जानें विश्व फोटोग्राफी दिवस कब है और ज़िंदगी में तस्वीरें कितना रखती हैं मायने

विश्व फोटोग्राफी डे(World Photograph Day) उन सभी फोटोग्राफर्स को समर्पित है, जिन्होंने अपनी कला से दुनिया की खूबसूरती को कैमरे में कैद किया।

एक तस्वीर हज़ार शब्द के बराबर होती है। अगर इस महान कथन में हज़ार की जगह अनगिनत शब्दों का प्रयोग होता, तो भी तस्वीर की विशिष्टता को व्यक्त नहीं किया जा सकता है। तस्वीर भावनाओं, कलाओं, शब्दों और कथनों को व्यक्त करने का सबसे सटीक और प्रभावशाली माध्यम है। कैमरा और मोबाइल फोन तस्वीरों को आसानी से यादों के रूप में कैद करनेके सबसे सरल माध्यम बन गए हैं।

फोटोग्राफी शब्द की उत्पति दो शब्दों के मेल सेहुई है ‘फोटोज़’और ‘ग्राफी’। ग्रीक शब्द ‘फोटोज’ यानी कि प्रकाश और ‘ग्राफी’ यानी कि खींचने से बनी है। फोटोग्राफी का इतिहास बहुत पुराना है। आज के दौर में फोटोग्राफी का प्रचलन इस कदर बढ़ गया है कि तस्वीरें खींचने के लिए न जाने कितने तरह के हाइटेक कैमरे मौजूद हैं।

19 अगस्त को हर साल विश्व फोटोग्राफी डे (World Photography Day) मनाया जाता है। ऐसे में विश्व फोटोग्राफी डे के मौके परआइएजानते हैं कि क्यों मनाया जाता है यह दिन, इसे मनाने के पीछे क्या है कारण और ज़िंदगी में तस्वीरें कितना मायने रखती हैं। विश्व फोटोग्राफी डे उन सभी फोटोग्राफर्स को समर्पित है, जिन्होंने अपनी कला से दुनिया की खूबसूरती को कैमरे में कैद किया।

साल 1861 में ली गई थी पहली कलर फोटो (Saal 1861 mein li gayi thi pahali color photo)

स्कॉटलैंड के भौतिक शास्त्री क्लर्क मैक्सवेल ने 1861 में दुनिया की पहली रंगीन फोटो खींची थी। यह फोटो एक फीते की खींची गई थी और इसका रंग लाल, नीला और पीला था।

तस्वीरों का इतिहास है बहुत पुराना है(Tasveeronka itihas hai bahut purana)

विश्व फोटोग्राफी डे की शुरुआत 2010 में हुई थी, लेकिन इससे जुड़ा इतिहास बहुत पुराना है। फ्रांस के जोसेफ नाइसफोर और लुइस डॉगेर ने 9 जनवरी 1839 को फोटोग्राफी की तकनीक ‘डॉगोरोटाइप प्रक्रिया’ को विकसित किया था। इसे दुनिया की पहली फोटोग्राफी (Photography) प्रक्रिया माना जाता है। 19 अगस्त 1839 को फ्रांस की सरकार ने इस आविष्कार की घोषणा की थी और इसका पेटेंट भी प्राप्त किया था। इसी दिन की याद में विश्व फोटोग्राफी डे मनाया जाता है।

183 साल पहले ली गई थी दुनिया की पहली सेल्फी (183 saal pahle li gayi thi duniya ki pahli selfie)

आज से 183 साल पहले यानी वर्ष 1839 में अमेरिका के रॉबर्ट कॉर्नेलियस ने दुनिया की पहली ‘सेल्फी’ क्लिक कीथी। हालांकि, उस समय सेल्फी क्या होती है, यह कोई नहीं जानता था। रॉबर्ट कॉर्नेलियस की यह तस्वीर आज भी यूनाइटेड स्टेट लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस प्रिंट में सहेज कर रखी गई है।

आज के समय में तस्वीरों का हमारे जीवन में बहुत ज्यादा महत्व बढ़ गया है। एक तस्वीर के माध्यम से हम वो सारी कहानी कह पा रहे हैं, जिसे लिखने के लिए पहले हज़ारों शब्द खर्च करने पड़ते थे।किसी कहानी के किरदार कोआज एक तस्वीर के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है। आज हर आदमी के पास कैमराउपलब्ध है, जिसका उपयोग सभी अपने-अपने हिसाब से करते हैं।

क्या तस्वीरें रखती हैं हमारे लिए मायने? (Kya tasveerein rakhti hain hamare liye mayane?)

तस्वीरें हमें उन लम्हों को कैद करने में मदद करती हैं, जिन्हें हम आगे चलकर देखना चाहते हैं। तस्वीरें हमें कुछ पल के लिए खुशियों से भरे पुराने समय मेंलौटने में मदद करती हैं। जो तस्वीरें हम आज खींच रहें हैं ये हमें हमारे बीते वक्त की झलक दिखाएंगी। इसलिए हम कह सकते हैं कितस्वीरें हमारे लिए मायने रखती हैं।

इस आर्टिकल में हमने विश्व फोटोग्राफी दिवस से जुड़ी कहानियां बयां की। यह पढ़कर आपके कैसा लगा, यह हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह के और आर्टिकल पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी पर।

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