राहुल : “मुझे हमेशा जीतना पसंद है, पर कभी-कभी हारना भी मजेदार होता है।”
नेहा : “राहुल मुझसे कभी नहीं जीत सकता है।”
राहुल और नेहा जुड़वा भाई-बहन के ये शब्द फोटोग्राफर मेडेलीन वालर के पोट्रेट में चार चांद लगाते हैं, जो लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूज़ियम ऑफ चाइल्डहुड प्रदर्शनी का हिस्सा था। ये बच्चे भी उन जुड़वा भाई-बहनों में से एक थे, जिनकी तस्वीरों को वालर ने 2017 के कला प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया था। इस प्रदर्शनी में वालर ने भाई-बहनों के रिश्ते को बारीकी से समझाने का प्रयास किया। फोटोग्राफर ने सभी भाई-बहनों की प्रतिक्रियाओं और उनकी बातों को अपने कैमरे में कैद कर लिया था। आपने अक्सर सुना होगा कि तस्वीरें बोलती हैं। इसलिए इस प्रदर्शनी में आए हुए लोग तस्वीरों को देखने के बाद अपने बचपन के सुनहरे दिनों में खो गए।
वैलेस ने भाई-बहन के रिश्तों के मर्म को, उनके खट्टे-मीठे रिश्ते को और एक दूसरे के प्रति उनकी भूमिका को अपने कैमरे में कैद किया था। अन्य तस्वीरों और प्रतिक्रियाओं ने प्रदर्शनी में आए हुए लोगों के मन पर एक अमिट छाप छोड़ी थी।
15 वर्षीय किशोर लिमामो, जो उस कला प्रदर्शनी का एक हिस्सा थे, उन्होंने अपने भाई के बारे में बात करते हुए कहा कि, “एक सिबलिंग हमारे जीवन में भोजन के साथ सलाद की तरह होता है, जिसे हम कभी पसंद करते हैं, तो कभी नहीं। लेकिन वह हमारे सेहत के लिए अच्छा होता है और थाली में उसकी कमी हमेशा खलती है।” इसी क्रम में एक छोटी बहन ने अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं आशा करती हूं मुझे हमेशा अपने बड़े भाई-बहन के कपड़े फिट आ सके।” वहीं, जैस्पर नामक एक किशोर ने कहा कि, “मैं अपनी छोटी बहन के साथ बॉस वाली फीलिंग पाता हूं, मैं रूबी को बताता हूं कि उसे करना चाहिए।” उस प्रदर्शनी में सभी उन तस्वीरों से खुद को संबंधित कर के देख रहे थे।
भाई-बहन का रिश्ता (Brother Sister Relationship) हमारे जीवन के शुरू से जीवन के अंत तक की कहानी है, जिसमें हम प्यार, लड़ाई, नोक-झोंक, ड्रामा, आदि का आनंद लेते हैं। लेकिन बिना भाई-बहन के हमारा जीवन निरस है, हमारे बचपन से लेकर वयस्कता तक की कहानी उनके बिना बेरंग रहती है। भाई-बहन आपस में बहुत सारी बातों को साझा करते हैं और एक दूसरे के क्राइम-पार्टनर होते हैं। सिबलिंग्स ही हमें सही और गलत की समझ कराते हैं और हमें नैतिकता का पाठ सिखाते हैं। उनसे अच्छा कोई दोस्त नहीं हो सकता और उनसे प्रबल कोई प्रतिद्वंदी नहीं हो सकता है। तो आइए भाई-बहन के रिश्ते के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।
प्लेमेट्स और पार्टनर-इन-क्राइम
भाई-बहन का रिश्ता अनोखा होता है। वे अक्सर हमारे लिए उस गोपनीय सूत्र की तरह होते हैं, जो हमारे बड़े से बड़े राज़ को भी छुपा कर रखते हैं। शायद इसी कारण से वे हमारे सबसे अच्छे दोस्त होते हैं। हम उनके साथ खेलते हैं और उनके साथ मिल कर बहुत सारी शरारतें भी करते हैं। कई बार तो हम अपने माता-पिता से साथ में डांट भी सुनते हैं। हम भाई-बहन एक-दूसरे के साथ स्कूल जाने से लेकर खेल के मैदान में साथ खेलने तक की भागीदारी हमारे बचपन की सुनहरी यादों का आधार बनती है। घर-घर खेलते समय तकिए का आशियाना बनाना, धागे और प्लास्टिक की ग्लास की मदद से टेलीफोन बनाना, कबाड़ के डिब्बे से निकले टुकड़ों का खिलौना बनाना, झाड़ू को तलवार की तरह खेलना और तकिए से लड़ाई करना ये सब हम अपने भाई-बहन के साथ ही कर सकते हैं।
भाई-बहन बनते हैं एक दूसरे का सहारा (Bhai Behan bante hain ek-dusre ka sahara)
दुनिया में कुछ भी हो रहा हो, हम चाहे कितने भी सफल या असफल क्यों ना हो, लेकिन हमारे भाई-बहन हमारी पीठ थपथपाने के लिए हमेशा साथ खड़े रहते हैं। भाई-बहन का रिश्ता ही कुछ ऐसा होता है। इससे मानो ऐसा आश्वासन मिलता है कि इस पूरी दुनिया में तुम अकेले नहीं हो, मैं हमेशा तुम्हारा सहारा बन कर तुम्हारे साथ खड़ा हूं।
