मजदूरों पर लिखी कविताएं

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस: मजदूरों पर लिखी गई कविताएं जगाती हैं जोश

कई कवियों और साहित्यकारों ने मजदूरों के दर्द को काव्य के ज़रिए बयां किया है। महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के साथ राम विलास शर्मा, केदारनाथ अग्रवाल, नागार्जुन ने अपनी रचनाओं में मजदूरों की मेहनत, संघर्ष और समाज में उनकी भूमिका को बयां किया है। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर हम लाएं हैं, मजदूरों पर लिखी गई कविताओं का खास संग्रह, जो युवाओं में जोश जगाने का काम करती हैं। जानने के लिए पढ़ें ये लेख।

मजदूरों पर लिखी गई कविताओं के बारे में जानने का, ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस’ से बेहतर दिन भला और क्या हो सकता है। कवि समाज का चित्रण करने के लिए ही जाने जाते हैं। सुंदर और भव्य इमारतों की खूबसूरती को तो हम खुली आंखों से देखते हैं, लेकिन उसके पीछे छिपी मजदूरों की मेहनत हमें नहीं दिखती। हर एक सुंदर इमारत का निर्माण मजदूर अपनी मेहनत के बल पर करते हैं।

‘वह तोड़ती पत्थर’ में महिला मजदूर की दिखती है मेहनत

वह तोड़ती पत्थर
देखा उसे मैंने इलाहाबाद के पथ पर
वह तोड़ती पत्थर
कोई न छायादार
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार
श्याम तन, भर बंधा यौवन
नत नयन प्रिय, कर्म-रत मन
गुरु हथौड़ा हाथ 
करती बार-बार प्रहार
सामने तरु-मालिका अट्टालिका, प्राकार।

ऊपर दी गई कविता में, मजदूरों की दशा का कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (Suryakant tripathi nirala) ने बखूबी वर्णन किया है। मजदूरों की मेहनत को बयां करती ये कविता सीधे दिल में उतरती है। कवि बताते हैं कि “मैंने इलाहाबाद के रास्ते पर महिला मज़दूर को पत्थर तोड़ते हुए देखा है। वो जहां बैठी है, वहां पेड़ भी है। लेकिन पेड़ छायादार न होने की वजह से, वो धूप में पत्थर तोड़ रही है। सांवले रंग की युवा महिला बार-बार हथौड़े को पत्थर पर मार रही है। उसके सामने ऊंची बिल्डिंग, बड़े-बड़े भवन के साथ-साथ पेड़ों की कतार है।” सूर्यकांत निराला की इस

मुनव्वर राणा का मजदूरों पर लिखा शेर बताता है उनका संघर्ष

सो जाते हैं फुटपाथ पे अखबार बिछा कर,
मजदूर कभी नींद की गोली नहीं खाते।।

यूपी के रायबरेली के मशहूर कवि, साहित्यकार मुनव्वर राणा ने मजदूरों की दशा पर क्या खूब शेर लिखा है। उनके इस शेर से मजदूरों के संघर्ष पता चलता है। साफ तौर पर बयां न करते हुए भी, इस शेर के ज़रिए उन्होंने मजदूर की तुलना उन लोगों से की है, जिन्हें सब सुख-सुविधाएं हासिल हैं।,कवि बताते हैं कि “मजदूर तो फुटपाथ पर सिर्फ एक अखबार बिछाकर सो जाते हैं। वे जीवन में इतनी मेहनत करते हैं कि उन्हें आसानी से नींद आ जाती है। इस शेर के ज़रिए कवि ने अमीरी और गरीबी के अंतर पर प्रहार किया है। मजदूरों की तुलना उन लोगों से की गई है, जो शाही दीवान बेड पर सोते हैं, फिर भी सोने के लिए उन्हें नींद की गोलियों की ज़रूरत होती है। उनकी ये कविता अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर मजदूरों को समर्पित करने के लिए सटीक है।

अदम गोंडवी के शेर में मजदूरों की दुर्दशा का है वर्णन

वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है,
उसी के दम से रौनक आपके बंगले मे आई है।।

यूपी (गोंडा) के कवि अदम गोंडवी ने मजदूरों की दुर्दशा को अपने शेर के ज़रिए बताया है। कवि कहना चाहते हैं कि “काम कर-कर के मजदूर के हाथ में छाले पड़ गए हैं। इतनी मेहनत करने के कारण उनके पैर में रोग (बिवाई) हो गया है, बावजूद इसके, उनकी मेहनत के दम पर सुंदर और आलीशान बंगले रौनक आई है।” बड़े-बड़े आलीशान भवन, बंगले, खूबसूरत और भव्य तो दिखते हैं, लेकिन उसके पीछे छिपी मजदूरों की मेहनत किसी को नहीं दिखती है।

‘मजदूर हैं हम, मजबूर नहीं…’ में है श्रमिकों का मनोभाव

चलता है परदेश कमाने हाथ में थैला तान 
थैले में कुछ चना, चबेना, आलू और पिसान… 
टूटी चप्‍पल, फटा पजामा मन में कुछ अरमान 
ढंग की जो मिल जाये मजूरी तो मिल जाये जहान।।

जब कोई अपने घर से कमाने के लिए निकलता है, तो वो क्या सोचता है, इसे कवि रामदीन ने अपने शब्दों के ज़रिए बखूबी प्रस्तुत किया है। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर देश के मजदूरों को समर्पित करने के लिए ये कविता बेहद अच्छी है। कवि बताते हैं कि “मजदूर,अपने घर, अपने शहर से दूर परदेस में कमाने के मकसद से हाथ में थैला लिए निकलता है। घर से निकलते वक्त थैले में कुछ सामान भी रख लेता है, जैसे सूखा चना और कुछ अनाज ताकि पेट की आग को बुझाने के लिए उसे पैसे खर्च न करने पड़े।” मजदूर के पहनावे को बताते हुए कवि कहते हैं “उसकी चप्पल टूट गई है, उसने जो पजामा पहना है, वो भी फट गया है, फिर भी उसके मन में कई अरमान हैं। उसकी बस एक ही तमन्ना है कि अच्छा काम मिल जाए, जिससे उसकी सभी ज़रूरतें पूरी हो जाएं।”

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर मजदूरों को समर्पित करने के लिए यूं तो कई कविताएं हैं, जिन्हें कम शब्दों में बयां कर पाना काफी मुश्किल है। कविताएं, कहानियां और किताबों से सीख लेने के लिए सोलवेदा पर पढ़ते रहे लेख।

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