जानें देश की प्यास बुझाने वाली 5 प्रमुख नदियों के बारे में

नदियां केवल पर्यावरण संरक्षण में ही मददगार नहीं होतीं, उनसे बहुत से लोगों की प्यास भी बुझती है, क्योंकि आज भी ऐसे बहुत से शहर और जगह हैं, जहां लोग नदियों के पानी के भरोसे रहते हैं।

हमारे देश में नदियां देवी के रूप में पूजी जाती हैं। नदियों के लिए हर भारतीय के दिल में श्रद्धा होती है। नदियां केवल पर्यावरण संरक्षण में ही मददगार नहीं होतीं बल्कि उनसे बहुत से लोगों की प्यास भी बुझती है। आज भी ऐसे बहुत से शहर और जगहें हैं, जहां लोग नदियों के पानी के भरोसे रहते हैं। उनका नहाना-धोना, खाना-पीना सब कुछ नदियों के पानी से ही संभव हो पाता है। तो चलिए हम और आप मिलकर सोलवेदा के साथ इस विश्व नदी दिवस पर जानते हैं कि नदी का महत्व क्या है और विश्व नदी दिवस कब है। साथ ही हम ऐसी नदियों के बारे में भी जानेंगे, जो हमारे देश के बहुत सारे लोगों की प्यास बुझाती हैं।

कब है विश्व नदी दिवस? (Kab hai Vishv Nadi Divas?)

नदियां हमारे जीवन का एक अटूट हिस्सा और पानी के मुख्य स्रोतों में से एक है। नदियों के महत्व और ज़रूरत का एहसास सभी को हो, इसलिए हर साल विश्व नदी दिवस मनाया जाता है। विश्व नदी दिवस हर साल 22 सितंबर को मनाया जाता है।

विश्व नदी दिवस पर जानें नदियों का महत्व (Vishv Nadi Divas par janein nadiyon ka mahatv)

नदियां पानी के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है। ये पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) को मजबूत बनाए रखने में मदद करती हैं। नदियां व्यापार के मामले में भी खास मानी जाती हैं, क्योंकि इसमें से मछली पकड़कर मछुवारे, बड़े-बड़े बाज़ारों में मछली का व्यापार करते हैं। नदियों से मिली हुई मिट्टी खेती के काम आती है और इस मिट्टी का इस्तेमाल मूर्तियां बनाने के लिए भी किया जाता है। नदियां वन्यजीवों को संरक्षित करती हैं, उनसे हमें खनिज-लवण भी मिलते हैं। इसके अलावा नदियां जल-विद्युत (Hydro-electricity) बनाने में भी सहायक होती हैं।

जब नदियों के होने के इतने फायदे हैं, तो फिर हमें नदियों की सफाई और बचाव पर ध्यान देना चाहिए। चलिए इस विश्व नदी दिवस पर नदियों को साफ रखने और उनकी रक्षा करने की शपथ लें।

देश की प्यास बुझाने वाली 5 प्रमुख नदियां (Desh ki pyaas bujhane wali 5 nadiyaan)

नदियां देश के बहुत से हिस्सों में पानी का एकमात्र स्रोत हैं। ऐसी जगहों पर सभी लोग पानी की पूर्ति के लिए नदियों पर पूरी तरह आश्रित होते हैं। तो चलिए जानते हैं ऐसी 5 नदियों के बारे में जो हमारे देश के बहुत से लोगों की प्यास बुझाती हैं।

गंगा ‘मां’ के रूप में बुझाती है प्यास

‘हर-हर गंगे’ और ‘नमामी गंगे’ जैसे स्लोगन तो मेरी तरह आप भी बचपन से सुनते आ रहे होंगे। लगभग 100 फीट से ज़्यादा गहरी गंगा नदी धार्मिक तौर पर नदियों में सबसे खास मानी जाती है। देश में 2,525 किमी तक गंगा फैली हुई है। हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा आरती और गंगा स्नान का बहुत महत्व है, जिसके लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। गंगा नदी को ‘गंगा मां’ के नाम से भी पुकारा जाता है। धार्मिक महत्व के अलावा गंगा नदी बहुत से शहरों में पानी की पूर्ति का एकमात्र स्रोत है। इस नदी में मछलियों तथा सरीसृपों की अनेक प्रजातियां हैं। यह नदी कृषि, पर्यटन, और व्यापार के लिए भी काम आती है। गंगा के महत्व को देखते हुए, 2008 में भारत सरकार ने गंगा को भारत की राष्ट्रीय नदी की उपाधि भी दी थी।

