प्यार तुम्हे घर ले आएगा

अपनों के प्यार का अहसास

अपने छोटे शहर की ज़िंदगी को लिली पीछे छोड़ चुकी थी। अब वह मेगासिटी की चमक-धमक में खो जाने को तैयार थी।

लिली का फोन दोबारा बजा। यह उसके घर से इस हफ्ते 8वां कॉल था। लेकिन, उसे अपने अपराध बोध का भान और परेशान करने वाले विचारों ने उसे कॉल रिसीव कर जवाब नहीं देने दिया। उसकी आंखों में आंसू थे। वह मन ही मन सोच रही थी कि इतने महीनों के बाद मैं क्या कहूं?

लिली को अपना करियर बनाना था। इसके लिए उसने अपना घर 5 महीने पहले ही छोड़ दिया था। जब वह अपनों को छोड़कर शहर के लिए ऐसे गई मानो जैसे कोई पक्षी पिंजड़े से छूटकर आकाश के में उड़ान भरने निकली है। अपने छोटे शहर की ज़िंदगी को वह पीछे छोड़ चुकी थी। वह मेगासिटी की चमक-धमक में खो जाने को तैयार थी।

मेगासिटी में लिली के पहले कुछ हफ्ते एक रोमांच की तरह रहे। नए दोस्त व रिश्तेदार बनाना, नए स्थानों पर घूमना-फिरना आदि। इतनी आजादी का एहसास उसे इससे पहले कभी महसूस नहीं हुआ था। नए जीवन की शुरुआत करने की सोच उसके भीतर इस कदर हावी हो चुका था कि इस चाहत में उसने अपने पुराने जीवन से पूरी तरह से खुद को किनारा कर लिया था। इस चाहत ने उसे अपने परिवार को अपने मन से दूर धकेल दिया था।

मगर, जैसे-जैसे समय गुजरने लगा उसके नए शहर में नए जीवन का आकर्षण कम होने लगा था। उसे अपने जीवन में घर का मोल है, इस बात का एहसास होने लगा था।  उसके मन में परिवार में शामिल होने की खुशी, प्यार और देखभाल की भावना की इच्छा हिचकोले मारने लगे थे। वह अपने घर-परिवार के लिए तड़पने लगी थी। लेकिन, उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि इतने महीनों की फोन कॉल और घर के लोगों से भावनात्मक दूरी के बाद आखिर करे तो क्या करे। वह इसी उधेड़बुन में पड़ी हुई थी।

तभी दोबारा फोन की घंटी बजी। मगर, लिली काफी संकोचित मन से जवाब दे पाई।

कॉल रिसीव करते ही उधर से आवाज लिली के कानों में सुनाई पड़ी, “लिली मेरी बच्ची! सब खैरियत तो है न। तुम हम लोगों का फोन क्यों नहीं उठा रही थी। हम सभी लोग काफी परेशान हो रहे थे।”

जब उसने अपने पिता की आवाज़ सुनी तो उसे दिलासा हुआ। वह अपने पूरे परिवार के साथ रहने के लिए तरस रही थी, जो उससे बेइंतहा प्यार करते थे। भले ही वह कहीं भी क्यों न रहे या उसने कुछ क्यों न कर दिया हो। हर स्थिति में वह घर की लाडली थी।

लिली ने फोन पर झिझकते हुए कहा “पापा, मुझे आप सभी की बहुत याद आती है। क्या मैं कुछ दिनों के लिए घर आ सकती हूं।”

“बिल्कुल, ये तुम्हारा ही तो घर है। मैं इस हफ्ते के अंत में तुम्हें लेने आ जाऊंगा। यह सुनकर तुम्हारी मां भी खुशी से झूम उठेगी, लिली के पिता ने जवाब दिया।”

“क्या आप मुझसे मिलने के लिए पागल नहीं हो?  मैंने शायद ही कभी आपको कॉल किया हो या फिर आपके फोन कॉल का जवाब दिया हो। मैंने आपसे हमेशा बहाना बना कर बोल देती थी कि मैं व्यस्त हूं, जबकि मैं खाली रहती थी। मुझे बहुत खराब लग रहा है, लिली ने अपने पापा से कहा। ”

“ऐसा मत सोचो। हम आपसे खफा नहीं हैं, बल्कि हम सभी को आप पर गर्व है। क्योंकि हर माता-पिता अपने बच्चों के लिए यही करते हैं, लिली के पिता ने जवाब दिया।”

अपने पिता के मुंह से यह बात सुनकर लिली को एहसास हुआ कि नए शहर में अपनी मनमर्जी से जीवन जीना और रोमांचक स्थानों का भ्रमण करना थोड़े दिनों के लिए एक सुखद अनुभव करा सकता है, लेकिन यह उसके परिवार का प्यार ही था जो उसे घर वापस ले जाने को आतूर है।

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