उसे बस बाहर जाकर एक साबुन लाना था। वह पैदल चलकर जाना चाहती थी जो आसान भी था और कोई उसे देखता भी नहीं। जैसे ही वह सुपर मार्केट (Supermarket) के दरवाज़े पर पहुंची उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा था। शीशे के दरवाज़ों से देखने पर वहां का गलियारा बहुत ही विशालकाय लग रहा था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि वह पूरी तरह उसमें समा गई हो। धुंधले आकाश ने भी उसकी कोई मदद नहीं की।
उसकी आवाज़ सुनकर वह चौंक गई।
‘एक्सक्यूज मी, प्लीज़’।
डिलीवरी ब्वॉय (Delivery boy) ने ट्रॉली को उसकी बगल से धकेला और सुपर स्टोर में प्रवेश करता हुआ एक गलियारे के पीछे गायब हो गया।
जैसे ही मुस्कान ने पीछे मुड़ने का फैसला किया, उसने नीचे देखा और पाया कि एक फल्फी ब्लैक एंड व्हाइट कैट (रोएंदार बिल्ली) थी, जो उससे चिपटी हुई थी और म्याऊं-म्याऊं कर रही थी। उसने उसकी बड़ी-बडी मूंछें और फैली हुई पुतलियां देखी। उसने एक कॉलर भी पहना हुआ था।
‘ऐसा लगता है कि यह तुमसे प्यार करती है। क्या तुम ठीक हो?’
यह सुनकर वह फिर पलटी। इस बार यह एक बड़े काले और सफेद शुष्क आवाज़ वाला शिष्टाचारी बुजुर्ग व्यक्ति था।
घुर्राती बिल्ली को उठाकर उसने पूछा, ‘क्या यह बिल्ली भी तुम्हारी है?’
बूढ़े व्यक्ति ने मुस्कुराकर जवाब दिया, ‘यस डियर। इसका नाम पॉप्पी है। मेरे बराबर में जो लड़का खड़ा है इसका नाम स्ट्राम है। आपका एक्सेंट (उच्चारण) अलग लगता है। आप यहां से नहीं हैं, है ना?’
‘नहीं, मैं भारत से हूं। मैं अभी यहां आई हूं।’ उसने पॉप्पी को सहलाया और उसे स्ट्राम के पास छोड़ दिया। साथ ही उसने स्ट्राम को भी थपथपाया। पॉप्पी ने भी अपनी पूंछ लहराई।
बूढ़े आदमी ने धीरे से अपनी पलक झपकाई और अपना सिर हिलाते हुए कहा, ‘मुझे यकीन है कि आपको यहां इस स्टोर में इंडियन आइटम्स (Indian Items) भी मिल जाएंगे। मैंने एशियाई गलियारे में कई प्रकार की एशियाई दालें देखी हैं। हैव अ गुड डे, सनशाइन’। फिर उसने अपने पालतू जानवर की ओर देखते हुए कहा, ‘तुम दोनों मेरा यहां इंतज़ार करो, ठीक है’। यह कहकर वह स्टोर में अंदर चला गया।
पॉप्पी और स्ट्राम दुकान के पास बने फुटपाथ पर ठहर गए। उसने कांच के दरवाज़ों पर एक फीकी पीली चमक देखी। फिर उसने आकाश की ओर देखा।
मुस्कान मुस्कुराई और कांच के दरवाज़ों की ओर एक कदम बढ़ा दिया। वे उसके लिए खुल चुके थे।