व्यक्तिगत विभिन्नता

मैं और तुम मिलकर बने ‘हम’

रिश्तों में व्यक्तिगत विभिन्नता क्या महत्व रखती है?

वो एक-दूसरे की ज़िंदगी का अभिन्न अंग थे। उनके मित्र तो उन्हें एक दूजे के लिए बना हुआ ही मानते थे। टिया आज़ाद ख्याल की थी, तो रॉय गंभीर स्वभाव और कम बोलने वाला। उनका पेशा भी एक-दूसरे का पूरक था। उनकी रुचियां भी एक जैसी नहीं थी। यदि उन्हें कोई बाहरी देखता, तो उसे लगता मानों दोनों में व्यक्तिगत विभिन्नता है।

दोनों व्यक्तिगत विभिन्नता के बावजूद एक-दूसरे के साथ ऐसे फिट बैठते थे, जैसे कि चित्रों वाली पहेली में विभिन्न टुकड़े फिट बैठते हैं।

हालांकि वक्त के साथ भीतर की उधेड़बुन को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। एक समय था जब खेलों का दीवाना रॉय क्रिकेट मैचों (Cricket Match) का सीधा प्रसारण देखना कभी नहीं भूलता था। लेकिन पिछले तीन महीनों से वह अपने मित्रों के ऐसे निमंत्रणों को ठुकरा रहा था। यहां तक कि उसने अपना काम भी घर से ही करना शुरू कर दिया था। वह अपने सामाजिक जीवन (Social life) को सीमति करता जा रहा था। जहां रॉय एकाकी होता जा रहा था, वहीं हंसमुख टिया भी सामाजिक तौर पर कटी-कटी रहने लगी थी।

जब लोगों ने उनसे इसका कारण जानना चाहा, तो जवाब मिला कि वे एक-दूसरे के साथ वक्त गुजारने के लिए ऐसा कर रहे हैं।

शाम को जब इंटरनेट नहीं चल रहा था तो रॉय घर का कुछ सामान लेने के लिए ऑनलाइन ऑर्डर करने की बजाय घर से बाहर गया। रास्ते में उसकी मुलाकात एक मित्र से हुई, जिसने बातों-बातों में शहर में होने वाले एक क्रिकेट मैच का जिक्र छेड़ दिया।

मित्र से विदा लेने के बाद वह अपने घर की ओर मुड़ गया। इस दौरान वह मैच के बारे में ही सोचता रहा, ‘हे भगवान क्रिकेट मैच और यहां? मैंने कितने महीनों से मैच नहीं देखा। मुझे तो यह भी नहीं पता कि आखिर यह कौन-सा टूर्नामेंट है’। वह अपने आप से ही बुदबुदाते हुए घर लौट रहा था। रास्ते में उसे दोस्तों के साथ गुजारा हुआ अच्छा वक्त याद आ रहा था। शायद पहली बार उसे दफ्तर न जाने का अफसोस हो रहा था।

जब वो अकेला सोच रहा था, तो उस एक क्षण में रॉय ने सोचा कि हम दोनों साथ रहकर कितने खुश हैं। इसके बावजूद असल में मन के भीतर कितनी असंतुष्टि है। साथ में गुजारा समय खुशी तो देता है, लेकिन यह अधूरा भी लगता है, क्योंकि हम दोनों में कई असामानताओं के कारण व्यक्तिगत तौर पर संतुष्ट नहीं हैं, जब वह घर पहुंचा, तो इंटरनेट ठीक हो गया था और टिया उसका इंतजार कर रही थी।

कमजोर मुस्कान के साथ उसने टिया का हेल्लो कहा। टिया बोली, “हमें इंटरनेट को कुछ देर के लिए शटडाउन कर देना चाहिए।” रॉय ने भी सहमति में सिर हिलाया। रॉय ने गहरी सांस लेते हुए कहा, ‘‘हम साथ रहना पसंद करते हैं, लेकिन जब तक तुम, तुम न रहो और मैं, मैं न रहूं, हम एक कैसे बन सकते हैं’।

टिया ने सोचा, शायद उसे मेरी बात समझ में आ गई है। यह सोचते हुए वह मुस्कुराई कि ‘इसमें क्या नई बात है। मैं उससे दिल की गहराई तक प्यार जो करती हूं।’

रॉय ने फरमान सुनाने वाले अंदाज़ में कहा ‘अगले सप्ताह क्रिकेट मैच होने वाला है, जो देखने मैं जा रहा हूं। टिया भी नन्ही बच्ची के अंदाज़ में ही मुस्करा दी। उसने कहा, ‘मुझे भी तैयारी करनी है। सभी लोगों को आमंत्रित करना है। वह मन ही मन मेहमानों की सूची तैयार कर रही थी।

टिया ने कहा, ‘फिर ठीक है हम शनिवार को मिलते हैं’। रॉय ने भी जवाब दिया, ‘श्योर आई लव यू’।

टिया ने फ्लाइंग किस दिया और उससे विदा लिया। पिछले कई महीनों में पहली बार, रॉय ने मुस्कुराते हुए वीडियो कॉल कट किया था।

इसके बाद दो व्यक्तिगत विभिन्नता वाले लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में लग गए। रॉय लंदन में और टिया सिडनी में।

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