साथ रहना

अब भी कुछ तो बाकी है…

डर के मारे रोहित और शिवानी नीचे झुक गए। अब दोनों समझ गए थे कि वे हथियार से लैस डाकूओं के कब्जे में हैं।

रोहित और शिवानी से परिचित हर इंसान उनके संबंधों को लेकर काफी आश्चर्यचकित थे। दोनों के बीच प्रेम को देखकर हर किसी को जलन होने लगती थी। उनकी जिंदगी कुछ ऐसी थी, जैसे किसी रोमांटिक नोवेल के पन्ने की प्रेम कहानी हो। वे एक-दूसरे की काफी अच्छी तरह से देखभाल करते और जब भी कोई विपरीत परिस्थिति आती, तो दोनों एक-दूसरे को काफी सपोर्ट करते। शायद, दोनों के बीच इतनी प्रगाढ़ता की यही वजह रही हो। ज़िंदगी में आने वाले उतार-चढ़ाव के बीच भी रोहित और शिवानी को बखूबी मालूम था कि जीवन में उम्मीद की चिंगारी और उत्साह को कैसे जीवित रखना है। दोनों के बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर भले ही कभी-कभार लड़ाई या मतभेद हो जाए। लेकिन रोहित और शिवानी की यह खासियत रही है कि दोनों ने हर शाम द रोस्टेड बीन की तरफ जाना और रात में एक साथ खाना बनाने की परंपरा को कभी नहीं छोड़ा। साधारण शब्दों में कहें, तो वे एक आदर्श जिंदगी जी रहे थे।

लेकिन, कुछ दिनों से आदर्श की ये बातें वास्तविक जीवन से कोसो दूर थीं। दोनों के रिश्तों में खटास आने की शुरुआत सबसे पहले नोक-झोंक से हुई। लेकिन, बेड पर किस तरह की चादर हो या खाने को लेकर उनकी अपनी-अपनी पसंद और नापसंद के चलते दोनों के बीच जल्द ही वैचारिक मतभेद बढ़ने लगे। कई महीनों से देर रात तक एक-दूसरे पर चीखना-चिल्लाना, गुस्से में बर्तन को तोड़ना और पड़ोसियों की बार-बार शिकायतों के बाद अब शायद ही रोहित और शिवानी के आपसी रिश्तों के बीच कुछ रह गया था।

“रोहित, बस बहुत हो गया, मैं अब तुम्हारे साथ नहीं रह सकती”, शिवानी ने एक लंबी सांस लेते हुए यह बात कही। शायद वह अंतिम दिन था, जब वे दोनों अपने पंसदीदा जगह द रोस्टेड बीन में बैठे थे। द रोस्टेड बीन.. कैफे की सबसे कोने वाली बड़ी खिड़की से दूर तक नजर दौड़ाने पर हरी-भरी वादियों का मनमोहक नजारा दिखता था। घमंड के आगोश में आकर दोनों में से शायद ही कोई कभी गुस्से और तीखी नज़र से देखता था। इस वक्त तो ये और भी मुमकिन नहीं था, क्योंकि दोनों के बीच अभी-अभी तीखी बहस हुई थी और उसका ज़ख्म अभी तक हरा था।

दोनों के बीच हैरान करने वाली यह शांति अचानक लोगों के शोरगुल से भंग हो गई। गोली चलने की आवाज और लोगों की चीख-पुकार सुनकर रोहित और शिवानी घबरा गए। “कोई अपनी जगह से हिलेगा नहीं और अपने-अपने हाथ ऊपर कर लें “नकाबपोश व्यक्ति ने चिल्लाया। साथ ही लोगों ध्यान अपनी ओर खींचने और डराने के मकसद से एक बार फिर हवाई फायरिंग की। डर के मारे रोहित और शिवानी नीचे झुक गए। अब दोनों समझ गए थे कि वे हथियार से लैश डाकूओं के कब्जे में हैं।

नकाब पहने उस डकैत के हाथ में 9 एमएम की पिस्तौल थी, उसकी बहसी और खून की प्यासी आंखों ने लोगों को काफी भयभीत कर दिया। इसी बीच करीब 40 वर्ष की आयु वाले एक व्यक्ति ने उस डाकू को पिन करने का प्रयास किया। उस व्यक्ति की हरकत बेढ़ंगा जैसी थी। दरअसल, हीरो बनने के लिए उसने गलत दिन का चुनाव कर लिया था। उसकी इस हरकत को देखकर डकैत ने उसके कनपट्टी पर पिस्तौल सटा दी। इसके बाद रोहित डकैत के सामने आ गया और उस पर झपटा मार दिया, लेकिन इसका कोई लाभा नहीं हुआ। इससे गुस्साए डकैत ने एक और फायरिंग की, जो राहुल को छूकर निकल गई। इसके बाद वहां मौजूद दूसरे लोग सहम गए।

कुछ देर बाद डकैत अचेत होकर फर्श पर गिर पड़ा। इसके बाद बंधक बने लोग एक-दूसरे को आश्चर्यचकित नजरों से देखने लगे। डकैतों के बंधन से मुक्त होने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली। उस वक्त शिवानी अपने हाथ में एक टसर लिए एक हीरो की तरह खड़ी थी। वहां मौजूद सभी लोग शिवानी को देखने लगे और कैफे का हॉल तालियों से गूंज गया। थोड़ी देर बाद शिवानी रोहित की तरफ आगे बढ़ी। “थैंक गॉड.. तुम्हें खरोंच तक नहीं आयी। मैं बहुत खुश हूं कि तुम्हें कुछ नहीं हुआ और सही सलामत हो। अब मुझे तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाना है। “इतना कहते ही शिवानी के चेहरे पर मुस्कान छा गई।

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