ओम स्वामी

ओम स्वामी द्वारा लिखित ‘इफ ट्रूथ बी टोल्ड : ए मॉन्क्स मिमॉयर’

यह किताब पाठक को परमात्मा के संपर्क में आई एक आत्मा की व्यक्तिगत कहानी की झलक दिखलाती है। किताब के बारे में और अधिक

ओम स्वामी एक योगी, साधु (Monk) और एक सफल ब्लॉगर (Successful blogger) हैं, जो हिमालय के एक आश्रम में रहते हैं। मैं पहली बार उनसे उनके ब्लॉग ‘ओम स्वामी-ए मिस्टिक्स व्यू प्वाइंट’ के जरिए परिचित हुई थी। ब्लॉग ने मेरे दिल को छू लिया, क्योंकि यह पारस्परिक संबंधों, भावना-प्रबंधन, भाव के सुचारू संचालन और स्वयं की देखभाल जैसे विषयों की खोज है। लेखक की लेखन शैली दिलचस्प है, जिसमें हमेशा एक कहानी या पौराणिक कथा शामिल होती है। मैंने ‘इफ ट्रूथ बी टोल्ड: ए मॉन्क्स मिमॉयर’ को इसलिए चुना, क्योंकि मुझे एक मॉन्क के बारे में जानने की इच्छा थी, जो इतना अच्छा लिख भी सकते थे।

किताब ओम स्वामी की जिज्ञासा एवं त्याग के लिए एक गुरु की खोज से शुरू होती है। लेखक एक साधारण गृहस्थी में अपने पालन-पोषण को याद करते हैं। इस वजह से पाठकों का परिचय एक बहुआयामी, बहुप्रतिभावान व्यक्ति से होता है, जो बचपन से ही आध्यात्मिक झुकाव वाला रहा है।

उसके बाद हम लेखक के साथ ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर जाते हैं, जहां वह अपनी कड़ी मेहनत, लगन और त्याग के सहारे डिग्री और नौकरी हासिल करते हैं। ओम स्वामी वास्तव में तेज़ गति वाले कार्पोरेट जीवन को जी रहे थे, जिसमें तमाम सुख-सुविधाएं उपलब्ध थी।

करोड़ों के कारोबार में बतौर सीईओ (चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर) सफल होने के बावजूद उन्होंने अपनी नौकरी को सफलता के शिखर पर छोड़ा और ध्यान और आत्मबोध की यात्रा पर चल पड़े। उस उम्र में जब लोग और ज्यादा पाने की चाह में लगे रहते हैं, अपनी सारी दौलत त्याग कर अपने अंदर भीतर झांकने के लिए आध्यात्म की तलाश करने का फैसला दुनिया में कम ही लोग ले पाते हैं।

ऐसे अनगिनत योगी और साधु हैं जिन्होंने अपनी जीवन कथा लिखी है, यह किताब पाठक को परमात्मा के संपर्क में आई एक आत्मा की व्यक्तिगत कहानी की झलक दिखलाती है। हम इस कठिन यात्रा के ‘क्यों’ और ‘कैसे’ को समझते हैं। यह एक ऐसी कठिन यात्रा है जो बहुत ज्यादा लोग नहीं करना चाहते। इसकी भाषा ऐसी है जो आपकी यादों को ताज़ा कर देती है।

अचानक आसमां गरजा, बादल फटे और मूसलाधार बारिश होने लगी। मेरी आंखों से आंसू की धारा गालों तक बहती रही। जितना मैं रोता रहा, उतना मैंने खुद को ईश्वर के करीब पाया। यह मेरे दर्द के आंसू नहीं थे और न ही खुशी के। यह आंसू तो मेरे प्यार और समर्पण के आंसू थे। मैं जानता था कि द्वार अभी तक मेरे लिए खुला नहीं था, लेकिन मैं घर पहुंच चुका हूं।

इस किताब की सबसे गहरी बात इसका सशक्त संदेश है जो लेखक ने आप तक पहुंचाया है। यह संदेश है अपना सच तलाशकर खुद को अपनी इच्छा और कल्पना के अनुसार ढालना। ‘इफ ट्रूथ बी टोल्ड: ए मॉन्क्स मिमॉयर’ एक उपन्यास की तरह है और यह उन सभी को सुझाया जा सकता है जो आत्मकथा को पढ़ना पसंद करते हैं। इसके अलावा जिनका झुकाव आध्यात्मिक पथ की ओर है उन्हें भी यह पढ़नी चाहिए।

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