धीमी गति से जीना

तेज भागती ज़िंदगी में थोड़ा स्लो होना कब-कब है ज़रूरी?

ज़िंदगी भगवान का दिया एक खूबसूरत तोहफा है, जिसके हर पल में खुश होकर जीना सीखना और धीमी गति से हर पल का मज़ा उठाते हुए आगे बढ़ना ज़रूरी है।

अगर ज़िंदगी में का तेज़ भागना ज़रूरी होता तो फिल्म चलती का नाम ज़िंदगी” नहीं “भागती का नाम ज़िंदगी” होती! ज़िंदगी को धीमी गति से जीना बहुत ज़रूरी है। हर वक़्त दौड़ते रहने से सिर्फ़ थकान और उलझन बढ़ती है। जैसे अगर एक कार को बिना रुके चलाते रहेंगे, तो वो ओवरहीट हो जाएगी, फिर इंसान तो दिल और दिमाग़ दोनों से चलता है, तो उसका मानसिक और शरीर तौर पर थकना लाज़मी है।

ज़िंदगी भगवान का दिया एक खूबसूरत तोहफा है, जिसके हर पल में खुश होकर जीना सीखना और धीमी गति से हर पल का मज़ा उठाते हुए आगे बढ़ना ज़रूरी है। हम अक्सर हर काम में जल्दबाज़ी करते हैं। आइये जानते हैं, ज़िंदगी में कब-कब स्लो होना ज़रूरी हैं।

एक ब्रेक तो बनता है! (Ek break to banta hai!)

ज़िंदगी की दौड़ में हर कोई तेज़ भागना चाहता है, लेकिन क्या कभी सोचा है कि बिना रुके भागते रहने से मंज़िल का मज़ा खो जाता है? कभी-कभी रुकना, सुस्ताना, धीमी गति से जीना और सफर को महसूस करना भी उतना ही ज़रूरी होता है जितना आगे बढ़ना। ये ठहराव या धीमी गति से जीना कोई रुकावट नहीं, बल्कि खुद को रिचार्ज करने और सही दिशा में बढ़ने का मौका होता है।

जब फैसले भारी लगें, जब दिमाग़ थकान से भरा हो, जब अपनों के साथ वक्त बिताने का दिल करे, या जब शरीर आराम मांग रहा हो, तब थोड़ी देर ठहरना या धीमी गति से जीना ही समझदारी है। सफर सिर्फ़ मंज़िल तक पहुंचने का नाम नहीं, बल्कि उसे सही तरीके से जीने का भी नाम है। इसलिए, जब भी ज़िंदगी बहुत तेज़ लगने लगे, एक ब्रेक लें, सांस लें और सफर का आनंद उठाते हुए ज़िंदगी में खुश (Happiness) रहना सीखें।

स्लो होना क्यों है ज़रूरी? (Slow hona kyun hai zaroori?)

ज़िंदगी एक लंबी रेस है, जहां तेज़ दौड़ने से ज़्यादा ज़रूरी है सही टाइम पर सही स्टेप लेना। जब भी ज़रूरत हो, थोड़ा ठहरें, सोचें और खुद को रिचार्ज करें। तभी आप तेज़ भी दौड़ पाएंगे और इस सफर का मज़ा भी ले पाएंगे! थोड़ा ब्रेक लें, चैन से एक गहरी सांस लें और सफर को महसूस करें। ज़िंदगी बस मंज़िल तक पहुंचने का नाम नहीं, उसे जीने का भी नाम है!

