पिता दिवस

पापा की 5 आदतें जो उन्हें हमारा पहला दोस्त बनाती हैं

पापा को हम अक्सर एक सुपर हीरो की तरह देखते आए हैं, जो हमारी हर इच्छा पलक झपकते ही पूरी कर देते हैं। जो बच्चों की फरमाइश पूरी करने के लिए अपनी इच्छाओं को दबा देते हैं, वो होते हैं पिता।

कहते हैं मां से तो हम इस दुनिया में आने से पहले ही जुड़ जाते हैं, पर पिता से हमारा रिश्ता इस दुनिया में आने के बाद जुड़ता है। बच्चे को गोद में लेकर ही पिता को यह एहसास होता है कि अब वो एक पिता हैं। हम उनकी उंगली पकड़कर चलना सीखते हैं और जीवन के बहुत से अनुभव उनके साथ महसूस करते हैं।

पापा को हम अक्सर एक सुपर हीरो की तरह देखते आए हैं, जो हमारी हर इच्छा पलक झपकते ही पूरी कर देते हैं। जो बच्चों की फरमाइश पूरी करने के लिए अपनी इच्छाओं को दबा देते हैं, वो होते हैं पिता। एक वक्त था जब बच्चे अपने पिता से खुलकर बात नहीं कर पाते थे। पापा और बेटों के बीच एक अजीब सी अनकही झिझक रहती थी, पर बढ़ते ज़माने के साथ पिता और‌ बच्चों के बीच की यह दूरी बहुत हद तक कम हो गई है। आज कल के पिता एक पिता की तरह नहीं बच्चों के दोस्त की तरह व्यवहार करते हैं। तो चलिए इस फादर्स डे यानी पिता दिवस पर जानते हैं कि पापा की ऐसी कौन सी आदतें हैं, जो उन्हें हमारा पहला दोस्त बनाती हैं।

पिता दिवस क्यों मनाते हैं? (Pita Divas kyun manate hain?)

आपको ये जानकार हैरानी होगी कि मातृ दिवस के बहुत सालों बाद पिता दिवस मनाने की शुरुआत हुई है। 1900 सोनोरा स्मार्ट डोड नाम की एक महिला की मां की प्रसव के दौरान मृत्यु हो जाने के बाद, उसे और उसके सभी भाई-बहनों को उसके पिता विलियम स्मार्ट ने पाला, जो गृहयुद्ध के एक अनुभवी सैनिक थे।

अपने पिता के सभी कामों और एहसानों के लिए, डोड ने मातृ दिवस की तरह ही पिता दिवस मनाने के बारे में सोचा।

डोड ने इस दिन के बारे में 1910 के एक समाचार पत्र में लिखा था। उनके सुझाव के बाद, उसी साल 19 जून को पहला फादर्स डे मनाया गया। फादर्स डे मनाने की तारीख डोड ने अपने पिता के जन्मदिन की तारीख के अनुसार रखी।

कब है फादर्स डे? (Kab hai Father’s Day?)

वैसे तो फादर्स डे जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है, पर ऐसा ज़रूरी नहीं है कि हर साल एक ही दिन पिता दिवस मनाया जाए। इस साल 2024 में फादर्स डे 16 जून को मनाया जाएगा

पापा की 5 आदतें जो उन्हें हमारा पहला दोस्त बनाती हैं (Papa ki 5 aadatein jo unhe humara pehla dost banati hain)

पिता और बच्चे का रिश्ता अटूट होता है, मां की ममता के बाद, पिता के प्यार की भी तुलना नहीं की जा सकती। देखा जाए तो पापा हमारी ज़िंदगी में पहले दोस्त की तरह होते हैं, जो हमें दुनिया से लड़ना, अपने पैरों पर चलना, मुश्किल में भी आगे बढ़ना और न जाने कितना कुछ सिखाते हैं।

तो चलिए जानते हैं पिता की 5 आदतें जो उन्हें हमारा दोस्त बनाने में मदद करती है:

अपने पुराने दिनों के किस्से सुनाना

हम सब बचपन से ही पापा से उनकी जवानी के अलग-अलग किस्से सुनते आए हैं। हम सब बच्चों को जब एक साथ बिठाकर, पापा अपने बचपन की कहानियां सुनाया करते थे, तो बड़ा मज़ा आता था।

जब पापा इस तरह बच्चों से बात करते हैं, या उन्हें कोई कहानी या किस्सा सुनाते हैं तो बच्चे उनके साथ एक अलग ही जुड़ाव महसूस करते हैं। बीच-बीच में उनसे सवाल पूछते हैं और उन्हें उनकी कहानी से मिलता-जुलता अपना किस्सा बताते हैं। और यही सब बातें एक पिता के लिए बच्चों का दोस्त बनने में मदद करती हैं।

उनके मन की सुनना

बहुत बार ऐसा होता है कि माता-पिता खुद को बड़ा समझ कर बच्चों की बात पर ध्यान ही नहीं देते। पर पापा अगर बच्चों से उनकी राय और उनकी पूरी बात सुनते हैं। जब बच्चे अपने पिता से अपने मन की बात खुलकर कह पाते हैं तो उनको बड़ी खुशी (Happiness) होती है और वो पापा को अपना सबसे अच्छा दोस्त बना लेते हैं।

थोड़ा-सा मज़ाक भी है ज़रूरी 

पिता और बच्चों के रिश्ते की जो एक अनकही झिझक या डर होता है वो बच्चों को पापा का दोस्त नहीं बनने देती। पर जो पिता अपने बच्चों के साथ हंसी-मज़ाक करते हैं उनसे खुलकर बात करते हैं, वो अपने बच्चों के दोस्त बन जाते हैं।

गलती पर डांट नहीं प्यार है ज़रूरी 

गलती तो सबसे होती है, जब पिता बच्चे होंगे उन्होंने भी बहुत सारी गलतियां की होंगी, क्योंकि हम सब गलतियां करके ही तो सीखते हैं। जो पापा अपने बच्चों की गलतियों पर उनपर हाथ उठाने की बजाय उन्हें प्यार से बैठा कर समझाते हैं, वो अपने बच्चों के सबसे प्यारे दोस्त बन जाते हैं।

बच्चों को खुद लेने देते हैं फैसले 

एक सच्चा दोस्त हमारे ऊपर अपने फैसले नहीं थोपता, बल्कि हमारे फैसलों में हमारे संग खड़ा रहता है। ऐसे ही जो पिता अपने बच्चों के फैसलों की कद्र करते हैं वो बच्चों के दोस्त बन जाते हैं।

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