सांता क्लॉज़

सांता का जादू

अभिनव खिड़की से बाहर देखते हुए धीरे से बोला, ‘सांता, क्या तुम वहां हो? स्कूल में मेरे दोस्त कहते हैं कि तुम असली नहीं हो, लेकिन मुझे पता है कि तुम असली हो।’

3 वर्षीय रिया ने परेशान होकर अपने भाई से पूछा, “अभिनव, क्या तुम्हें लगता है कि सांता क्लॉज को मेरा पत्र मिल गया है? वह बेहद दूर रहता है।”

निराश दिख रहे अभिनव ने जवाब दिया, “मुझे पूरा यकीन है कि उन्हें तुम्हारा पत्र मिल गया है। मेरे दोस्त कहते हैं कि हमारे पड़ोसी अंकल दिनेश ही कॉस्ट्यूम पहने सांता क्लॉज हैं।”

रिया की आंखों में विश्वास दिखा। उसने कहा, “यह सच नहीं हो सकता! मां और मैंने अपना पत्र नॉर्थ पोल को पोस्ट किया है।”

“सच में? मैंने तो अपना पत्र फाड़ दिया था। खैर, यदि हकीकत में सांता क्लॉज (Santa Claus) हैं और उसके पास जादुई शक्तियां हैं, तो उसे पता चल ही गया होगा कि मुझे क्या चाहिए।”

रिया अपने होठों को सिकोड़ते हुए धड़धड़ा कमरे से बाहर निकल गई।

आह भरते हुए 7 वर्षीय अभिनव ने खिड़की खोली और क्रिसमस की रोशनी (Christmas lights) से सजे सभी घरों की टोह लेने लगा। रात का आकाश भी जगमगाते तारों से भरा हुआ था और वहां के माहौल में क्रिसमस कैरोल और हंसी के ठहाके गूंज रहे थे।

अभिनव खिड़की से बाहर देखते हुए धीरे से बोला, “सांता, क्या तुम वहां हो? स्कूल में मेरे दोस्त कहते हैं कि तुम असली नहीं हो, लेकिन मुझे पता है कि तुम असली हो।”

उस रात, अपने गर्म, आरामदायक बिस्तरों में लंबे समय तक रहने के बावजूद न तो रिया और न ही अभिनव अच्छी तरह सो सके। रिया बहुत उत्साहित थी और अभिनव अनिश्चित था।

मध्यरात्रि के आसपास उत्साह से लबरेज रिया उठ बैठी और चिल्लाने लगी, ‘अभिनव! क्या तुम सुन रहे हो? मुझे लगता है कि सांता क्लॉज आ गया है।’

अभिनव ध्यान से आवाज़ सुनने की कोशिश करने लगा। रिया पहले ही दरवाज़ा खोल रही थी।

‘रिया, रुको। मुझे कुछ सुनाई नहीं दिया..।’

‘शशशशश! वह नीचे है। मुझे उनके कदमों की आहट सुनाई दी है। चलो, अभिनव,’ फुसफुसाते हुए रिया बाहर निकल गई। अभिनव भी उसके पीछे-पीछे चल दिया।

लेकिन उनकी बैठक में तो कोई अतिथि नहीं बैठा था।

रिया बोली, ‘मुझे लगता है कि वह बाहर ही हैं! मुझे उनकी बजती हुई घंटियां फिर सुनाई दे रही हैं’। इसके बाद बच्चे तुरंत खिड़की की तरफ दौड़े और बाहर झांकने लगे।

छोटी बच्ची खुशी से चिल्लाकर बोली, ‘आकाश की तरफ देखो। अरे, ये तो ऐसे चमक रहा है जैसी कोई परियों का देश हो’। उसका भाई भी मंत्रमुग्ध होकर देख रहा था।

अगली सुबह, बच्चों से अपनी खुशी संभालना मुश्किल हो रहा था। क्या उन्होंने वाकई सांता क्लॉज और उनके उड़ने वाले रेन्डियर देखे थे? कम से कम उन दोनों को तो ऐसा ही लगता था और उनके यहां की क्रिसमस ट्री के नीचे अभिनव और रिया के लिए एक-एक उपहार रखे थे।

अभिनव ने जैसे ही अपने उपहार को खोला, उसके मुंह से खुशी की किलकारी निकल गई। इसके साथ ही उसे वही उपहार मिला, जो वह चाहता था और एक विशेष पत्र। उसने खोला और पढ़ा।

इसमें लिखा था ;

प्रिय अभिनव,

मैरी क्रिसमस!

तुम इस साल एक अच्छे बच्चे की तरह रहे हो। इसलिए तुम्हारा उपहार वही है, जो तुम चाहते थे।

क्या मैं तुम्हे एक राज की बात बताऊं? जादू, क्रिसमस या सांता क्लॉज या उड़ने वाले रेन्डियर में नहीं होता, असली जादू तो तुम्हारे भीतर होता है। जितना ज्यादा तुम अपने दिल की सुनोगे और अपने आप पर विश्वास करोगे, उतना ही ज्यादा चमत्कार तुम चारों ओर देखोगे। जरा सोचो, हर दिन क्रिसमस हो सकता है!

अभिनव, जादू असल में होता है। इसलिए, तुम खुद पर विश्वास करना कभी बंद मत करना।

ढेर सारा प्यार,

सांता

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