आधुनिक मीरा महादेवी वर्मा की कविताओं में बसा है भक्तिरस और पीड़ा

आधुनिक मीरा महादेवी वर्मा की कविताओं में बसा है भक्तिरस

महज 9 साल की उम्र में इनकी शादी करा दी गई, लेकिन इनका दांपत्य जीवन उतना अच्छा नहीं चला, इसलिए शादी के बाद इन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। हम बात कर रहे हैं महादेवी वर्मा की, जिन्हें हम आधुनिक मीरा और हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती के नाम से जानते हैं, इस लेख में हम उनकी रचनाओं व उससे मिलने वाली सीख के बारे में जानेंगे। इनकी रचनाओं में वेदना और करुणा की झलक देखने को मिलती है, जानने के लिए पढ़ें ये लेख।

इससे पहले की हम इनकी रचनाओं के बारे में जानें, महादेवी वर्मा के बारे में जानना ज़रूरी हो जाता है। इनका जन्म 1907 में फर्रुखाबाद में हुआ था। महज 9 साल की उम्र में इनकी शादी करा दी गई, लेकिन, इनका दांपत्य जीवन उतना अच्छा नहीं चला, इसलिए शादी के बाद इन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। वहीं आगे चलकर ये महिला विद्यापीठ की प्राचार्या भी रहीं। इन्हें पद्मश्री, यामा की रचना के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार जैसे सम्मान भी दिए गए।

महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाओं की बात करें, तो उनमें नीहार काव्य संग्रह काफी प्रसिद्ध है। इसके अलावा आध्यात्मिक गीतों पर लिखे रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, सत्पर्णा, यामा, दीपशिखा आदि खास हैं। महादेवी वर्मा ने जो कुछ भी लिखा है उसे दिल से लिखा है, यही वजह से है कि इनके लिखे शब्द सीधे दिल में उतरते हैं। वहीं इनकी लिखी कविताओं में दर्द झलकता है, यही कारण है कि इन्हें करुणा की देवी भी कहा जाता है। हिंदी साहित्य में जब-जब कविताओं में करुणा, वेदना की बात आएगी तब-तब महादेवी वर्मा का नाम लिया जाएगा। इनकी लिखी कविताओं में ईश्वर के प्रति प्रेम को देखकर व इन्हें आधुनिक मीरा कहा गया है।

नीरजा के इस काव्य में झलकती है भगवान पर भरोसे की भावना

मधुर मधुर मेरे दीपक जल
प्रियतम का पथ आलोकित कर।।

महादेवी वर्मा के इस काव्य में हमें उनकी भगवान पर भरोसे की भावना साफ तौर पर देखने को मिलती है। वहीं, उनकी श्रद्धा का भी पता चलता है। वो अपने लिखे काव्य के ज़रिए ही भगवान की भक्ति में लीन हो जाना चाहती हैं। इस काव्य का अर्थ ये निकलता है कि वो अपने दिल में भगवान के प्रति आस्था के दीपक से कहती हैं, तुम हर समय, जन्म-जन्मांतर कर यूं ही जलते रहो, ताकि मेरे ईश्वर जो मेरे लिए सबसे खास हैं उनका रास्ता दिखाई देता रहे और भगवान का मुझपर से भरोसा कभी न टूटे।

इनके काव्य में झलकती है प्यार की पीड़ा

बीन भी हूं मैं तुम्हारी रागिनी भी हूं।
दूर तुमसे हूं अखंड सुहागिनी भी हूं।

महादेवी वर्मा के काव्य नीरजा में पीड़ा साफ तौर पर देखने को मिलती है। इन्होंने अपनी कविताओं के ज़रिए वेदना का बखान करके भगवान के दर्शन किए हैं। जीवन में इन्होंने जो संघर्ष किए व पीड़ाएं देखी उसे अपने काव्य में पिरोया है। जो इनकी कविताओं में साफ तौर पर देखने को मिलता है। ईश्वर को अपने मन के भाव बताते हुए कवियित्री कहती हैं, मैं तुम्हारी रागिनी भी हूं और जब तुमसे जुड़ गई तो मैं अखंड सुहागिनी भी हूं।

नीहार में झलकता है करुणाभाव

जो तुम आ जाते एक बार
कितनी करुणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग।।

महादेवी वर्मा के संधिनी पुस्तक के काव्य नीहार में करुणा को साफ तौर पर महसूस किया जा सकता है। इसे पढ़कर व इसके सार को समझकर वियोग का एहसास किया जा सकता है। इससे हमें यह पता चलता है कि महादेवी वर्मा का दिल दयाभाव और करुणा की भावना से भरा हुआ था। बचपन में ही महादेवी वर्मा ने जिन संघर्षों का सामना किया उसे अपने शब्दों में पिरोकर कविता का रूप दिया है।

इस सांध्यगीत में झलकती है संवेदनशीलता

शून्य मेरा जन्म था अवसान है मुझको सबेरा।
प्राण आकुल के लिए संगी मिला केवल अंधेरा।।

महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) की कविता शलभ मैं शापमय वर हूं … एक सांध्यगीत है। इसमें संवेदनशीलता को साफ तौर पर महसूस किया जा सकता है। इस काव्य के ज़रिए इन्होंने अपने अंदर की आध्यात्मिकता को शब्दों में पिरोकर भक्ति दिखाई है। वहीं, आध्यात्मिकता इंसान के जीवन से किस प्रकार जुड़ी है, उसे हम इस कविता को पढ़कर जान सकते हैं।

‘मैं नीर भरी दुख की बदली में कवियित्री के मन की है बात

मैं नीर भरी दुख की बदली।
परिचय इतना इतिहास यही,
उमड़ी कल थी मिट आज चली।।

महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma Ki Kavita) ने अपनी कविता मैं नीर भरी दुख की बदली के ज़रिए मन की बात को बताया है। इस काव्य में उनका दर्द साफ तौर पर झलका है। वे बताती हैं कि इस दुनिया में ऐसी कोई भी जगह नहीं है और ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है, जो उनके दुख व मन में चल रहे विचारों को समझ सके। आज जो वर्तमान है यही मेरा परिचय है और वर्तमान ही आगे चलकर भविष्य में इतिहास गढ़ेगा।

महादेवी वर्मा के काव्य में करुणा, ईश्वर के प्रति प्रेम, आध्यात्मिकता और भक्तिभाव साफ तौर पर देखने को मिलता है। इन्होंने अपने जीवन में जो भी संघर्ष किए हैं और ईश्वर के प्रति अपने आपार प्रेम व लगाव को शब्दों में पिरोकर कविताओं का रूप दिया है। इनकी कविताएं न केवल इस सदी में पसंद की जाती हैं, बल्कि आने वाले सदियों तक इनकी कविताओं को याद किया जाता रहेगा और उनसे सीख ली जाते रहेगी।

ऐसे ही साहित्य से जुड़ी शख्सियतों की रचनाओं और उनकी लेखनी से सीख लेने के लिए सोलवेदा पर लेख पढ़ते रहें।

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