"जानिए काशीनाथ सिंह की कुछ चुनिंदा कहानियों और उनके खास किरदारों के बारे में"

काशीनाथ सिंह की कुछ चुनिंदा कहानियों के खास किरदार

काशीनाथ सिंह के किरदार, उनके अगल-बगल और आस-पड़ोस में रहने वाले आम लोग हैं। ये किरदार कभी चाय पीते हुए या किसी को गरियाते-लतियाते हुए मिल जाएंगे। उनके किरदार सीधे-साधे सरल व्यक्तित्व के साथ-साथ ग्रामीण और लंठई का दामन पकड़े रहते हैं।

हिंदी कथा-साहित्य की बात हो और उसमें काशीनाथ सिंह की बात न हो, तो यह अपने आप में अटपटी-सी बात है। काशीनाथ सिंह हिंदी के उन गिने-चुने लेखकों में से हैं, जिन्होंने साहित्य जगत में अपनी जगह बनाए रखने के लिए काफी संघर्ष किया। वे उत्तर प्रदेश के काशी (बनारस) जैसी जगह से आते हैं, जहां लेखन साहित्यिक कुश्ती से कम नहीं है। बनारस की साहित्यिक राजनीति व अखाड़ेबाजी जगजाहिर है। साथ ही वे हिंदी साहित्य के सबसे बड़े आलोचक में से एक डॉ नामवर सिंह के भाई हैं। साहित्य जगत में संघर्ष के बावजूद उनके अंदर बसे लेखक ने कभी हार नहीं मानी। इसी पॉजिटिविटी ने उन्हें ‘वह’ से ‘वे’ में बदल डाला।

उनके लेखन का केंद्र काशी है। लेकिन उनकी रचनाओं में गांव का परिवेश भी दिखता है क्योंकि वे अपने गांव जीयनपुर से काफी जुड़े हुए थे, साथ ही उनका कर्मस्थल बनारस (काशी) था। उन्होंने अपनी पहली कहानी अपने गांव की ‘ढोला कहारिन’ पर लिखी, जो बड़ी-सी टिकुली लगाती थी, लेकिन यह कहानी कहीं छप नहीं सकी और खो गई।

उनकी कुछ प्रमुख रचनाओं में कहानी संग्रह लोग बिस्तरों पर, सुबह का डर, आदमीनामा, नयी तारा, कल की फटेहाल कहानियां, सदी का सबसे बड़ा आदमी आदि शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने उपन्यास के रूप में अपना मोर्चा, काशी का अस्सी, रेहन पर रग्घू, महुआ चरित, उपसंहार में लिखा। इसके अलावा उन्होंने संस्मरण भी लिखे, जिसमें ‘याद हो न कि याद हो’, ‘आछे दिन पाछे गए’, ‘घर का जोगी जोगड़ा’ शामिल हैं।

काशीनाथ सिंह के किरदार उनके अगल-बगल और आस-पड़ोस में रहने वाले आम लोग हैं। ये किरदार कभी चाय पीते हुए या किसी को गरियाते-लतियाते हुए मिल जाएंगे। उनके किरदार सीधे-साधे सरल व्यक्तित्व के साथ-साथ ग्रामीण और लंठई का दामन पकड़े रहते हैं। ऐसे किरदार आपको बनारस की हर गली में मिल जाएंगे।

उनकी चुनिंदा कहानियों के खास किरदारों पर एक नजर:

‘कविता की नई तारीख’ की सोना

कविता की नई तारीख में सोना का किरदार मध्यर्गीय महिला का है, जो अपने पति के साथ हर हाल में खुश रहती है। अपनी बहन के घर जाने के बाद भी, उसकी और उसके पति की शिकायत को बर्दाश्त करते हुए अपने पति का साथ देती है और अपने घर ले चलने की बात कहती है।  इस कहानी का नायक अपनी उच्चवर्गीय ठाठ और सामंतवादी व्यवस्था के शोषण से खुद को बचाने में सफल, अपनी पत्नी सोना की भूमिका के कारण ही होता है।

