टालमटोल

टालमटोल की आदत छोड़ें

किसी बात को टालने की आदत से लड़ने का सबसे पहला उसूल यह है कि हम यह स्वीकार करें कि आप ऐसा कर रहे हैं। यदि आप खुद के प्रति ईमानदार हैं, तो आपको पता चल जाएगा कि आप टालमटोल करने की आदत के शिकार हो गए हैं। इसके बाद आप ऐसा करने का कारण समझकर इसे रोकने का उपाय खोज सकते हैं।

घड़ी में सुबह के 7:50 बजे हैं। आठ बजे आपको निकलना हैलेकिन अभी तक आप नहाए भी नहीं हैं? आपने जल्दी से तैयार होने की कोशिश की, लेकिन उसमें सफल न होने पर खुद को कोस रहे हैं। वहीं बिल्ली के बच्चे की वीडियो बारबार देखने में अपना समय बर्बाद कर रहे हैं।

हमारी ज़िंदगी में अक्सर इस तरह के मौके आते हैं, जब हम टालमटोल कर सब कुछ अंतिम मिनट के लिए छोड़ देते हैं। कई बार इसमें छोटीछोटी बातें भी शामिल होती है। जैसे कोई किताब पढ़नी हो या फिर कपड़े धोना अथवा किसी डेंटिस्ट के पास जाना। कभीकभी हम कोई वाद्य यंत्र चलाना सीखना चाहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं कर पाते। हम ऐसे ही अधूरे कार्यों से घिरे रहते हैं। कल कर लेंगे या जल्द कर लेंगे की सोच आप और हम सभी में होती है। हम अनजाने में ही टालमटोल करने की आदत को अपने जीवनभर का साथी बना लेते हैं। दुर्भाग्य से इस आदत को छोड़ने की लड़ाई की शुरुआत को भी हम टालते ही जाते हैं। हममें से अधिकांश लोग इसका शिकार होते हैं। हम महत्वपूर्ण काम को अंतिम मौके के लिए यह कहते हुए छोड़ देते हैं कि भविष्य में हम ऐसा नहीं करेंगे।

विख्यात रिसर्चर एवं स्पीकर पियर्स स्टील के अनुसार, ‘95 फीसदी लोग कुछ हद तक सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का शिकार हो जाते हैं। यह जीवन में आगे बढ़ने और अपने लक्ष्य को हासिल करने में सबसे बड़ी बाधा है।

टालमटोल (Procrastination)  की आदत से लड़ने का सबसे पहला उसूल यह है कि हम यह स्वीकार करें कि आप ऐसा कर रहे हैं। यदि आप खुद के प्रति ईमानदार हैं, तो आपको पता चल जाएगा कि आप इसका शिकार हो गए हैं। इसके बाद आप ऐसा करने का कारण समझकर उसे रोकने के उपाय खोज सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि आप किसी बात को टालते वक्त क्या कर रहे हैं। इस आसान बात पर नज़र रखने से ही आप अपनी प्राथमिकताओं को सही कर अपनी उत्पादकता को बढ़ाने में सफल होंगे।

सबसे अहम सवाल यह है कि आखिर हम टालमटोल क्यों करते हैं?

इस आलेख में सोलवेदा टीम नेटालमटोल की आदत के कारणों और उससे बचने के उपायों को बताया है। ऐसा करने से आपको इसके मैनेजमेंट की स्ट्रैटजी बनाने में आसानी होगी और वर्कलोड की प्राथमिकता भी तय होगी। 

टालमटोल की आदत के कारण और उससे बचने के उपाय (Talmatol ki aadat ke karan aur usse bachne ke upay)

सुस्ती छोड़ें 

कई बार आलस्य ही एक कारण होता है, जो अधूरे कार्यों का पहाड़ हमारे सामने खड़ा कर देता है। हम अपना कीमती समय टीवी देखने या सोशल मीडिया को देखने में बर्बाद करते हैं। ऐसा करते हुए हम काम के प्रति टालमटोल की प्रवृत्ति अपनाते हैं। 

