100 साल जीने वाले लोग देखने में कमजोर लगते हैं। उनकी हड्डियां कमजोर और नज़रें धुंधली हो चुकी होती हैं। वे लगभग सब कुछ देख चुके होते हैं, जो इस दुनिया में देखने के लिए मौजूद है। कई युद्ध, महामारी, बार-बार सरकार के गिरने से लेकर प्यार में पड़ने तक, माता-पिता बनने से लेकर अपने करीबियों को खोने तक। 100 वर्ष जीने वाले लोगों ने जिंदगी के सफर में दूर-दूर तक की यात्रा (Travel) की होती है। ये अनुभवों से भरी लंबी यात्रा ही उन्हें दुनिया का सबसे अच्छा शिक्षक बनाती है।

जवान लोग तो अपनी यात्रा की शुरुआत कर रहें हैं, उनके अंदर काफी ऊर्जा भरी हुई है। उनकी आंखों में लाखों सपने हैं और दिलों में अनगिनत उम्मीदें। उन्होंने अभी जिंदगी को ढंग से देखा ही कहां है, वे नहीं जानते आगे का रास्ता कितना मुश्किल होने वाला है। वे ये भी नहीं जानते कि जिंदगी के सफर में आगे कौन-सा मोड़ है। जवान लोग किसी नए राही की तरह हैं, जो अभी यह भी तय नहीं कर पाया है कि उसे जाना किस तरफ है। वे इस बात से भी अनजान हैं कि वे अपने रास्ते में आने वाले सभी तूफानों से बच पाएंगे या नहीं? यह सब उन्हें एक ऐसा छात्र बनाता है, जिसके पास सीखने के लिए दुनिया पड़ी है।

शतायु यानि 100 सालों तक जीने वाले इंसान, एक युवा को जिंदगी के बारे में सिखा सकते हैं, उन्हें बता सकते हैं कि जिंदगी आखिर है क्या! उनका जीवन अनुभव और ज्ञान से भरपूर रहा है, अपने इस ज्ञान और अनुभव को वे एक युवा के साथ बांट सकते हैं। एक शतायु उन सवालों का जवाब दे सकते हैं, जो दूसरों को मालूम नहीं है, चाहे वह सवाल आपके रिश्ते के बारे में हो, काम बारे में या फिर आपके स्वास्थ्य के बारे में। एक शतायु, युवा को गलती करने से बचाते हैं और जीवन से सबक लेना सिखाते हैं।

ज्यादा चिंता न करें (Jyada chinta na karen)

कॉलेज में जाने वाले जवान लोग और नौकरी करने वाले व्यस्त लोग, बहुत चिंता करते हैं। वे उन बातों पर ज्यादा सोचते हैं, जिनपर सोचना यानि वक्त बर्बाद करना है। वे उन चीजों की चिंता में लगे रहते हैं, जो जिंदगी की बड़ी तस्वीर में किसी धूल के कण की तरह है। लेकिन वक्त गुजरने के बाद जब ऐसे लोग अपनी जिंदगी को पलटकर देखते हैं, तो इन्हें लगता है कि उनकी परेशानियां कितनी कम थीं। यह सबक एक शतायु हमें वक्त रहते सिखा सकते हैं। उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि शोर से भरी इस जिंदगी में हमारे मन की शांति कितनी ज़रूरी है। जीवन के लंबे सफर में, आपको यह मालूम होना चाहिए कि उन चीजों को नज़रअंदाज़ कैसे करना है, जो आपके किसी भी मकसद को पूरा नहीं करती है जैसे कि गुस्सा और डर।

प्यार के मामले में सब्र रखें (Pyar ke mamle mein sabar rakhen)

प्यार दुनिया के सबसे खूबसूरत एहसासों में से एक है। हर इंसान प्यार पाना चाहता है, लेकिन प्यार के साथ अगर सब्र न हो तो यह तनाव में बदल सकता है। आज के दौर के लोगों में सब्र की भारी कमी है। तेजी से बढ़ती तलाक की दरें इसका जीता-जागता सबूत है। अब तो ऐसा लगता है कि किसी को अगर प्यार होगा तो उसके साथ तनाव होना लाजमी है। रिचर्ड श्वार्ट्ज, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मनोचिकित्सा के सहयोगी प्रोफेसर और मैकलीन और मैसाचुसेट्स जनरल अस्पतालों के सलाहकार कहते हैं, “यह कभी साबित नहीं हुआ है कि प्यार आपको शारीरिक रूप से बीमार बनाता है, हालांकि यह कोर्टिसोल के लेवल को बढ़ाता है, जो कि एक स्ट्रेस हार्मोन है, जिससे इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है।” दिल के मामले में असली खेल सब्र का ही है, वैसे भी सब्र का फल मीठा होता है। 100 साल जीने वाले लोगों के पास अपने करीबियों से बात करने के लिए या उन्हें देखने के लिए इंटरनेट या कोई स्मार्टफोन नहीं था। लेकिन, उनके पास सब्र था और इसीलिए उनके रिश्ते, जिंदगी की किसी भी मुश्किल से लड़ने के बाद भी अटूट थे। आज प्यार में डूबे किसी भी युवा के लिए यह जिंदगी का एक जरूरी सबक है।

