क्या आज की पीढ़ी एक दिन भी बिना इंटरनेट के गुजार सकती है? आपका जवाब होगा ‘नहीं’। ये वास्तविकता है, इस इंटरनेट के युग में ऐप्स और स्मार्ट डिवाइस ने हमारे जीवन को आसान बना दिया है, लेकिन धीरे-धीरे हम इसके आदि हो गए हैं। ज्ञान का खजाना, समाचार, डॉक्टर, दवाइयां, इलेक्ट्रीशियन, भोजन, आदि सब महज एक क्लिक की दूरी पर हैं। अब तो दोस्ती भी ऑनलाइन होने लगी है। यूं कहें कि ‘ऑनलाइन’ ही नया विकल्प है। डिजिटल युग ने दुनिया को पूरी तरह से बदल दिया है। पिछले एक दशक से इंटरनेट ने जीवन को सुगम और सुविधाजनक बना दिया है और अब हम धीरे-धीरे इसके आदी हो गए हैं। इंटरनेट के ही कारण आज सूचनाओं का आदान-प्रदान आसान हो पाया है। लेकिन हर अच्छी चीज जा कोई बुरा पहलू भी होता है। डिजिटल युग में इतनी सुविधाएं होने के बावजूद भी व्यक्ति का मन अशांत है। वह अपना ध्यान तक केंद्रित नहीं कर पा रहा है।
आज दिन भर सोशल मीडिया और मोबाइल ऐप्स 24×7 नोटिफिकेशन के द्वारा आपका ध्यान आकर्षित करते रहते हैं। जिस कारण से आपके अंदर फोकस की कमी के साथ उत्पादकता भी प्रभावित हो रही है। हाल ही में की गई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि किसी भी व्यक्ति के सामने अगर स्मार्टफोन रख दिया जाए, तो वह ध्यान केंद्रित नहीं कर सकता। इसके अलावा दूसरी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है कि ऑफिस टाइम में रोजाना लगभग 2.35 घंटे एक व्यक्ति सोशल मीडिया देखने में खर्च कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप कुल उत्पादकता में 13 प्रतिशत की कमी दर्ज की जाती है।
अब सवाल यह उठता है कि इस समस्या से निजात कैसे पाएं? किस तरह से डिजिटल युग में अपनी उत्पादकता को अप्रभावित ही रहने दें। इंटरनेट के समय में कैसे अपना ध्यान केंद्रित करें? इस प्रश्नों के उत्तर सोलवेदा के इस लेख में हैं, जानने के लिए आइए इस लेख को आगे पढ़ें।
समय–समय पर डिस्कनेक्ट करें (Samay-Samay par disconnect karen)
जल्द से जल्द सूचनाओं के आदान-प्रदान की इच्छा ही आपको स्मार्ट फोन, आदि के साथ जोड़ पाती है। शुरुआत में यह वरदान की तरह लग सकता है, स्मार्टफोन में टैप किया और तुरंत हमारी जिज्ञासा शांत हो गई। लेकिन धीरे-धीरे यह आदत बनने लगती है और फिर हम चाहकर भी अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं, जिससे हम अपने काम को करते हुए भी अपना 100 प्रतिशत नहीं दे पाते हैं। यह ना सिर्फ आपकी उत्पादकता को प्रभावित करता है, बल्कि आपके स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचाता है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में डिजिटल डिस्ट्रैक्शन पर स्टडी करने वाले ग्लोरिया मार्क ने अपने रिसर्च में बताया है कि जब हमारा ध्यान भटकता है, तो हम तनाव, अनचाहे दबाव और निराशा का सामना कर सकते हैं।
