अच्छे दोस्त

अच्छे दोस्त

इस जीवन में हम लोगों के साथ ऐसा होता है कि हम किसी व्यक्ति से काफी ज्यादा लगाव हो जाता है। उस समय हमें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो पुरुष है या महिला। दो लोगों के बीच का यह रिलेशनशिप प्यार से अलग हो सकता है।

अच्छे फ्रेंड्स हमारे सोशल लाइफ का अहम हिस्सा होते हैं। यही वजह भी है कि लोग उनका साथ इंज्वाय करते हैं, साथ खाना खाने के साथ हैंगआउट करते हैं और खूब मस्ती करते हैं। यही वजह भी है जब मुश्किल दौर में होते हैं तो हमारे अच्छे फ्रेंड्स हमें गाइड करते हैं। एक-दूसरे पर भरोसे का यह रिश्ता समय के गुज़रने के साथ और मज़बूत हो जाता है। आगे चलकर यही दोस्त हमारी फैमिली का हिस्सा बन जाते हैं। ऐसे दोस्ती कभी नहीं टूटती। यही वजह है कि लाइफ में आने वाली छोटी से लेकर बड़ी मुश्किलों में से ये दोस्त हमें निकाल लेते हैं।

जब हम इस कदर किसी के साथ जुड़ते हैं, तो वो महिला है या पुरुष उससे हमें वाकइ में फर्क पड़ता है? क्या दो लोगों के बीच में प्रेम के अलावा भी कोई रिश्ता हो सकता है, जैसे अच्छे दोस्त। फ्रेंडशिप डे के मौके पर सोलवेदा मॉडर्न फ्रेंडशिप की ओर आपका ध्यान खींचना चाहते हैं। बताना चाहते हैं कि अच्छे दोस्त का हमारी ज़िंदगी में कितना महत्व है।

सिम्पोसियम नामक अपनी कृति में 15वीं शताब्दी के यूनानी दार्शनिक प्लेटो ने प्रेम को दो प्रकार में बांटा है। पहला वल्गर इरोस और दूसरा डिवाइन इरोस है। पहले प्रकार का मतलब है कि वह प्रेम जिसमें लोगों फिजिकली सुख पाना चाहते हैं व उनका आकर्षण किसी खूबसरत व्यक्ति की ओर होता है। वहीं दूसरे प्रकार का अर्थ उस प्रेम से है जैसे ईश्वर के प्रति लोगों का लगाव होता है। दिव्य काम को अभी के समय में आदर्शवादी प्रेम के रूप में जाना जाता है। उसका नाम स्वयं दार्शनिक प्लेटो के नाम पर रखा है। ऐसा प्रेम जोशीला, बिना शर्त और फिर भी अरोमानी/अनरोमांटिक हो सकता है।

हमारे कल्चर में ऐसे रिलेशनशिप के कई उदाहरण मिल जाएंगे। उदाहरण के लिए, हैरी पॉटर और हर्माइनी ग्रेंजर को लें। वे स्कूल में मिलते हैं, एक साथ अनगिनत कारनामों को अंजाम देते हैं और यहां तक कि उस समय के सबसे बड़े काले जादूगर (डार्केस्ट विज़ार्ड) को भी हरा देते हैं। मौज-मस्ती और लगभग घातक धोखाधड़ियों के समय भी वे एक-दूसरे का सहारा बनते हैं। फिर भी वो जो काम करते थे उसमें एक-दूसरे की केयर के अलावा रोमांस व शारिरिक संबंध जैसा कोई रिश्ता नहीं होता है। ऐसी ही एक और जोड़ी है- टीवी शृंखला फ्रेंड्स में फोबे और जॉए। वो एक अच्छे दोस्त के जैसे हैं। इनकी दोस्ती लोगों को काफी पसंद है। एक किस्से की बात करें तो फोबे जॉए के साथ उसकी योजना को रद्द करने के लिए नाराज़ हो जाता है और कहता है “गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड तो आते जाते रहेंगे, लेकिन अच्छे दोस्त का रिश्ता पूरे जीवन तक साथ रहेगा”।

मौजूदा समय में मॉडर्न फ्रेंडशिप पहले के समय की तुलना में काफी सामान्य है। इस तरह का मेल लोगों में विभिन्न दृष्टिकोणों और संवेदनाओं को उजागर कर सकता है। यह उनके मन को व्यापक बनाने में मदद कर सकता है व कई मामलों में खुद को व्यक्त करने के लिए अधिक खुलापन दे सकता है। मिसाल के तौर पर निवेदिता निरंजन कुमार को ले लीजिए। एक किशोरी के रूप में वह कभी भी फूलों वाली स्कर्ट या रंगीन झुमकों को पहनना पसंद नहीं करती थी, इसलिए उसे एक टॉमबॉय का नाम दिया था। साथ ही लड़कियों के गुटों से उसे बाहर निकल दिया गया था। जब वह 11वीं में थी तब उसने अपने सहपाठी रोमिल शर्मा से दोस्ती कर ली। वह बताती हैं “उसने मुझे लड़कों के साथ बैठने के लिए आमंत्रित किया, मुझे समझा व प्यार दिया।“ 11 साल के बाद भी रोमिल और निवेदिता अच्छे दोस्त हैं।