तेज भागती ज़िंदगी में थोड़ा स्लो होना है ज़रूरी (Tez bhagti zindagi mein slow hona hai zaroori)

तेज़ भागती ज़िंदगी में हर वक़्त दौड़ते रहना ज़रूरी नहीं, कभी-कभी थोड़ा धीमा होना भी बहुत ज़रूरी होता है। ये सिर्फ़ थकान उतारने के लिए नहीं, बल्कि सही फैसले लेने, लाइफ को एंजॉय करने और खुद को रिचार्ज करने का भी तरीका है।

आइए जानते हैं, कब-कब थोड़ा स्लो होना चाहिए:

जब कोई बड़ा फैसला लेना हो

कई बार हम किसी फैसले को लेकर बहुत जल्दबाज़ी कर देते हैं, फिर बाद में पछताते हैं। करियर बदलना हो, कोई बिज़नेस स्टार्ट करना हो या फिर शादी जैसा कोई बड़ा फैसला लेना हो, इसमें सोच-समझकर आगे बढ़ना बहुत ज़रूरी है। जल्दबाज़ी में किए गए फैसले अक्सर ग़लत साबित होते हैं। इसलिए, थोड़ा रुकें, हर एंगल से सोचें, फिर कदम बढ़ाएं।

जब दिमाग़ बहुत ज़्यादा थका हुआ हो

अगर दिमाग़ बहुत ज़्यादा सोच-सोचकर भारी लगने लगे, चीज़ें समझ न आ रही हों या आप हर वक़्त स्ट्रेस में महसूस कर रहे हों, तो थोड़ा ब्रेक लेना ज़रूरी है। तेज़ी से भागने की बजाय कुछ समय खुद के लिए निकालें। टहलें, अपनी पसंद का कुछ करें, या बस आराम करें। इससे दिमाग़ फिर से फ्रेश हो जाएगा और आप चीज़ों को बेहतर तरीक़े से हैंडल कर पाएंगे।

जब अपने लोगों के साथ वक्त बिताने का मौका मिले

भागदौड़ में हम अपनों के साथ कम ही वक्त बिता पाते हैं, और यही रिश्तों में दूरियां बढ़ने की वजह भी बनती है। पैसा कमाना, करियर बनाना सब ज़रूरी है, लेकिन अपनों के साथ बिताए पलों की कोई कीमत नहीं होती। इसलिए, जब भी कोई खास लम्हा मिले, जैसे बच्चों के साथ खेलना, दोस्तों से मिलना या घरवालों के साथ बैठकर बातें करना, तो काम को थोड़ा ब्रेक देकर इन पलों को जीना सीखें।

जब कोई बड़ी उपलब्धि हासिल हो

हम में से बहुत लोग एक टारगेट पूरा होते ही अगले की तरफ भागने लगते हैं। कभी सोचा है, आपने जो मेहनत की, जो हासिल किया, उसे सेलिब्रेट करने का हक़ भी आपको ही है? अगर कोई बड़ी सफलता मिली है, तो दो पल रुककर उसे एंजॉय करें। खुद को शाबाशी दें, उसे सेलिब्रेट करें और फिर नए सफर की शुरुआत करें। इससे आपका मोटिवेशन भी बना रहेगा।

जब लाइफ का बैलेंस बिगड़ने लगे

अगर आपको ऐसा लगने लगे कि आपकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बिगड़ रहा है, हर वक़्त काम, स्ट्रेस और भागदौड़ बनी हुई है, तो थोड़ा धीमा होने की ज़रूरत है। सोचें कि आप कहां ग़लत कर रहे हैं, क्या चीज़ें प्रायोरिटी पर होनी चाहिए, और कैसे बैलेंस बना सकते हैं। लाइफ में सब कुछ ज़रूरी है, लेकिन बैलेंस के बिना कुछ भी सही नहीं चलता।

जब शरीर इशारा देने लगे

हर इंसान की एनर्जी लिमिट होती है। अगर लगातार भागने से शरीर थका हुआ महसूस करने लगे, नींद कम आने लगे, सिर दर्द रहने लगे या सेहत बिगड़ने लगे, तो ये मैसेज हैं कि आपको थोड़ा रुकना चाहिए। खाना धीरे खाएं, योग-ध्यान सब्र से करें, खुद के अंदर शांति ढूंढे और अपने सेहत के बारे में ठहर कर सोचें। मशीन भी ज़्यादा चलने पर गर्म हो जाती है, तो इंसान क्यों नहीं? अपनी सेहत को प्राथमिकता दें, क्योंकि आप फिट रहेंगे, तभी आगे बढ़ पाएंगे।

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