इस दुनिया को बनाने के लिए हर तरह के लोगों की ज़रूरत होती है, उत्साह से भरे आशावादी, घोर निराशावादी, खुश-मिजाज और निश्चित रूप से जटिल लोग, जिनमें बेशक आप या मैं भी हो सकते हैं।
हम समझते हैं कि सकारात्मक (Positivity) और खुशमिजाज लोगों के साथ व्यवहार रखना ब्रेड पर मस्का लगाने जितना आसान होता है और जटिल लोगों के साथ व्यवहार रखना किसी पहाड़ पर चढ़ने जैसा होता है। सबसे आसान तरीका तो यह होगा कि हम उन्हें नज़रअंदाज़ करें या फिर उनसे बचें, यह अवरोध की तरह काम करेगा। जबकि, उन्हें समझने का कठिन रास्ता चुनना, उन्हें एक मौका देना या फिर उनके साथ रहने की एक सच्ची कोशिश करने से हम आदर्श दुनिया की ओर एक कदम बढ़ा सकते हैं, ऐसा करने से हम अवरोध नहीं पुल को चुनेंगे।
सच्चाई तो यह है कि जटिल लोगों के साथ व्यवहारात्मक बात करने से आप विवादों में फंसकर उनसे उलझते हुए हताश हो सकते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऐसा करने से हमारे दिमाग में भय को बढ़ावा मिलता है और हम उस जटिल व्यक्ति से बचने या लड़ने की कोशिश में जुट जाते हैं। बहुत से ऐसे तरीके हैं जिनकी मदद से हम जटिल लोगों से व्यवहार करते वक्त अपने दिमाग को शांत रखकर अपनी स्थिति को संवार सकते हैं, ताकि बात हद से आगे न बढ़ जाए और यह अवरोध न बन जाए।
उनकी बात सुनें (Unki baat sunen)
जटिल लोग, जन्मत: बुरे नहीं होते। अगर वे जटिल लगते हैं, तो हो सकता है कि किसी बात को लेकर संघर्षरत हैं या फिर गुस्से की वजह से ऐसा बर्ताव कर रहे हों।
उनका यह बर्ताव व्यग्रता और निराशा की वजह से भी हो सकता है। खुद को उनकी जगह रखकर सोचें। ऐसा करने से आप मसलों को हल करने में सफल हो सकते हैं और इस तरह अवरोध को हटाया जा सकता है।
दया भाव रखें (Daya bhav rakhen)
किसी को दोषी बताने या दूसरों पर उंगली उठाने से आप उस व्यक्ति को अपने ही खोल में जाने का मौका देते हैं। इसके विपरीत दया भाव दिखाने पर आप उस व्यक्ति को अपने आप से बाहर आकर खुलने का अवसर प्रदान करते हैं। जब किसी को यह महसूस होता है कि वह इस दुनिया में अकेला नहीं है, बल्कि कोई उसकी भी बात सुनता है तो वह खुद को सहज महसूस करने लगता है और बुरे से बुरे आदमी की अच्छाई सामने आ जाती है।
उन्हें वक्त दीजिए यदि कोई व्यक्ति जटिल स्वभाव का है तो वह रातों-रात अपना स्वभाव नहीं बदल सकता। फिर भले ही उसके सामने मित्रों का सहारा हो या नया दृष्टिकोण, वह बदलने के लिए अपना वक्त तो लेगा ही। वह सोच-विचार करने के बाद ही अपने रवैये में परिवर्तन लाएगा।
दया भाव रखने और खुद को अलग रखने से आपको खुद भी भावनात्मक रूप (Emotionaly) से आजाद रहने का मौका मिलेगा और आप स्थिति को एक नए नजरिए से देखेंगे।
आप, मैं और हम सभी में खुद के जटिल स्वभाव को बदलने की क्षमता होती है। यह संभव है। अपने प्रत्यक्ष स्वभाव से परे देखें। अवरोध नहीं, पुल चुनें।