मार्क ने इसके तरीके के रूप में कहा है कि थोड़े समय के लिए डिस्कनेक्ट रहने से आप अपने मन को शांत और केंद्रित कर सकते हैं। इस आदत को विकसित करने के लिए पहले अपने डिजिटल डिवाइस को कम से कम एक या दो घंटे खुद से दूर रखें। इसके बाद धीरे-धीरे आप समय को बढ़ाते जाएं और तब आप महसूस करेंगे कि आप खुद से मिल रहे हैं, अपने लिए वक्त निकाल पा रहे हैं। आप जब भी डिस्कनेक्ट होने का निर्णय लें, आप उसके लिए प्रतिबद्ध रहें।
स्क्रीन टाइम को तय करें (Screen Time ko tay karen)
स्मार्टफोन और इंटरनेट की लत हम सभी को ऐसी लगी है कि सुबह उठने के तुरंत बाद और सोने से पहले बिना फोन देखे रह नहीं पाते हैं। अगर आप आंकलन करें, तो शायद एक दिन का बहुत बड़ा हिस्सा हम सिर्फ फोन देखने में निकाल देते हैं। आइए, जरा एक आंकड़े पर गौर करते हैं, एक स्मार्टफोन यूजर पूरे दिन में औसतन 63 बार अपना फोन चेक करता है, जिसमें से 69 प्रतिशत लोग तो सिर्फ सुबह उठने के पांच मिनट बाद ही अपना फोन चेक करने लगते हैं। यह आपको हास्यास्पद लगे, लेकिन यही वास्तविकता है। ये आंकड़े डराने वाले हैं। अब आप ही सोच लीजिए कि एक आम आदमी का स्क्रीन टाइम कितना होता है?
स्क्रीन टाइम को कम करने के कई तरीके हैं, जो आपकी आदत को सुधारने में मदद कर सकते हैं। आपको पता होना चाहिए कि आपके स्मार्टफोन में ऐसे फीचर्स है, जिससे आप अपना स्क्रीन टाइम कंट्रोल कर सकते हैं। आप चेक कर सकते हैं कि आपके फोन में मौजूद सभी ऐप्स पर आप कितने समय रहते हैं। इसके बाद सभी ऐप्स के लिए एक समय सीमा तय करें और फिर जैसे ही आप तय समय सीमा को पार करेंगे, वैसे ही आपके फोन पर एक नोटिफिकेशन आ जाएगा, जिससे आप अलर्ट हो जाएंगे और अपने फोन को बंद करके टेबल पर रख देंगे। इससे आप ना सिर्फ अपने स्वास्थ के लिए बल्कि अपनी एकाग्रता के लिए काम कर सकेंगे।
अपने लिए एक टारगेट बनाएं (Apne liye ek target banayen)
ऑफिस टाइम में अपनी उत्पादकता बढ़ाने के लिए आपको स्क्रीन टाइम कंट्रोल करना पड़ेगा। यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपका ध्यान लगातार भटकता रहेगा। किसी भी काम के साथ कुछ भी ब्राउज़ करना न सिर्फ आपका ध्यान भटका सकता है, बल्कि आपके बहुमूल्य समय को भी नष्ट करता है। यह प्रक्रिया इतनी शांति से होती है कि आपको पता ही नहीं चलता है। इसलिए ऑफिस या काम के समय अपना एक टारगेट सेट करें। जिस पर अमल करने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए खुद को प्रतिबद्ध करिए कि आप फोन सिर्फ लंच टाइम में देखेंगे, वो भी 10-15 मिनट के लिए ही देखेंगे। इसके बाद जब आपका काम खत्म हो जाए या आप ऑफिस से घर जाए, तभी फोन को हाथ लगाएं। इससे आपकी उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी और आपके अंदर एक अच्छी आदत विकसित हो जाएगी।
अच्छी नींद के लिए डिजिटल डिवाइस को कहें ‘ना’ (Achhi nind ke liye digital device ko kahen na)
