पार्टी की परमिशन

पार्टी की परमिशन

अच्छा तो उस पार्टी में जाने के लिए तुमने जो डिंमाड रखी है, उसका क्या... वो भी बताओ अपने पापा को”, अंकिता ने कहा तो जिया का चेहरा बुझ-सा गया। कुछ सोचते हुए उसने कहा, “पापा, एक्चुअली, पार्टी की एक ड्रेस थीम है, तो मुझे वो ड्रेस खरीदनी है और....

राजीव औऱ अंकिता शाम की चाय के साथ बातें करने में लगे थे कि तभी उनकी 21 साल की बेटी जिया उनके पास आकर बैठते हुए बोली, “पापा मुझे नाईटक्लब जाना है, मेरे दोस्तों ने वहां क्रिसमस इव की पार्टी रखी है। मम्मा है कि मुझे जाने से मना कर रही हैं, अब आप ही उन्हें समझाइए।“

जिया ने मुंह फुलाते हुए कहा तो अंकिता खा जाने वाली नजरों से जिया को ही घूर रही थी। “मम्मा, आपको क्या प्रॉब्लम है, मेरे पार्टी में जाने से? आपने और पापा ने मुझे इतनी समझदारी तो दी है कि मैं अपनी लिमिट्स को अच्छी तरह से जानती हूं और ये मेरा पहला एक्पीयरेंस होगा। आप क्या चाहती हैं कि मैं अपने दोस्तो के बीच बेवकूफ बनी रहूं, जिसे ये भी नहीं पता कि नाईट क्लब कैसा होता है। पापा, प्लीज मुझे जाने की परमिशन दे दो।“

“अच्छा तो उस पार्टी में जाने के लिए तुमने जो डिंमाड रखी है, उसका क्या… वो भी बताओ अपने पापा को”, अंकिता ने ये कहा तो जिया का चेहरा बुझ-सा गया। कुछ सोचते हुए उसने कहा, “पापा, एक्चुअली, पार्टी की एक ड्रेस थीम है, तो मुझे वो ड्रेस खरीदनी है और…. और पापा…. वो पार्टी में जाने के लिए एंट्री फीस है, तो हम सब फ्रेंड्स कंट्रिब्यूट कर रहे, इसलिए मुझे आपसे बस दस हजार चाहिए।“

“ओह माई गॉड! दस हजार! रियली जिया, कितनी आसानी से कह दिया न तुमने।“

जिया थोड़ी हैरानी और थोड़ी शर्मिंदगी के साथ अपनी मां को देख रही थी। वो अपनी बात समझाना चाहती थी, लेकिन उसे शब्द नहीं मिल रहे थें। उसने आस-भरी नजरों से राजीव की तरफ देखा तो वो बोले, “बेटा मम्मा गलत तो नहीं कह रही न, दस हजार तो बहुत होते हैं।“

“प्लीज पापा, बस एक बार, फिर नहीं कहूंगी, प्रौमिस! आखिर पापा ही तो हमारी हर जरुरत और शौक़ पूरी करते हैं न।”

“करेक्शन बेटा जी, मैं आपकी जरुरतें पूरी करता हूं, वो भी तबतक जबतक आपकी एजुकेशन पूरी नहीं हो जाती। रहा सवाल आपके शौक़ का तो, शौक़ आपके हैं, पूरे भी आप खुद करो। मैं आपकी जिंदगी की तुलना अपनी जिंदगी के साथ नहीं करुंगा। लेकिन अगर आपका कोई शौक़ है, आपको किसी चीज में एक्सपोजर चाहिए, तो उसके लिए आपको खुद मेहनत करनी पडेगी।”

राजीव ने चाय की चुस्की लेते हुए बात आगे बढ़ाई “देखो, तुम्हारी पढ़ाई के लिए भी मैंने तुम्हे एजुकेशन लोन इसलिए दिलवाया ताकि तुम अपनी पढाई पूरी करने के बाद, अपनी नौकरी से उस लोन को पूरा कर सको। मेरा जो भी है उस पर तुम्हारा ही हक है लेकिन तब, जब तुम्हें पैसे की अहमियत का अंदाजा होगा। दस हजार हो या दस लाख, उसे कमाने में कितना समय और मेहनत लगती है, इसे समझना जरुरी है। मैं पैसे नहीं दूंगा और किसी से उधार लेने से पहले ये जरुर जान लेना कि इस दुनिया में कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलता। दुनिया टिकी है लेन-देन के फॉर्मूले पर। इसमें होने वाला फायदा और नुकसान भी तुम्हें ही उठाना होगा।”

पापा की बात सुनकर जिया गहरी सोच में चली गई। कुछ देर खोए रहने के बाद वो बोली “शायद आप सही कह रहें हैं पापा। मुझे माफ कर दो मम्मा, मैं अपनी मेहनत से कमाकर ही अब अपने शौक पूरे करूंगी ताकि मैं खुद पर फक्र कर सकूं।”

उसकी बात सुनकर पति-पत्नी एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा देते हैं और जिया उन्हें मुसकुराता देखकर हंस पड़ती है।

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