कॉलेज वाला प्यार

कॉलेज वाला प्यार

कॉलेज का पहला दिन था। कॉलेज की अंजान दुनिया में आकर, मुस्कान को बहुत डर लग रहा था और ऐसे ही माहौल के बीच मुस्कान अपने प्रोफेसर को दिल दे बैठी।

प्यार सच में ना जगह देखता है ना माहौल, बस हो जाता है। कुछ ऐसा ही प्यार मुस्कान को अपने प्रोफेसर राघव से हो गया था।

पहले दिन कॉलेज की अंजान दुनिया में आकर, मुस्कान को बहुत डर लग रहा था। मुस्कान क्लास में अकेली बैठी थी। तभी कुछ सीनियर लड़के आकर उसके बगल में बैठ गए और उसे परेशान करने लगे। मुस्कान ने सीट पर से उठने की कोशिश की, तो एक लड़के ने उसका हाथ पकड़ कर उसे दुबारा बैठा दिया। मुस्कान की आंखों में अचानक आंसू आ गए।

ठीक उसी समय वहां से राघव का निकलना हुआ। प्रोफेसर राघव को देखकर, सभी लड़के घबराकर खड़े हो गए। राघव ने लड़के को मुस्कान का हाथ पकड़कर बैठाते हुए देख लिया था।

“क्या हुआ?” राघव ने मुस्कान से पूछा तो उसने बताया कि ये लड़के उसे परेशान कर रहे थे।

राघव ने उनको खूब डांटा, और मुस्कान से माफी मंगवाकर उन्हें भगा दिया। मुस्कान ने बिना राघव की ओर देखे, भरी आंखों से “थैंक्यू!” कहा। इसपर राघव ने कहा, “अब कितना रोओगी? चुप हो जाओ और अपनी मदद खुद करना सीखो।“

मुस्कान उसी वक्त से राघव से इम्प्रेस हो गई थी। इसके बाद क्लासेज में उसे पता चला कि राघव फिजिक्स का प्रोफेसर है।

वो रोज़ वक़्त से पहले ही राघव की क्लास में आकर बैठ जाया करती। मुस्कान, राघव की दीवानी हो चुकी थी। वो राघव को देखने के लिए बार-बार किसी ना किसी बहाने से उसके केबिन में जाया करने लगी।

उसकी इन हरकतों से राघव अंजान नहीं था। वो जानता था कि मुस्कान उसे बहुत पसंद करती हैं। पर उसे अपनी नौकरी और रिस्पेक्ट दोनों ही बहुत प्यारी थी। इसलिए उसने एक दिन मुस्कान को अपने केबिन में बुलाया, और कहा, “देखो मुस्कान! तुम जो चाह रही हो वो ग़लत है।“ इसपर मुस्कान चुपचाप उसके केबिन से चली आई।

मुस्कान को राघव की बात का बहुत बुरा लगा। उसने गुस्से में उसकी क्लास लेना ही छोड़ दिया। कही अगर राघव दिख भी जाता तो वो उससे मुंह फेर लेती।

कुछ दिनों बाद ही राघव को उसका ऐसे देखकर भी अनदेखा करना, खटकने लगा। उसे मुस्कान का उसकी क्लास में ना आना, बुरा लगने लगा। राघव को एहसास होने लगा कि वो भी कहीं ना कहीं मुस्कान को बहुत पसंद करता है।

एक दिन मुस्कान अपनी दोस्तों के साथ खड़ी बातें कर रही थी। तभी राघव वहां से गुजरा तो उसने मुस्कान से कहा, “मुस्कान … कम मीट इन माई केबिन…कुछ काम है तुमसे।“

मुस्कान जानबूझकर देर से केबिन में गयी और जाते ही बोली “जी बताईए सर क्या काम था? मुझे क्लास के लिए जाना है।“

“बताता हूं… दो मिनट रूक जाओ।“ प्रोफेसर होने के नाते राघव को अपनी ही स्टूडेंट् से अपने दिल का हाल बताने में डर लग रहा था।

बहुत हिम्मत करके आखिरकार राघव ने पूछ ही लिया, “तुम मेरी क्लास में क्यों नहीं आती?”

मुस्कान नाराजगी भरे लहजे में बोली, “आपने ही कहा था… जो मैं कर रही हूं वो… ग़लत है।“

“हां तो क्लास में आना थोड़े ही गलत है।“ राघव ने कहा।

थोड़ी देर दोनों ही खामोश रहे।

“तुम अब भी मुझे पसंद करती हो?” राघव के पूछने पर मुस्कान ने झिझकते हुए कहा, “तो ये ग़लत है?”

“नहीं…” राघव ने जबाव दिया।

इसपर मुस्कान को हंसी आ गई। “जब पसंद करते हैं मुझे तो साफ-साफ क्यों नहीं कहते?”

“साफ-साफ…” राघव ने कहा तो दोनों की ही हंसी छूट गई।

फिर दोनों ने अपने रिश्ते को सीक्रेट रखने का फैसला किया और राघव ने कहा कि पहले मुस्कान अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करें, उसके बाद ही वो अपने प्यार की गाड़ी आगे बढ़ाएंगे।

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