सबसे ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि जब हमारे माता-पिता घर पर नहीं होते हैं, तो वे हमारे लिए एक सुरक्षात्मक सहारे के रूप में रहते हैं। लेकिन जब वहीं हमारे माता-पिता घर में होते हैं, तो दोनों एक दूसरे से लड़ते रहते हैं। यह सिर्फ बचपन की बात ही नहीं होती है, बल्कि समय बीतने के साथ भी भाई-बहन का रिश्ता समझदार और प्रगाढ़ हो जाता है।
सर्वश्रेष्ठ सलाहकार होते हैं सिबलिंग्स (Sarvsresth salahkar hote hain siblings)
जब हम युवावस्था की तरफ कदम बढ़ाते हैं, तो हमें बहुत सारी चीज़ों का अनुभव नहीं रहता है। ऐसी स्थिति में हमारे बड़े भाई-बहन हमारे लिए मार्गदर्शक और सलाहकार के रूप में होते हैं। वो हमें जीवन के हर पड़ाव पर हमारे हित में ही सलाह देते हैं। जब हम युवावस्था की दहलीज़ पर कदम रखते हैं, तो हमारे शरीर में होने वाले सभी बदलाव के बारे में वे हमें जानकारी देते हैं। पहला प्यार होना, ब्रेक अप होना, किसी खास चीज़ में नई दिलचस्पी पैदा होना या किसी समस्या में फंस जाना, सब बातें हम अपने सिबलिंग्स के साथ ही साझा करते हैं।
बेस्ट टीचर और कोच (Best Teacher aur Coach)
भाई-बहन के रिश्ते की बात करें तो जब कभी हम गणित के सवालों में उलझते हैं, तो एक टीचर बन कर हमारे भाई-बहन ही हमें उसे हल करना सिखाते हैं। इसके साथ ही फुटबॉल खेलने से लेकर लूडो सीखाने तक बतौर कोच वे हमारे साथ रहते हैं। आखिरकार भाई-बहन एक-दूसरे की कमजोरियों और ताकत के बारे में अच्छे से जानते हैं। वे एक-दूसरे की गलतियों और अनुभवों से सीखते हैं। यही कारण होता है कि भाई-बहन का रिश्ता समझना खुद में एक बड़ी पहेली है।
शासक और शासन करने का रिश्ता
कोई भी नई बात नहीं है कि माता-पिता बच्चों के रवैये से वाकिफ नहीं होते हैं, लेकिन फिर भी वे बच्चों के व्यवहार का आनंद लेते रहते हैं। उदाहरण के तौर पर बड़े भाई-बहन के द्वारा छोटे को किसी काम का आदेश देना। उनकी गलतियां माता-पिता को बताना या छोटे भाई-बहनों के द्वारा बड़े की बात का पालन करना। यह व्यवहार भाई-बहनों में शासक की झलक दिखाती है। वहीं दूसरी तरफ छोटे भाई-बहन की ज़िद मानना, उसकी मांगें पूरी करना या उनकी गलतियों को माफ करना भी बड़े भाई-बहन के निस्वार्थ प्रेम को दिखाता है।
हमेशा झुकना
भाई-बहन का रिश्ता हमें आत्म-बलिदान सिखाता है। हमने अक्सर देखा है कि छोटे की गलती को अपने सिर पर लेना बड़े की फितरत होती है। वहीं, कभी बड़े के घर लेट आने पर छोटा भाई या बहन उन्हें माता-पिता की डांट से बचाते हैं। इस प्रकार का झुकाव और प्रेम आपको भाई-बहन के रिश्ते में देखने को मिलता है।
हर पल में रोमांच तलाशने का नाम है सिबलिंग्स (Har pal main romance talashne ka naam hai siblings)
बचपन में स्कूल पिकनिक पर जाते समय अपने भाई-बहन का ध्यान रखना खुद में एक बड़ी जिम्मेदारी का काम होता है। स्कूल से घर आने वाले रास्ते में उनके साथ कुछ नए की तलाश करना, धीरे-धीरे खाना ताकि दूसरे को बाद में बची हुई चॉकलेट दिखा कर चिढ़ा सके। रात में छोटे भाई-बहन को भूत-प्रेत की बाते बताकर डराना और फिर हंस कर उसके डरपोक होने का मजाक उड़ाना। बीतते समय के साथ ये बातें मीठी यादों में बदल जाती हैं।
जीवन का सबक सिखाते हैं भाई-बहन (Jivan ka sabak karna sikhate hai siblings)
बड़ा भाई हमें हमेशा खुद के लिए खड़ा होना सिखाता है, तो बहन के साथ रह कर हम महिलाओं का सम्मान करना सिखते हैं। भाई-बहन की ये सीख हमें आजीवन याद रहती है, जो हमें बड़े होकर एक अच्छा व्यक्ति बनने में मदद करती है। वही जो हमें परिवार के महत्व और भाई-बहन के रिश्तों व परिवार की अहमियत सिखाते हैं।
जीवन के मूर्तिकार होते हैं सिबलिंग (Jivan ke murtikar hote hai sibling)
ज़रूरी नहीं कि सभी भाई-बहन का रिश्ता अच्छा ही हो। कई भाई-बहन का रिश्ता ऐसा होता है जैसे वो एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी हो। लेकिन, यह स्थिति तब आती है, जब हम वयस्क हो जाते हैं। सिबलिंग्स एक दूसरे से चाहे कितनी भी नफरत क्यों ना कर लें, लेकिन वे अपने बचपन की अमिट यादों और व्यवहारों से मुंह नहीं फेर सकते हैं। अंततः उन्होंने हमें तराशा हैं।
अंत में सिर्फ यही बात मन में आती है कि अगर हमारे जीवन में भाई-बहन के साथ हंसी-मजाक, झगड़े, नखरे, दोस्ती, देखभाल ना होता, तो हमारा बचपन निरस, बेरंग और रोमांच से भरपूर नहीं होता।