जानें क्या था मैला आंचल हिंदी उपन्यास का उद्देश्य

जानें क्या था मैला आंचल हिंदी उपन्यास का उद्देश्य

मैला आंचल उपन्यास न सिर्फ सामाजिक समस्याओं का बारीकी से चित्रण करता है बल्कि इसका एक गहरा उद्देश्य है। यह समाज की सच्चाई दिखाता है, समाज में होने वाले कुकृत्य को उजागर करता है और ग्रामीण समाज में रहने वाले लोगों के दुख को सामने लाता है।

हिंदी उपन्यास में अक्सर कई ऐसी कहानियां छिपी होती हैं, जो आज भी हम देख रहें होते हैं, मगर हम सोच नहीं सकते कि यह भी एक कहानी है। हिंदी के उपन्यास समाज का एक आईना है, जो समाज में चल रहा है, वह हमें इन उपन्यासों में देखने को मिल जाता है।

आजादी से पहले, आजादी के वक्त और आजादी के तुरंत बाद, एक गांव के लोगों की विचारधारा में किस तरह का अंतर आता है और उन्हें किस तरह के संघर्ष का सामना करना पड़ता है, यह देखने को मिलता है मैला आंचल उपन्यास हिंदी में।

वरिष्ठ लेखक फणीश्वर नाथ रेणु (1921-1977) द्वारा लिखा गया उपन्यास ‘मैला आंचल’ (maila aanchal hindi upanyas) एक आंचलिक (regional) उपन्यास है। उपन्यास की कहानी में किरदार कई हैं, लेकिन मुख्य किरदार अंचल (region) ही बना रहता है। 1954 में प्रकाशित हुए इस उपन्यास की शुरुआत 1946 में बिहार के पूर्णिया जिले के मेरीगंज गांव में मिलेट्री के आगमन से होता है।

सबसे पहले समझने की जरूरत है कि इस उपन्यास का नाम ‘मैला आंचल’ क्यों है? मैला आंचल दरअसल, भारत माता खुद है, यहां रहने वाले लोग हैं, मेरीगंज जैसे भारत के हजारों गांव हैं, जो अत्याचार, चोट और धोखे से मैले हो चुके हैं।

यह उपन्यास न सिर्फ सामाजिक समस्याओं का बारीकी से चित्रण करता है बल्कि इसका एक गहरा उद्देश्य है। यह समाज की सच्चाई दिखाता है, समाज में होने वाले कुकृत्य को उजागर करता है और ग्रामीण समाज में रहने वाले लोगों के दुख को सामने लाता है।

इस उपन्यास में भारत के ग्रामीण क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक चुनौतियां देखने को मिलती हैं। आइए विस्तार से देखते हैं कि आजादी के बाद प्रकाशित होने वाले मैला आंचल हिंदी उपन्यास में कौन-से ग्रामीण संघर्षों और समस्याओं पर प्रकाश डाला गया और इसका उद्देश्य क्या था।

मैला आंचल में नजर आती हैं समाज की ये समस्याएं:

गरीबी और आर्थिक संघर्ष

आजादी के बाद लिखे गए इस उपन्यास में फणीश्वर नाथ रेणु ने, आजादी के पहले से लेकर आजादी के कुछ सालों बाद तक की समस्याओं को लिखा है, जो ग्रामीणों को झेलनी पड़ीं। मैला आंचल उपन्यास के किरदार यानि मेरीगंज में रहने वाले लोग पूरी तरह खेती पर आश्रित थे। ऐसे में ग्रामीण किरदारों की मदद से किसानों की समस्याओं को उजागर किया गया है जैसे – अपर्याप्त संसाधन, कम फसल की पैदावार और साहूकारों द्वारा किया जाने वाला शोषण। उपन्यास में यह दिखाया गया है कि किस तरह कृषि पर निर्भर रहने वाले लोगों को अपने अस्तित्व के लिए एक लड़ाई लड़नी पड़ी।

सामाजिक असमानता

आजादी के बाद जमीनदार और साहूकार, गरीबों को प्रताड़ित करके, उनकी जमीन हथिया कर और उनकी जिंदगी पर काबू करके खुद को और अमीर बनाते हैं और उन्हें और असहाय और बेबस। उपन्यास ने समाज का ध्यान, समाजिक असमानता की ओर खींचा है, जहां हर मामले में गरीब बेचारे बने रहें और जमीनदार और साहूकार आगे बढ़ते गए।

पितृसत्ता और लैंगिक असमानता का बोलबाला

भारत वैसे भी पितृसत्तात्मक देश माना जाता है। यह स्थिति आजादी के वक्त और भी बदत्तर थी। रेणु का किरदार जब समाज की बनी ‘महिला रेखा’ को लांघने की कोशिश करता है तो उसे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लिखे गए उपन्यास में सीधी तौर न कहते हुए भी औरतों की दर्द भरी कहानी कई बार कही गई है। किस तरह से पुरुष प्रधान समाज ने औरतों को शोषित करने और दबाए रखने के लिए नियम बना रखें हैं, उपन्यास में यह स्थिति बार-बार देखने को मिलती है।

ग्रामीण इलाके में शिक्षा का अभाव

उपन्यास में बताया गया है कि किस तरह शिक्षा गरीबी की स्थिति को हरा सकती है। उपन्यास के पात्र शिक्षा की अभाव में, अनपढ़ बनकर जी रहें हैं। खासतौर पर बच्चों के लिए न पढ़ने को स्कूल है और न ही शिक्षित होने का कोई दूसरा माध्यम। किस तरह निरक्षरता ग्रामीणों के लिए जी का जंजाल बन जाती है, उपन्यास में यह दिखाया गया है।

सामाजिक रीतिरिवाज और अंधविश्वास

उपन्यास में रेणु का पात्र यह दिखाता है कि किस तरह से समाज के कुछ खास रीति-रिवाज और अंधविश्वास, लोगों पर प्रभाव डालते हैं। उपन्यास में दिखाया गया है कि कुछ खास प्रथाएं और मान्यताएं लोगों की आंखो पर पर्दा डालती हैं, उन्हें कुछ भी सच मान लेने को मजबूर करती हैं और उन्हें जिंदगी में आगे बढ़ने से रोकती हैं।

मैला आंचल हिंदी उपन्यास का उद्देश्य

उपन्यास के माध्यम से फणीश्वर नाथ रेणु ने, उस वक्त के ग्रामीण भारत की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाओं का विस्तार से चित्रण किया। उन्होंने गरीबी, न्याय, स्वतंत्रता, जाति व्यवस्था और सामाजिक विभाजन और असमानता के मुद्दों पर रौशनी डाली और उन्हें कहानी के पात्रों के रूप में उपन्यास में जगह दी। यही नहीं बल्कि उपन्यास में गरीबी, रोग, भूखमरी, धर्म की आड़ में हो रहे गलत काम, शोषण आदि के बारे में बात की गई है।

हर पात्र समाज की अलग-अलग जटिलताओं और समस्याओं को दिखाता है। इससे हम समझ सकते हैं कि मैला आंचल हिंदी उपन्यास का उद्देश्य समाज की इन तमाम परेशानियों को उजागर करना और हर किसी का ध्यान इसकी तरफ खींचना था, ताकि भारत देश का ग्रामीण समाज इन सब के मुक्त होकर चैन की सांस ले पाए और पूरे भारत के साथ आजादी के बाद आगे बढ़ पाए।

आज आपने जाना हिंदी उपन्यास मैला आंचल के बारे में। अन्य हिंदी उपन्यास के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।

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