फिल्मों और टेलीविज़न ने टैरो कार्ड रीडर्स (tarot card readers) की छवि एक जिप्सी महिला के रूप में पेश की है, जो बहुरंगी वस्त्र धारण कर किसी मध्यम रोशनी वाले कमरे में बैठकर आने वाले खराब दौर की भविष्यवाणी करती हैं। शायद इसी धारणा की वजह से टैरो रीडिंग को लेकर लोगों के मन में कौतूहल रहता है। अपनी इस जिज्ञासा को शांत करने और इस गुप्त टैरो कार्ड रीडिंग विधि के बारे में कुछ सीखने की आशा मन में लिए मैं बेंगलुरू स्थित टैरो रीडर शीला एम. बजाज के दफ्तर में जाकर उनसे मिली। शीला जी औपचारिक पोशाक पहने एक रोशन कमरे में मिलीं। वे कहीं से भी स्टीरियोटाइप टैरो रीडर नहीं लग रही थीं। इस आकर्षक टैरो रीडर ने इस विधि को लेकर कुछ महत्वपूर्ण और मूल्यवान जानकारी साझा की।
प्रस्तुत है साक्षात्कार के कुछ अंश :
टैरो रीडिंग क्या है? (Tarot Reading kya hai?)
टैरो रीडिंग भविष्यवाणी करने का एक ऐसा टूल है जो किसी के इन्ट्यूशन (अंर्तज्ञान) को पढ़कर सलाह देता है। टैरो रीडर के पास 78 ‘कार्ड्स’ की एक गड्डी होती है। हम इन ‘कार्ड्स’ पर बने चिह्नों को देखकर अवचेतन स्तर से जानकारी हासिल करते हैं। कई रीडर्स उच्च शक्ति जिसे आप भगवान, महादूत अथवा यूनिवर्स कह सकते हैं से भी कनेक्ट करते हैं। कार्ड्स की गड्डी को मेजर अरकाना (बड़ा भेद) और माइनर अरकाना (छोटा भेद) में विभाजित किया गया है। इन दोनों को साथ में पढ़ा जाता है। मेजर अरकाना में व्यक्ति के जीवन की सभी प्रमुख घटनाओं का प्रतिबिंब दिखता है, जबकि माइनर अरकाना जीवन की बारीकियों, भावनाओं, पैसा, अवसर और लोगों को दर्शाता है। हर कार्ड की सकारात्मक या नकारात्मक व्याख्या की जा सकती है। यह इसपर निर्भर करता है कि क्या सवाल पूछा गया है। यह कार्ड्स मुख्यत: एक ऊर्जा से जुड़े होते हैं जो रीडर, अनुष्ठान व दिव्य आशीर्वाद से निकाले जाते हैं, जिससे यह कार्ड होकर गुजरते हैं।
क्या आप हमें टैरो शब्द का अर्थ और इसकी उत्पत्ति के बारे में बता सकती हैं?
कुछ स्टडीज का कहना है कि सर्वप्रथम टैरो विधि का प्रयोग यूरोप में जिप्सी समुदाय ने किया था, जबकि कुछ के अनुसार टैरो, दुनियाभर में मिस्र की देन है। 13वीं से 17वीं शताब्दी तक इन कार्ड्स का मनोरंजक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया गया। सर्वप्रथम 18वीं शताब्दी में इन कार्ड का प्रयोग रहस्यवादियों (मिस्टिक्स) ने भविष्य बताने के लिए किया। हालांकि टैरो शब्द की उत्पत्ति को लेकर अनिश्चितता है। कहा जाता है कि यह शब्द ‘टेरॉची’ अर्थात इतालवी में कार्ड खेलना से उत्पन्न हुआ था, जो फ्रेंच में टैरो के रूप में प्रचलित हो गया।
आप इन कार्ड को कैसे पढ़ती हैं?
