राधाकृष्णन पिल्लई, कथा चाणक्य

राधाकृष्णन पिल्लई द्वारा लिखित कथा चाणक्य

प्रतिबद्धता, आत्म-अनुशासन, नम्रता और धन-दौलत जैसे विषयों की खोज करती चाणक्य और सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य की कहानियों का यह संग्रह किसी भी उम्र के पाठक के लिए उपयुक्त है।

कॉर्पोरेट चाणक्य के इस लेखक को किसी भी परिचय की आवश्यकता नहीं है। राधाकृष्णन पिल्लई ने मूल रूप से चाणक्य के अर्थशास्त्र के साथ कॉर्पोरेट प्रबंधन का ताना-बाना बुना था, जो चाणक्य के समान ही एक बुद्धि का खजाना था। उन्होंने इस कार्य को फिर से अंजाम दिया और इस बार कहानियों के साथ। कथा चाणक्य, चाणक्य द्वारा उनके समर्थ छात्र सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य को दिए गए पाठों की कहानियों का एक संग्रह है।

शुरू से ही कथा चाणक्य यह सिद्ध कर देती है कि इसमें संतों की पुस्तकों जैसी कोई शिक्षा नहीं है, बल्कि यह चतुर जीवन कौशलों में से एक है। इस कहानी को उदाहरण के तौर पर लीजिए। चाणक्य ने एक अविश्वासी राजा धनानंद को गद्दी से उतार कर जंगल में एक तपस्वी का जीवन जीने के लिए भेज दिया था। यह नरम व्यवहार मौर्य दरबार को विचलित कर देता है। चाणक्य के अपने आदर्श हैं कि वह राजा के साथ सम्मान का व्यवहार करे। इसलिए वह केवल धनानंद को निर्वासित करते हैं लेकिन तब भी वह जासूसों को उसके पीछे भेजे बिना नहीं रहते।

राधाकृष्णन पिल्लई का चाणक्य की तमाम बातों पर शोध और विशेषज्ञता प्रशंसनीय है, क्योंकि कथा चाणक्य की कुछ कहानियां काल्पनिक भी हैं। राधाकृष्णन पिल्लई ने अपनी संगठित शैली में पुस्तक को तीन भागों में विभाजित किया है ;चाणक्य द टीचर, चाणक्य द मेंटर और द ग्रेटनेस ऑफ चाणक्य। ये भाग क्रमशः निर्धारण, सफलता और खेल में बने रहने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे यह हर पाठक के लिए भरोसेमंद बन जाते हैं।

पुस्तक को अपना बहाव (टोन) मौर्य सम्राट और चाणक्य के बीच के छात्र-शिक्षक संबंधों से मिलता है। जैसे-जैसे चंद्रगुप्त चाणक्य से अपना सबक लेते हैं, पाठक स्वयं रणनीतिक रूप से राजाओं को बनाने वाले से सीख ले लेते हैं। इस तरह पुस्तक का टोन पाठ से सीखने की प्रवृत्ति को जन्म देता है जो पाठकों को एक पूर्ण पठन का अनुभव देता है।

अध्याय स्वयं अच्छी सीख के लिए मार्ग बनाते हैं। सबसे पहले, आचार्य नीति की चर्चा की है जो आपको एक संदर्भ देती है, दूसरी है आचार्य कथा जो कि स्वयं एक कहानी है और अंत में, ‘इनसाइट्स’ जो प्रत्येक कहानी के पाठ का संक्षेपण करते हैं। इसके साथ राधाकृष्णन पिल्लई यह सुनिश्चित करते हैं कि पुस्तक किसी भी पृष्ठभूमि के पाठकों के लिए सरल हो। तो चाहे आप नैतिकता वाली कहानियों की तलाश करने वाले छात्र हो या कोई रणनीतिक युक्तियां खोजने वाले एक पेशेवर, आप यहां ज्ञान ही प्राप्त करेंगे।

कई अन्य तत्वों के साथ प्रतिबद्धता, आत्म-अनुशासन, विनम्रता और धन जैसे विषयों की खोज करने के लिए यह पुस्तक हर उम्र के पाठकों के लिए उपयुक्त है। जातक कथाओं के बाद शायद ही ऐसी कोई नैतिक कहानियों की पुस्तक होगी जिसने बच्चों और वयस्कों दोनों को समान रूप से आकर्षित किया हो। ‘कथा चाणक्य’ इस कमी को दूर करती है।

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