राष्ट्रीय शिक्षा दिवस: देश की आधी समस्याओं का समाधान है बेहतर शिक्षा

जैसे सूरज की रौशनी से कमल का फूल खिल उठता है और उसी तरह शिक्षा की रौशनी को पाकर हर व्यक्ति कमल के फूल की तरह खिल उठता है। वहीं अशिक्षित रहने पर व्यक्ति उस रौशनी से दूर रह जाता है और समाज में मौजूद बहुत सारी बुराइयों का हिस्सा बन जाता है।

एक छोटा बच्चा अपने जीवन की शुरुआत में नासमझ होता है। उसे न अपना ख्याल होता है और न ही वो सामाजिक गतिविधियों के बारे में जानता है और न ही उसमें किसी लक्ष्य को पाने की इच्छा होती है। पर जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है, वैसे-वैसे उसे हर चीज़ का सामना करना पड़ता है और इस बदलाव को अपनाना पड़ता है। इससे उसका जहां एक ओर शारीरिक, मानसिक और संवेदनात्मक विकास होता जाता है, वहीं दूसरी ओर उसमें सामाजिक भावना भी पैदा होती जाती है। बच्चे के जीवन में आए इन बदलावों को उसे सही से समझाने और सही ज्ञान देने के लिए उसे स्कूल भेजा जाता है। स्कूल एक ऐसी जगह है, जहां उसके व्यक्तित्व का पूरा विकास होता है। जहां उसे सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, भौगोलिक और नैतिक शिक्षा का ज्ञान दिया जाता है, ताकि आगे चलकर वो इन सब का ज्ञान पाकर अपने पैरो पर खड़ा हो जाए और अन्य लोगों को भी शिक्षित होने के लिए प्रेरित करें।

जैसे सूरज की रौशनी से कमल का फूल खिल उठता है और उसी तरह शिक्षा की रौशनी को पाकर हर व्यक्ति कमल के फूल की तरह खिल उठता है। वहीं अशिक्षित रहने पर व्यक्ति उस रौशनी से दूर रह जाता है और समाज में मौजूद बहुत सारी बुराइयों का हिस्सा बन जाता है। शिक्षा एक ऐसा हथियार है, जिससे हर समस्या का समाधान किया जा सकता है। शिक्षित लोग समाज की नींव होते हैं और शिक्षित समाज देश की नींव होता है। अगर देश की समस्याओं को हल करना है तो हमें शिक्षा को महत्व देना होगा। देश के हर कोने को पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित करना होगा

शिक्षा का महत्व क्या है (Shiksha ka mahtv kya hai?)

पढ़ाई और सही ज्ञान की कमी लोगों के मानसिक विकास पर भी असर डालती है, जिसके चलते व्यक्ति आर्थिक रूप से विकसित नहीं हो पाता। इसके बाद वो अक्सर आसान और गलत राह चुन लेता है। चोरी-लूट, एक-दूसरे के साथ अशिष्ट व्यवहार, रेप, अपहरण, घरेलू हिस्सा और महिलाओं और बच्चों के साथ बुरा व्यवहार होने का कारण ज़्यादातर शिक्षा की कमी या सही तरह से ज्ञान न मिल पाना होता है।

हम सब मिलकर अगर कोशिश करें तो इन मुश्किलों को काफी हद तक सुलझाया जा सकता है। लोगों को पढ़ने के महत्व को समझाकर और शिक्षा के माध्यमों की जानकारी देकर, हम इस मुहिम में जुड़ सकते हैं। शिक्षा आज हमारे जीवन का ज़रूरी हिस्सा है और सही शिक्षा उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है, तो कोशिश करें कि हम सब इसके महत्व को समझने और समझाने में कामयाब हो सकें।

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस कब मनाया जाता है? (Rashtriye Shiksha Divas kab manaya jata hai?)

शिक्षा के क्षेत्र में योगदान को देखते हुए हर साल मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जन्मदिन यानी 11 नवंबर को उनकी याद के रूप में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।

एजुकेशन डे क्यों मनाया जाता है? (Education Day kyon manaya jata hai?)

एजुकेशन डे या शिक्षा दिवस भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जन्मदिन को हर साल शिक्षा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। वे स्वतंत्र भारत के सिर्फ प्रथम शिक्षा मंत्री ही नहीं थे बल्कि वे भारत में शिक्षा की बुनियाद रखने वाली उच्च कोटि की संस्थाओं के शिल्पकार भी थे। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को याद करने का दिन है क्योंकि भारत में शिक्षा के विकास में मौलाना आज़ाद की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस को मनाने की शुरुआत 11 नवंबर 2008 से हुई। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के व्यक्तित्व और महानता को याद करने के साथ-साथ, इस दिन संस्थानों में भारतीय शिक्षा व्यवस्था के ऐतिहासिक विकास और वर्तमान में शिक्षा व्यवस्था के मूल सवालों पर चर्चा भी की जाती है। इस दिन बहुत से सामाजिक कार्यक्रम, वर्कशॉप, पुस्तक प्रदर्शनी और सम्मेलन किए जाते हैं। स्कूलों में निबंध, क्विज, भाषण, पोस्टर मेकिंग जैसी प्रतियोगिताओं कराई जाती हैं और आज़ाद जी के योगदान को याद किया जाता है। उन्होंने हमारे देश को शिक्षा का तोहफा देकर हम सभी को अशिक्षा के अंधकार से बाहर निकाला। उनकी यही इच्छा थी कि देश का हर घर और हर नागरिक शिक्षित बने। शिक्षा के संदर्भ में उन्होंने कहा है कि “स्कूल प्रयोगशालाएं हैं जो देश के भावी नागरिक को तैयार करती हैं।”

तो फिर चलिए राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर हम सब भी शिक्षा के इस महत्व को समझें और शिक्षण को बढ़ावा दें। ऐसे ही और भी आर्टिकल आप सोलवेदा पर पढ़ सकते हैं।