‘काशी का अस्सी’ के धर्मनाथ शास्त्री

काशी का अस्सी उपन्यास में धर्मनाथ शास्त्री अस्सी मोहल्ला के पंडितों के मुखिया हैं। उनकी रगों में सिर्फ और सिर्फ धर्म और कर्तव्यनिष्ठा की खून दौड़ती है। वो अपने धर्म और कर्म के प्रति समर्पित रहते हैं, लेकिन बाजार के प्रभाव से बच नहीं पाते हैं। धर्मनाथ शास्त्री पर बाजार का ऐसा प्रभाव पड़ता है कि वे पेइंग गेस्ट रखने का मन बना लेते हैं और वो वहां जहां महादेव का निवास स्थान है। साथ ही पेइंग गेस्ट मादलेन के लिए पश्चिमी शैली का टॉयलेट बनावाने की तैयारी करते हैं, जिससे उनकी भी अच्छी खासी कमाई हो सके। यह धर्मनाथ शास्त्री जैसे कट्टर ब्राह्रमण को अपनी जड़ों से हिला देता है।

‘सिद्दकी की सनक’ के सिद्दकी साहब

काशीनाथ सिंह के लेखन में किरदार भी शिक्षित समाज से ताल्लुकात रखते हैं। वे समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। ‘सिद्दकी की सनक’ में एक ऐसे ही किरादार की कहानी है, जो समाज में बदलाव लाना चाहता है। सिद्दकी साहब न दार्शनिक हैं, न लेखक हैं, न पत्रकार हैं और न जासूस, लेकिन पिछले कुछ सालों से उनके ऊपर एक सनक सवार थी। वे अखबारों में छपनेवाली रोज-रोज की घटनाओं को पढ़ते थे और उनमें उस घटना को चुन लेते थे, जो उनकी समझ में आसानी से आ जाता था और उनके पहुंच के दायरे में था। उस घटना के बारे में वो जानना चाहते थे कि सच्चाई क्या है? व्यवस्था, सिद्दकी साहब जैसे लोगों को सनकी का ही तमगा देती है। इसका कारण है कि आधुनिक समाज में जहां लोगों के पास अपने आप के लिए समय नहीं है, वहां वे समाज के बारे में सोच रहे थे। काशीनाथ सिंह, सिद्दकी साहब जैसे किरदारों के माध्यम से समाज के सोचने के तरीकों के बारे में बताते हैं।

‘सुधीर घोषाल’ के सुधीर

‘आदमीनामा’ इमरजेंसी के बाद प्रकाशित काशीनाथ सिंह की सबसे चर्चित कहानी संग्रह है। इसमें एक कहानी है ‘सुधीर घोषाल’। यह नक्सलवादी आंदोलन से प्रभावित कहानी है। कहानी का मुख्य किरदार सुधीर कोयला मजदूर है, जो कभी सिंगरेनी (दक्षिण) नहीं गया है। इसके बाद भी वहां के मजदूरों पर हुए अत्याचार का बदला लेने के लिए वेस्ट इंडिया कोल कंपनी की बिहार ब्रांच के हेड के यहां नौकर का काम करते हुए मौके की तलाश करता है। इस कहानी में मजदूर क्रांति की छाप दिखती है। इस कहानी में नक्सलवाद का भी असर बखूबी से दिखाया गया है, जो उस समय समाज को प्रभावित कर रहा था।

इन कहानियों और किरदारों के अलावा भी अलग-अलग कहानियों में खास किरदारों के माध्यम से काशीनाथ सिंह ने अपनी बातें कहीं हैं। जैसे ‘कहानी सरायमोहन की’ में मोहन का किरदार, ‘चोट’ में ठाकुर संचा सिंह और निम्न जाति के निकाम की कहानी, ‘वे तीन घर’ में विपत और मदन का किरदार और ‘अपना रास्ता लो बाबा’ कहानी में देऊ का किरदार।

इस आर्टिकल में हमने काशीनाथ के जीवन और उनके द्वारा लिखे गए साहित्य की चर्चा की। यह आर्टिकल पढ़ कर आपको कैसा लेगा, हमें कमेंट करके बताएं। साथ ही इस तरह का और आर्टिकल पढ़ने के लिए पढ़ते रहे सोलवेदा हिंदी।

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