एक उपाय है। आप कैरट एंड स्टिक पॉलिसी क्यों नहीं अपनाते। कोई भी काम पूरा करने पर खुद को पुरस्कृत करें और अधूरा छोड़ने पर दंडित करें। जल्द ही आप देखेंगे कि आप अधूरे कामों को पूरा करने में रुचि लेने लगे हैं।

नापसंद कार्यों को बनाए रोचक

कुछ गतिविधियां हमें पसंद ही नहीं आती। यदि काम कठिन, उबाऊ या हमें पसंद नहीं है तो हमारे लिए उसे टालना आसान हो जाता है। इसमें जिम जाना, पावर प्वॉइंट प्रेजेंटेशन बनाना, सब्जी काटना या किराना लाने बाजार जाना शामिल हो सकता है। कोई काम कितना भी नीरस क्यों  न हो, उसे रोचक बनाया जा सकता है। आप संगीत का सहारा ले सकते हैं या फिर किसी को उस काम को निपटाने में अपना साथी बनाकर कोई गेम खेलते-खेलते उसे रोचक बनाते हुए निपटा सकते हैं।

अव्यावहारिक लक्ष्य 

कई बार हम खुद के लिए अवास्तविक और अस्पष्ट लक्ष्य तय करते हैं। ‘फिटनेस बढ़ाने’, ‘किताबें पढ़ने’ का निर्णय लेना अस्पष्ट लक्ष्य है, जिसे आसानी से टाला जा सकता है। जब कोई चीज़ आपकी पहुंच से दूर लगती है तो उसे बीच रास्ते में छोड़ देना आसान होता है। यह स्वाभाविक है।

ऐसे में क्यों न छोटे-छोटे लक्ष्य तय किए जाएं। जैसे, ‘सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को जिम जाऊंगा’ ज्यादा संभव दिखता है। इसी प्रकार रोज़ सोने से पहले किताब का एक चैप्टर पढ़ूंगा। ऐसा करने से आप देखेंगे कि आप काम के प्रति टालमटोल की प्रवृत्ति नहीं अपना रहे, बल्कि उसे पूरा करने में लगे हैं।

आत्मसंदेह 

अक्सर, लोग टालमटोल की प्रवृत्ति इसलिए अपनाते हैं क्योंकि उन्हें निगेटिव फीडबैक, निर्णय और फेल होने का डर होता है। सेल्फ डाउट या आत्म-संदेह, असफलता का डर पैदा करता है। जैसे कि कोई अपनी कविता पर कड़ी मेहनत करने के बाद उसे प्रकाशित करने से डरता है कि लोग क्या कहेंगे।

आत्म-संदेह ही वह सबसे बड़ा कारण है जिसकी वजह से लोग अपना शौक पूरा करने से डरते हैं या फिर काम अधूरा छोड़ देते हैं। जब हम टालमटोल करते हैं तो यह डर और भी बढ़ जाता है और हमें अपने सामने का साधारण काम असंभव और विशाल नज़र आने लगता है। अपने डर का मुकाबला करें। यह सोचें कि इससे ज्यादा बुरा और क्या हो सकता है।

अधिक तैयारी

हम अपने सभी कार्यों में परफेक्शन चाहते हैं। परफेक्शन की तैयारी में हम कुछ ज्यादा ही गंभीरता से तैयारी करने लगते हैं। एक ही काम में अटक कर उसे खत्म करने में बहुत लंबा समय लगाते हैं और अनजाने में ही अन्य कामों को करने में देरी हो जाती है। बहुत ज्यादा चिंता करना, अपनी क्षमता पर शक करना और एक बात पर बार-बार नज़र डालना हमें तनाव और चिंता में डाल देता है।

याद रखिए, परफेक्शन, सब्जेक्टिव है। अत: अपनी क्षमताओं पर भरोसा करें, हर बात पर सवाल उठाना बंद करें, एक मानक तय कर उस पर टिके रहें।

छोटी-छोटी बातों की चिंता न करें। खुद पर भरोसा रखें कि आप सही कर रहे हैं।

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