टैरो रीडिंग में सबसे अहम बात यह है कि इसमें रीडर व सब्जेक्ट की एनर्जी को कैप्चर (पकड़ना/हावी होना) करना पड़ता है, ताकि इस एनर्जी का कार्ड्स के साथ कनेक्शन स्थापित किया जा सके। इन कार्ड को एक निश्चित तरीके से मिलाकर व एक विशेष अंदाज़ में काटा जाता है।
जब सामने बैठा व्यक्ति किसी सवाल को ध्यान में रखकर कार्ड एक खास फॉर्मेट में से निकालता है, तो उसकी एनर्जी उस कार्ड में रिफ्लेक्ट हो जाती है। इसे देखकर ही हम सामने वाले व्यक्ति की मनोदशा और समस्या को समझने को तैयार हो जाते हैं। इसके बाद कार्ड हमें बताते हैं कि उनका उस स्थिति को लेकर रवैया सकारात्मक होगा या नकारात्मक।
इसके अलावा जो कार्ड उठाया जाता है उसके दो पार्ट होते हैं। पहले में हम उच्च शक्ति (हायर पावर) का आह्वान करते हैं, ताकि वह हमें सामने वाले व्यक्ति की सहायता करने के लिए रीडिंग में मदद करें। दूसरे में एक एनर्जी होती है जो उच्च शक्ति अथवा भगवान को सामने बैठे व्यक्ति के चेतना से जोड़ती है। इसके सहयोग से सामने बैठे व्यक्ति की एनर्जी टैप कर हम उच्च शक्ति का सहारा लेकर उसकी मदद करते हैं। किसी भी कार्ड का चयन मात्र एक संयोग नहीं होता। टैरो यह एक दर्पण है, जो आपके ब्रह्मांड को दर्शाता है या एक कुंजी है, जो हमें आपकी दुनिया की एक झलक दिखाती है।
किन परिस्थितियों में आप लोगों को टैरो रीडिंग की सहायता लेने की सलाह देती हैं?
मैं उन लोगों को टैरो रीडिंग की सलाह देती हूं जो ज़िंदगी के चौराहे पर खड़े हैं। जिन्हें उनका हर फैसला अलग-अलग परिणामों की दिशा में खींच रहा है। टैरो उनके लिए एक ऐसा विकल्प या पथ चुनने में सहायक हो सकता है जो उन्हें अधिकतम प्रसन्नता देकर उनके दुर्भाग्य को कम करे। टैरो रीडिंग से आपके मन में चल रही उथल-पुथल और व्यक्ति की भावनाओं को समझा जा सकता है। इससे संबंधित व्यक्ति को पेशे, रिश्तों व सेहत से जुड़े फैसले लेने में मदद मिल सकती है। कई बार लोग टैरो रीडिंग से प्राप्त मार्गदर्शन की उपेक्षा करते हैं, क्योंकि वह उनके मन मुताबिक नहीं होता। वे इसे कई बार भविष्य में झांकने का उपकरण समझ लेते हैं। टैरो कदापि आपका भविष्य नहीं बता सकता, क्योंकि आप स्वयं अपने द्वारा आज चुने विकल्पों से अपने कल का भविष्य रच रहे हैं।
आप टैरो रीडिंग व अंक ज्योतिष (न्यूमरोलॉजिस्ट) की ज्ञाता हैं। क्या आप कोई और भी विधि की विशेषज्ञता रखती हैं?
मैंने अपना सफर रेकी सीखने से शुरू किया। आज मैं उस स्तर पर हूं जहां मैं रेकी सिखाने लगी हूं। ग्रैंडमास्टर लिलियन टू के मार्गदर्शन में मैंने मलेशिया में फेंगशुई सीखा। इसके अलावा मैं क्रिस्टल थेरेपी, रत्न शास्त्र, जड़ी-बूटी चिकित्सा, प्राणिक हीलिंग, पास्ट लाइफ रिग्रेशन (पूर्वजन्म प्रतिगमन), ध्यान, एंजल हीलिंग व कर्म चिकित्सा की भी प्रैक्टिस करती हूं। इन सब अभ्यास के पीछे एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। मैं बाकी टैरो कार्ड रीडर्स की तरह केवल मार्गदर्शन न देकर, लोगों की समस्या का निदान करना चाहती हूं। यदि मुझे टैरो से पता लगता है कि व्यक्ति के ग्रह बाधा उत्पन्न कर रहे हैं तो मैं अंक ज्योतिष का प्रयोग करती हूं। इन सभी विधाओं से मिले ज्ञान का प्रयोग कर मैं लोगों को उनकी समस्याओं का समाधान ढूंढने में सहायक सिद्ध होना चाहती हूं।