोल नहीं है।” चाणक्य नीति के छंद धन के विभिन्न पहलुओं को छूते हैं। उदाहरण को तौर पर धन की अवनति और प्रवाह, असहायों की मदद करना, जमीन से जुड़े रहना और दान के महत्व को समझना।

अपनी किताब के ज़रिए डॉ. पिल्लई जीवन के सभी ज़रूरी पहलुओं के बारे में बात करते हैं, जैसे- रिश्ते, पितृत्व व मातृत्व, समाज निर्माण में महिलाओं की भूमिका, नकारात्मकता और सकारात्मकता। ‘चाणक्य नीति: स्ट्रेटजी फॉर सक्सेस’ में वह सब कुछ है जो एक सेल्फ-हेल्प बुक में होनी चाहिए। इस किताब की सबसे बेहतरीन चीज़ है इसकी सरलता, जो अवधारणाओं को आसानी से समझने में मदद करती है और इसे अन्य पुस्तकों से अलग बनाती है। किसी के लिए भी 2000 वर्ष पहले के विचार समझना आसान बात नहीं है। फिर भी डॉ. राधाकृष्णन पिल्लई की इस नवीनतम कृति ने लोगों को आज की दुनिया की दार्शनिक ज़रूरतों के बारे में जागरूक किया है और लोगों के जीवन में बदलाव की वजह बना है।

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