जो होता है अच्छे के लिए होता है

“तुम मुझसे सच्चा प्यार करती हो तो चलो भाग चलो मेरे साथ!” विशाल ने नैना का हाथ पकड़ कर पूरे जोश में कहा। घरवालों को मनाने की लाख कोशिशें करने के बाद भी जब वो नहीं माने तो विशाल को यही रास्ता सही लगा और उसने नैना को बुलाकर उसे अपना ये फैसला सुना दिया।

विशाल और नैना एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। नैना जिला अस्पताल में नर्स थी और विशाल एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था।‌ वो दोनों इस प्यार को शादी में बदल देना चाहते थे। इसलिए उन्होंने जब अपने रिश्ते के बारे में अपने घरवालों को बताया तो विशाल के परिवार ने इस रिश्ते को अपनाने से साफ इनकार कर दिया, क्योंकि नैना और विशाल अलग-अलग जाति के थे।

“तुम मुझसे सच्चा प्यार करती हो तो चलो भाग चलो मेरे साथ!” विशाल ने नैना का हाथ पकड़ कर पूरे जोश में कहा। घरवालों को मनाने की लाख कोशिशें करने के बाद भी जब वो नहीं माने तो विशाल को यही रास्ता सही लगा और उसने नैना को बुलाकर उसे अपना ये फैसला सुना दिया।

“तुम पागल तो नहीं हो गये? मैं तुमसे प्यार करती हूं पर मैं ऐसे अपने घरवालों को छोड़ कर तो नहीं जा सकती न।” नैना ने विशाल से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा।

नैना के यूं अचानक हाथ छुड़ाने से विशाल को गुस्सा आ गया। “यानी तुम मेरे साथ नहीं चलोगी? तुम्हारे लिए मैं अपने परिवार को छोड़ने के लिए तैयार हूं और तुम?…बस यही था तुम्हारा प्यार!”

 

“देखो! तुम शांत हो जाओ। हम कोई बीच का रास्ता भी सोच सकते हैं।…तुम मुझे थोड़ा तो वक्त दो…देखना। जो होगा अच्छा ही होगा।” नैना ने विशाल को समझाने की कोशिश करते हुए कहा, तो विशाल और भड़क गया।

“अरे! भाड़ में जाओ तुम और तुम्हारा रास्ता!” विशाल गुस्से में तमतमाता हुआ, नैना को वहां अकेला छोड़ कर चला गया।

कुछ दिनों बाद, विशाल की मां को न्यू ईयर की रात अचानक दिल का दौरा पड़ गया। पूरा शहर उस वक्त न्यू ईयर का जश्न मना रहा था। विशाल ने तुरंत अपनी गाड़ी निकाली और मां को हॉस्पिटल ले जाने लगा। सड़क पर जाम इतना था कि उसकी गाड़ी बहुत-सी गाड़ियों के बीच फंस गई। उधर मां की तबीयत बिगड़ती ही जा रही थी कि तभी उसे नैना का ख्याल आया। उसने नैना को तुरंत फोन लगाकर अपनी सिचुएशन के बारे में सब बता दिया। नैना ये सुनते ही तुरंत अपनी स्कूटी लेकर विशाल के पास पहुंचने के लिए निकल गई।

पर वहां जाम अब भी उतना ही था। नैना ने अपनी स्कूटी एक कौने में खड़ी की और गाड़ियों के बीच होते हुए, वो तुरंत विशाल की गाड़ी के पास पहुंच गयी। इधर विशाल की मां को दिल का दौरा पड़ने लगा। मगर, नैना एक नर्स थी, और उसने अपनी ट्रेनिंग के दौरान हार्ट अटैक आने पर दी जाने वाली सी. पी. आर. सीख रखी थी। तो बस उसी तकनीक से उसने विशाल की मां को सी.पी.आर. दिया। कुछ ही देर में विशाल की मां की तबीयत में सुधार होने लगा।

जब वो लोग हॉस्पिटल पहुंचे तो डॉक्टर ने कहा कि, “आज अगर नैना नहीं होती, तो विशाल की मां का बचना बहुत मुश्किल हो जाता।”

ये सुनकर तो जैसे विशाल की मां और पूरे परिवार का ह्रदय परिवर्तन हो गया। उन्होंने जाति-पाति के सारे भेदभाव उसी पल भुला दिये और नैना को अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर लिया।

“थैंक्यू! नैना! और सॉरी मुझे उस दिन तुम्हें ऐसे अकेले नहीं छोड़ना चाहिए था।” विशाल ने नैना से माफी मांगते हुए कहा।

“कोई बात नहीं विशाल!… मैंने कहा था न मुझे थोड़ा वक्त दो। जो होता है अच्छे के लिए ही होता है।” नैना ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। इस तरह उन दोनों ने एक नई ज़िंदगी को शुरुआत की।

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