छोटीछोटी चीजों में खुशियां ढूंढें (Choti-Choti cheezon mein khushiyan dhundhe)

हर किसी के लिए खुशी का मतलब अलग होता है। लेकिन, ज्यादातर लोग खुशी को किसी बड़ी उपलब्धि या सामान से जोड़कर देखते हैं। वेल्स फ़ार्गो के एक अध्ययन के अनुसार, “मिलेनियल्स संतुष्टि और खुशी को पैसों से और जिंदगी में वे कितने सक्षम हैं, इससे जोड़कर देखते हैं।” बेशक, पैसे से आप दुनिया का कोई भी आराम और सुविधा खरीद सकते हैं, लेकिन इससे आप आंतरिक खुशी और शांति नहीं खरीद सकते। वैसे भी कोई चीज चाहे लाख चमके लेकिन एक न एक दिन वह अपनी चमक खो ही देती है। अगर आपको हर छोटी चीज में खुशियां ढूंढने आता है, तो जिंदगी आपको आखिरी सांस तक चमकदार लगेगी। यह एक खूबसूरत और ज़रूरी सीख है, जिसे आज के युवाओं को ध्यान में रखना चाहिए।

शतायु लोग चेहरे पर सूरज की गर्मी का एहसास करते हुए सैर करते हैं। वे अपने पोते-पोतियों को खेलते हुए देखते हैं। उन्होंने सीखा है कि छोटी-छोटी चीजों में सच्ची खुशी कैसे ढूंढनी होती है। उनकी इस सीख से हमें भी सीखना चाहिए।

परिवार के लिए समय निकालें (Parivar ke liye samay nikalen)

परिवार हमेशा के लिए होता है। जीवन की इस सच्चाई को जानते हुए भी हम काफी कुछ पाने की चाहत में इसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं। ऐसा खासकर तब होता है, जब आप 30 से 40 की उम्र के बीच होते हैं। इस वक्त आप कर्ज चुकाने के लिए, घर के बिल चुकाने के लिए, अपना कोई सपना पूरा करने के लिए लगातार काम में लगे होते हैं। जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, आप अपने परिवार को कम से कम समय देने लगते देते हैं। इस वक्त आप अपने आने वाले समय को बेहतर बनाने के लिए मेहनत कर रहे होते हैं, इसमें कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन ध्यान रखें कि समय किसी का इंतजार नहीं करता। जैसा कि पोलिश ने कहा है, “आपके पास काम करने के लिए पूरा जीवन पड़ा है, लेकिन बच्चे सिर्फ एक बार ही बच्चे होते हैं।” जब आप बूढ़े होते हैं, तभी आपको इस बात का एहसास होता है कि आपने क्या पाया है और क्या खोया है! जीवन के इस पाठ को याद रखें और सुनिश्चित करें कि आपको ऐसा आपको कभी न कहना पड़े कि “मुझे अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताना चाहिए था।”

सफर करना न भूलें (Safar karna na bhulen)

अमेरिकी लेखक रिचर्ड बाख ने एक बार कहा था, “एक खूबसूरत पल के लिए शुक्रगुजार होने का सबसे अच्छा तरीका है उस पल को पूरी तरह जीना।” इसका मतलब है कि हर पल को दिल से महसूस करना और जिंदगी पूरे आनंद के साथ बिताना। आप अपना हर दिन कैसे बिताते हैं? ऐसे काम कर के जो आपको खुशी देते हैं, नई चीजें सीखकर, नए लोगों से मिलकर और वो सबकुछ कर के जो आपने जीवन में नहीं किया है? अगर नहीं, तो आज ही घूमना करना शुरू कर दें। घूमने के दौरान आप इन सभी चीजों को एक साथ जी सकते हैं। यह जिंदगी का एक और महत्वपूर्ण सबक है, जिसे हर किसी को सीखना चाहिए। यह न सोचें कि आने वाले समय में आप कहां-कहां घूमेंगे, बल्कि अगर संभव हो तो आज ही घूमने निकल जाएं।

बुरे वक्त के लिए खुद को पहले से तैयार रखें (Bure waqt ke liye khud ko pahle se taiyar karen)