वैसे पुरुष जिन्हें बीयर पीने का मन करता है, वे गंभीर म्यूजिक सुनते हैं और जब वे एक-दूसरे के आसपास होते हैं, तो अपनी बाइक की सवारी करते हैं। लेकिन जब वे अपनी महिला मित्रों के आसपास होते हैं, तो वे अपने सुरक्षा भाव को परे रख सकते हैं। वे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए दिल का एक नरम कोना भी खोज सकते हैं। एक मार्केटिंग सलाहकार वरुण राजगोपालन बताते हैं “जब मैं अपने पुरुष दोस्तों के साथ होता हूं, तो मुझे मर्दाना होने का एक सूक्ष्म दबाव महसूस होता है। लेकिन जब मैं उन महिलाओं के साथ होता हूं, जिन्हें मैं जानता हूं या चाहता हूं, तब मुझे सड़क पर एक पिल्ले के लिए खेद महसूस करना या उनके लिए एक प्रेम गीत गुनगुनाना अच्छा लगता है।”

अमेरिकी मनोवैज्ञानिक रॉबर्ट स्टर्नबर्ग की ट्राइंग्यूलर थ्योरी ऑफ लव बताती है कि ऐसी फ्रेंडशिप रूमानी प्रेम से कैसे अलग होती है। इस सिद्धांत के अनुसार प्रेम तब होता है, जब दो व्यक्तियों के बीच अंतरंगता, जुनून और प्रतिबद्धता होती है। एक मॉडर्न फ्रेंडशिप में जुनून का भाव अनुपस्थित होता है। फिर भी इस रिश्ते में जो निकटता और निष्ठा पैदा होती है, वह इसे उतना ही महत्वपूर्ण बनाती है, जितना कि दूसरे रिश्ते। वरुण के मामले में उनकी सबसे अच्छी दोस्त भार्गवी रे थीं। वरुण ने कहा- जिन्होंने उसे अपनी, आज उसकी पत्नी व तत्कालीन सहकर्मी के साथ डेट पर जाने के लिए आश्वस्त किया था। “हमारी शादी में वह सबसे पहले जाम उठाने वालों में से थीं। भार्गवी को मैं और मेरी पत्नी दोनों चाहते हैं,”।

एक्सपर्ट का मानना है कि ज्यादातर आयडल फ्रेंडशिप में थोड़ा बहुत तनाव हो सकता है। सामाजिक मनोवैज्ञानिक (Social psychologist) वाणी सुब्रमण्यन कहती हैं, “जब लोग अपोजिट जेंडर के सदस्य के साथ घनिष्ठ संबंध में होते हैं, तब वे अपने को रिलैक्स महसूस करते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि वो दूसरे व्यक्ति को चाहने लगे। जिसे भूल से रोमांटिक आकर्षण माना जा सकता है। लेकिन अगर आपके साथी में भी आपके लिए वही भावना नहीं है, जो आपके मन में उसके लिए है, तो एक रिश्ते के लिए खतरा हो सकता है।” श्रीधर कुलकर्णी जो एक इंजीनियर और थिएटर कलाकार हैं, यह सब बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। जब उन्होंने कॉलेज में एक अच्छे दोस्त से अपनी भावनाओं का खुलासा किया, तो ठुकरा दिया गया। श्रीधर को उसके साथ दोस्त बने रहना असंभव लगता था और ऐसा ही हुआ, वे अलग हो गए।

ज़्यादातर मामलों में लोग अपनी भावनाओं से निपटने में सक्षम होते हैं और अपनी पसंद के अनुसार अच्छे दोस्त से रिश्ता प्रभावित नहीं होने देते हैं। हालांकि, रिजेक्शन का सामना करना आसान नहीं है, फिर भी एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करके उन्हें समझने के लिए आज़ादी और समय देकर आदर्शवादी रिश्तों को बचाया जा सकता है। आखिरकार, अच्छे दोस्त हमारे जीवन में बहुत मायने रखते हैं। यदि इसे बचाए रखने का अर्थ यह है कि हमें कुछ कड़वी भावनाओं को सहना पड़ता है, तो यह तकलीफ कुछ ज़्यादा तो नहीं है? इसलिए, जब हमें कोई ऐसा व्यक्ति मिले, जिसे हम ‘जीवन में अच्छे दोस्त’ कह सकते हैं, तो हमें अपने आप को लकी मानना चाहिए।

*ऊपर दिए गए कुछ नाम काल्पनिक हैं।

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