दोस्ती की शुरुआत

अनमोल दोस्ती

रितु और अमन के परिवार के बीच खूब दोस्ती थी, लेकिन रितु, अमन की सबसे बड़ी दुश्मन थी। बचपन से ही दोनों एक दूसरे से हर छोटी और बड़ी बात पर झगड़ते थे।

रितु और अमन के परिवार के बीच खूब दोस्ती थी, लेकिन रितु, अमन की सबसे बड़ी दुश्मन थी। बचपन से ही दोनों एक दूसरे से हर छोटी और बड़ी बात पर झगड़ते थे। उन दोनों के मां-बाप बार-बार उनकी दोस्ती करवाने की कोशिश करते पर एक दूसरे से हाथ मिलाने के कुछ मिनटों बाद ही फिर दोनों में युद्ध छिड़ जाता। सबसे अच्छी बात ये थी कि उन दोनों के झगड़ों का असर कभी भी परिवार के ऊपर नहीं पड़ता था। हालांकि, उनकी लड़ाई रोकने की तरकीब रितु और अमन के मां-पापा हमेशा ढूंढ़ते रहते थे। जब ये झगड़े बढ़ने लगे तो दोनों के परिवार ने उन्हें एक दूसरे से दूर-दूर रहने को कह दिया। ये तरकीब कुछ दिन तो कामयाब नहीं हुई, पर बार-बार दूर रहने की बोलने से दोनों सच में एक दूसरे से दूर रहने लगे।

खैर ये तो बचपन की बात थी, पर जब धीरे-धीरे दोनों समझदार हुए, तब भी वो दोनों आपस में बात नहीं करते थे। हर त्योहार और हर फंक्शन में मिलने पर भी दोनों को एक दूसरे के सामने जाना पसंद नहीं था। ये एक दूसरे से उनकी झिझक थी या बचपन की दुश्मनी ये समझना ये कहना बहुत मुश्किल था।

एक दिन जब अमन के जन्मदिन पर रितु का पूरा परिवार उनके घर आया तो रितु के पापा ने रितु को अमन का गिफ्ट लाने को कहा, जिसे वो नीचे गाड़ी में भूल गये थे। रितु ने पापा की तरफ देख कर मुंह बनाया और गिफ्ट लेने चली गई। अमन का फ्लैट पांचवे माले पर था जिसके लिए रितु को लिफ्ट से नीचे जाना था। रितु को अकेले नीचे न जाना पड़े, इसलिए अमन के पापा ने अमन को रितु के साथ जाने को कहा। अमन अपने पापा के इशारे पर रितु के पीछे पीछे चला गया। रितु और अमन ने लिफ्ट ली, तो लिफ्ट पूरी खाली थी। वो दोनों चुपचाप एक-दूसरे से पीठ करके खड़े हो गये। तभी अचानक लिफ्ट की लाइट चली गई और लिफ्ट बीच में रुक गई। लाइट जाने से रितु घबराने लगी। उसके माथे पर पसीना आने लगा। अमर ने जल्दी से अपने फोन की फ्लैस ऑन की और रितु की तरफ देखा जो अंधेरे में बुरी तरह कांप रही थी। तभी अमन ने रितु का हाथ पकड़ कर कहा, “घबराओ मत! मैं तुम्हारे साथ हूं। मुझे कसकर पकड़ लो…जानता हूं तुम्हें अंधेरे से डर लगता है।”

रितु को बचपन से ही अंधेरी और बंद जगहों का फोबीया था, जिसके बारे में अमन बचपन से जानता था क्योंकि साथ खेलते और लड़ते हुए अमन ने कई बार रितु को अंधेरे से डरते हुए देखा था। अमन की बात सुनकर रितु अमन के सीने से लग गई। अमन उसके बालों को सहला कर उसे शांत करवाने की कोशिश करने लगा, और तभी लाइट वापस आ गयी। लाइट आते ही रितु अमन से दूर हट गई। अमन ने नीचे जाकर गाड़ी से गिफ्ट निकाला और रितु से कहा, “सीढ़ियों से चलें?” तो इसपर रितु बोली तुम साथ चलोगे तो लिफ्ट से भी जा सकते हैं।” इसपर अमन ने मुस्कुरा कर कहा, “अच्छा! यानी ये दुश्मनी अब दोस्ती बन गई!” इस बात पर रितु हल्का सा शर्मा गई। आगे चलकर ये अनमोल दोस्ती प्यार में बदल गई।

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