बुरा वक्त किसी को बताकर नहीं आता, जीवन में कभी भी कुछ भी हो सकता है। किसी दिन आपके लिए सबकुछ खुशनुमा हो सकता है, लेकिन अगले ही पल, आपका जीवन पूरी तरह बदल सकता है। आप किसी दुर्घटना के बारे में न तो पहले से जान सकते हैं और न ही उससे बच सकते हैं, लेकिन इसके लिए तैयार ज़रूर रह सकते हैं। मान लें कि अगर कोई मेडिकल इमरजेंसी होती है या आपकी नौकरी चली जाती है, तो आप क्या करेंगे? बुरे वक्त में संभलने के लिए आपको इसकी प्लानिंग पहले से करनी पड़ेगी। काफी लोग बुरा समय आने पर ही इस बात को समझते हैं, लेकिन अगर आप पहले से तैयार हैं, तो यह सीख आप अभी ही ले चुके हैं।

कुछ ऐसा चुनें जिसे करना आप पसंद करते हैं (Kuch aisa chunen jise karna aap pasand karte hain)

जिंदगी में आप पैसा कभी भी कमा सकते हैं और कभी भी सेटल हो सकते हैं। लेकिन, अगर आप एक रोमांच से भरी जिंदगी जीना चाहते हैं, तो कुछ ऐसा करें जो आपको सबसे ज्यादा पसंद हो। खुद से एक बार ये सवाल करें कि आप किस चीज में बेहतरीन हैं और आपको कौन-सी चीज असल मायने में खुशी देती है? जब इस सवाल का जबाव आपको मिल जाएगा, तो फिर जिंदगी में उस काम को फिर पूरे दिल से करें। दुनिया में न जाने कितने लोग हैं, जो बूढ़े होने पर सोचते हैं कि उन्होनें जिंदगी में अपनी पसंद का कोई काम नहीं किया। इस उम्र में पछताने के अलावा और कुछ नहीं बचता है। आपको ऐसा न सोचना पड़े, इसलिए आज ही सोचें कि कौन-सा काम आपकी जिंदगी को अभी से बेहतर बना सकता है। एक शतायु से आप इस सबक को सीख सकते हैं।

अपनी तुलना दूसरों से न करें (Apni tulna dusron se na karen)

सारा दिन खुद की तुलना किसी और से करते रहने से सिर्फ आपकी ऊर्जा और समय की बर्बादी होगी। अगर आप सच में किसी से खुद की तुलना करना चाहते हैं, तो खुद से करना शुरू करें। ऐसे में आप हर दिन खुद के पुराने वर्जन से बेहतर बनने की कोशिश करेंगे। सोशल मीडिया ऐप्स पर दिखाई जाने वाली चीजों के ऊपर हजार फ़िल्टर होते हैं, वह कभी सच नहीं होता। ऐसी चीजों पर ध्यान देकर और खुद पर तरस खाकर, आपकी जिंदगी में कुछ अच्छा नहीं होगा। आप खुद ही सोचें कि क्या आप सेब की तुलना संतरे से या मछली की तुलना किसी पक्षी से कर सकते हैं? नहीं, क्योंकि हर चीज एक दूसरे से अलग और खूबसूरत है। 100 वर्ष जीने वाले लोग इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं।

अपने शरीर का ख्याल रखें (Apne sharir ka khyal rakhen)

अमेरिकी बिजनेसमैन, जिम रोहन ने एक बार कहा था, “अपने शरीर का ख्याल रखें। यह एकलौती जगह है, जहां आपको रहना है।” छोटी उम्र में हमें स्वास्थ्य को लेकर कुछ पता नहीं होता, हमें जो अच्छा लगता है हम खाते हैं और जैसे मन करता है वैसे रहते हैं। लेकिन, सालों बाद जब शरीर बीमारी के संकेत दिखाना शुरू करता है, तब हमें मालूम पड़ता है कि कुछ गड़बड़ हो चुकी है। अगर आप अपने शरीर का ख्याल रखेंगे, तो आपका शरीर आपका भी ख्याल रखेगा। जब आप बूढ़े हो जाएंगे और जीवन को पीछे मुड़कर देखेंगे, तो आप अपने युवा उम्र को खुद का ख्याल रखने के लिए शुक्रिया कहेंगे। 100 वर्ष तक जीने वाले लोग भी, इस उम्र तक अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखकर ही पहुंच पाते हैं।

पछतावा करने का भी पछतावा ही होता है (Pachtawa karne ka bhi pachtawa hi hota hai)

वैसे तो पछतावा कोई नहीं करना चाहता क्योंकि पछतावे का एहसास जिंदगी के सबसे बुरे एहसासों में से एक है। यह आपको अंदर तक तोड़ सकता है और आपको एक ऐसे दुख से बांध सकता है, जो जिंदगी भर आपके साथ रहेगा। ‘मुझे ऐसा करना चाहिए था या मैंने कुछ क्यों नहीं किया?  ऐसे सवाल आपको हमेशा परेशान करेंगे। 100 साल की उम्र में आप जिन चीजों को लेकर पछता सकते हैं, उनपर आज से ही ध्यान देना शुरू कर दें।