आजकल कम उम्र के लोगों में अनिद्रा की समस्या एक आम बात हो गई है। इसका एक बड़ा कारण है, सोने से पहले गैजेट्स का इस्तेमाल करना। इसका सीधा असर आपकी उत्पादकता पर पड़ता है। चाहे आप एक छात्र हो या एक पेशेवर व्यक्ति, नींद की कमी के कारण आप अपने क्षेत्र में अच्छा नहीं कर पाएंगे। इसके गवाह कई अध्ययन है, जिसके अनुसार, नींद पूरी ना होने से एकाग्रता कम होती है। किसी काम को करने में ध्यान की कमी दिखाई देती है। स्लीप हेल्थ फाउंडेशन इस बात की पुष्टि करता है कि स्मार्ट डिवाइस का इस्तेमाल करने से, उससे निकलने वाली तीव्र रोशनी के कारण नींद के हॉर्मोन मेलाटोनिन के स्त्राव में बाधा पैदा करती है, जिसके बाद लोगों को नींद नहीं आती है या बहुत मुश्किल से आती है।
इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता है कि अच्छी नींद हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी है। रात में ली गई एक अच्छी नींद आपको अगली सुबह तरोताजा रहने में मदद करती है। साथ ही आप अपने काम पर एकाग्र रह पाते हैं। इसलिए खुद से एक वादा करें कि सोने से कम से कम दो घंटे पहले आप अपना फोन या कोई अन्य स्मार्ट डिवाइस का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
ज़रूरत ना होने पर नोटिफिकेशन बंद कर दें (Jarurat na hone par notification band kar den)
एक अच्छी सुबह के बाद जैसे-जैसे शाम आती है, आपकी उत्पादकता या प्रेरणा में कमी आ सकती है। आप ऊब सकते हैं। इसके लिए आपका मन एक ब्रेक लेने का करता है। इस स्थिति में आपको अपने पास सिर्फ अपना स्मार्टफोन दिखाई देता है और फिर आप सारे नोटिफिकेशन देखने लगते हैं। नोटिफिकेशन पर क्लिक करते ही आप उस ऐप के अंदर पहुंच जाते हैं और फिर दो से पांच मिनट व पांच मिनट से आधा घंटा कब बीत जाता है; आपको पता ही नहीं चलता है। इसलिए कोशिश करें कि इस तरह के ऐप्स का नोटिफिकशन अपने फोन की सेटिंग में जा कर बंद कर दें। ब्रेक लेने के लिए आप किताब पढ़ सकते हैं, खाना पका सकते हैं या एक्सरसाइज कर सकते हैं। अपने सोशल मीडिया की फीड्स देखने के चक्कर में अपना समय ना बर्बाद करें। भूलें नहीं कि आपके पास करने के लिए बहुत कुछ है।
अपनी टू–डू लिस्ट बनाएं (Apni to do list banayen)
अपने प्रतिदिन के कामों की एक टू-डू लिस्ट बनाएं, जिससे आप इस डिजिटल युग में खुद के प्रति जिम्मेदार रहेंगे। इससे आप अपने काम पर फोकस भी कर सकेंगे। इसलिए एक डायरी या बोर्ड लें, जिस पर अपने दिन भर के सभी कार्यों की एक सूची बनाएं और उसे एक के बाद एक पूरा करते जाएं। उन सभी कामों के लिए एक समय निर्धारित करें और कोशिश करें कि आप समय के अंदर अपने कार्य को पूरा कर लें। इसके साथ ही आपके अंदर एक आत्मविश्वास आएगा और आपको खुद को शाबाशी देने का मन करेगा। टू-डू लिस्ट बनाने से आप खुद से खुद को संगठित कर पाएंगे।
ऑनलाइन टाइम का प्लान तैयार करें (Online time ka plan tyaar karen)
जैसे सोने का टाइम, खाने का टाइम तय कर रखा है, वैसे ही ‘ऑनलाइन टाइम’ भी निर्धारित करें। उस टाइम में ही आप अपने आप को ऑनलाइन रखें, चाहे वह गेम खेलने का हो या दोस्तों से चैटिंग करने का। इसलिए, एक समय सीमा तय करें और उसके अनुसार ही ऑनलाइन हों। तय समय से ज्यादा ऑनलाइन ना रहें। इससे आप एकाग्र रह सकेंगे और अपने काम को बिना किसी बाधा के कर सकेंगे। इस तरह से डिजिटल युग में आप अपने जीवन को अपने अनुसार संवार सकते हैं।