यमुना से आता है घर-घर पानी

यमुना नदी का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत ज़्यादा है। आगरा, मथुरा और वृंदावन जैसे शहर यमुना के किनारे पर ही बसे हुए हैं।

गंगा नदी के बाद यमुना नदी को सबसे पवित्र और पूजनीय नदी माना जाता है। आज भी आगरा और मथुरा के बहुत से घरों में यमुना नदी के पाइप लाइनों द्वारा पानी सप्लाई किया जाता है। लोग यमुना के इसी पानी पर पूरी तरह निर्भर रहते हैं। इसके अलावा, देश की राजधानी दिल्ली में भी 70% पानी यमुना नदी से ही सप्लाई होता है।

तुंगभद्रा नदी से मिलता है मीठा पानी

रामायण में पंपा नाम से जानी जाने वाली मीठे पानी की नदी तुंगभद्रा कर्नाटक की सबसे मशहूर नदी है। 147 किलोमीटर लंबी यह नदी वराह पर्वत से निकलती है, जिसे गंगमूला कहा जाता है। कर्नाटक में तुंग कहलाने वाली ये नदी, आगे चलकर भद्रा नदी में समा जाती है, इसलिए इसका नाम तुंगभद्रा नदी रखा गया। यहां का मीठा पानी आवासीय लोगों के लिए वरदान तो है ही, साथ ही, यहां पर्यटकों का भी आना-जाना लगा रहता है। अगर आप भी एक पर्यटक हैं तो यहां आकर न केवल इस नदी के पानी की मिठास चख सकते हैं, बल्कि कर्नाटक की सुंदरता की झलक अपने कैमरे के ज़रिए ज़िंदगी की यादों में जोड़ सकते हैं। यह नदी आगे जाकर कृष्ण नदी से मिल जाती है।

उमनगोत है पीने के पानी का स्रोत

मेघालय की उमनगोत नदी को देश की सबसे साफ नदी कहा जाता है। इस नदी का पानी पीने के लिए भी उपयोग किया जाता है और बाकी कामों के लिए भी। यहां का पानी इतना साफ इसलिए भी है क्योंकि यहां के लोग इस नदी की लगातार सफाई करते हैं। अपनी स्वच्छता की वजह से नदी में नावें कांच पर तैरती-सी नज़र आती हैं। यह शिलॉन्ग से 85 किमी दूर भारत-बांग्लादेश सीमा के पास पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के दावकी कस्बे के बीच से बहती है। लोग इसे पहाड़ियों में छिपा स्वर्ग भी कहते हैं। गांव में करीब 300 घर हैं और यहां के सभी नागरिक मिलकर इस नदी की सफाई करते हैं। गंदगी फैलाने पर 5000 रु. का जुर्माना भी लिया जाता है। लोग यहां घूमने भी आते हैं और नवंबर से अप्रैल तक सबसे ज़्यादा पर्यटकों का यहां आना होता है। यह नदी मावलिननॉन्ग, एशिया के सबसे साफ गांव के पास ही है।

केन नदी भी है खास

मध्यप्रदेश में बहने वाली केन और नर्मदा नदी का पानी सबसे साफ माना जाता है। कहा जाता है कि इस नदी के पानी में मिनरल वॉटर जैसी शुद्धता है। यहां के लोग इस पानी का उपयोग पीने के लिए करते हैं। यह नदी यमुना की एक उप-नदी मानी जाती है, क्योंकि बांदा ज़िले में दोनों का मिलन होता है। केन नदी अपने शजर पत्थर के लिए भी जानी जाती हैं। शजर पत्थर शिल्पकारी के लिए सबसे खास पत्थर माना जाता है।

क्या आपके शहर में भी नदी का पानी पीने के काम आता है, हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए सोलवेदा हिंदी से जुड़े रहें।

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