टू किल अ मॉकिंगबर्ड , हार्पर ली

हार्पर ली की टू किल अ मॉकिंगबर्ड

हर राइटर एक बड़े व्यक्ति के नज़रिए से पाठकों को यह नहीं बता सकता कि किसी किशोर के दिमाग में क्या चल रहा है। लेकिन, ली का लेखन न सिर्फ ऐसा करता है, बल्कि समाज में फैले नस्लवाद और भेदभाव पर गहरी चोट भी करता है।

आपके हिसाब से एक बच्चा कब बड़ा होता है? जब वह युवावस्था से गुज़र रहा होता है या जब वह लीगल तौर पर एडल्ट हो जाता है या जब वह यह समझने लगाता है कि दुनिया उतनी अच्छी नहीं है, जितनी उसे लगती है?

ज्यादातर स्कूलों के सिलेबस में हार्पर ली की टू किल मॉकिंगबर्ड को कई कारणों से शामिल किया गया है। कोई भी उपन्यास बच्चों को इतनी सरलता से लाइफ लेसन नहीं सिखा सकती है। इस किताब के लिए ली को पुलित्जर पुरस्कार भी मिल चुका है। इस पुरस्कार को पाने का एक मुख्य कारण यह भी है कि सभी लेखक में ऐसी खूबी नहीं होती कि वह खुद के नज़रिए से पाठक को यह बता सके कि एक बच्चा क्या सोच रहा हो सकता है। लेकिन हार्पर ली की किताब इस कार्य को करने में सफल होती है। टू किल मॉकिंगबर्ड किताब शुरू से ही कहती है कि दुनिया बच्चों के लिए भी दयालु नहीं है। जब तक कोई भी इस बात को समझेगा, तब तक बच्चे से उनकी मासूमियत छीन ली जाती है। फिर उन्हें अन्याय और असमानता से भरी इस दुनिया के चूल्हे में झोंक दिया जाता है।

‘स्काउट’ फिंच नामक किरदार से टू किल मॉकिंगबर्ड कहानी शुरू होती है। वह अपने भाई जेम और अपने पड़ोसी डिल के साथ गर्मी के मौसम में अलबामा में मेकॉम्ब नामक एक छोटे से शहर में रहती है। वे सभी साथ में उन सभी सुनी और पढ़ी गई कहानियों को खेलते हैं और उनका अभिनय करते हैं। कभी-कभी वे रैडली की संपत्ति पर अतिचार से संन्यासी ‘बू’ को खदेड़ते हैं, तो कभी कोई दूसरा किरदार निभाते हैं।

टू किल मॉकिंगबर्ड कहानी में बच्चों की मासूमियत एक घटना के कारण खत्म हो जाती है। हार्पर ली की कहानी जब उनके पिता एटिकस फिंच, जो पेशे से एक वकील हैं। एक अश्वेत व्यक्ति को बचाने के लिए केस लड़ते हैं, जिस पर एक गोरी लड़की के बलात्कार का गलत आरोप लगाया गया था। स्काउट और जेम को उनके सहपाठियों के द्वारा “निग्रो-प्रेमी” के बच्चे (अश्वेत के प्रति प्रेम) होने जैसी बातें कह कर तंग और अपमानित किया जाता है। स्काउट और जेम ऐसे बच्चे थे, जिनका पालन-पोषण एक ऐसे पिता ने किया जो समानता और न्याय में विश्वास करते हैं। जिनकी कुक एक दयालु और प्यार करने वाली काले रंग की महिला है, ऐसे में बच्चों को नस्लीय भेदभाव को समझना बहुत कठिन लगता है। दरअसल, जब वे केस की पेशी में शामिल होते हैं, तो बच्चे “रंगीन बालकनी” में अश्वेतों के साथ बैठते हैं।

लेखक हार्पर ली न सिर्फ बच्चों, बल्कि उत्पीड़ितों – अश्वेतों और संन्यासी बू की मासूमियत दिखाने की कोशिश करते हैं। फिंच की कुक कैलपर्निया और उनका समुदाय बच्चों का स्वागत उनके चर्च में करता है। बू, जिसे ज्यादातर लोगों द्वारा बहिष्कृत, या यूं कह लें कि लगभग उसे भूत माना जाता है, वह खामोशी से बच्चों के लिए तोहफा छोड़ता है। वास्तव में बू बच्चों को खतरे से बचाने के लिए सबके सामने आता है। इस घटना के बाद, स्काउट अब बू को परेशान करना या उसका अभिनय करना छोड़ देती है।

टू किल अ मॉकिंगबर्ड किताब की शुरुआत में स्काउट एक छोटी लड़की है, जिसे अपने जीवन में कुछ लोगों के द्वारा उत्पीड़न और भेदभाव के बारे में कोई ज्ञान नहीं है। जबकि वह उनसे ना तो नफरत करती है और ना ही उन्हें अलग नज़रिए से देखती है। वह उनके दर्द से भी अनजान है। लेकिन, कहानी के अंत में स्काउट अश्वेत समुदाय के संघर्षों और बू जैसे लोगों के खिलाफ निर्णयात्मक व्यवहार को समझने लगती है। इन सबके बावजूद वह एक ऐसी बच्ची है जो दुनिया के अनुचित तरीकों से समय से पहले ही रू-ब-रू हो जाती है। हालांकि, मानवता में उसका विश्वास इन सब घटनाओं के बाद भी अडिग रहता है, कैलपर्निया और बू जैसे लोगों, मासूमों, सुरीली मॉकिंगबर्ड्स के लिए वह अभी भी आभारी रहती है।

X

आनंदमय और स्वस्थ जीवन आपसे कुछ ही क्लिक्स दूर है

सकारात्मकता, सुखी जीवन और प्रेरणा के अपने दैनिक फीड के लिए सदस्यता लें।