बेवजह हंसने का दूसरा नाम है लाफ्टर योग

लाफ्टर योग के रचयिता माने जाने वाले डॉ. मदन कटारिया से सोलवेदा की टीम ने खास बातचीत की। इसमें हम हंसने के फायदे और उसके प्रभाव के बारे में जानने का प्रयास करेंगे। साथ ही जानेंगे कि कैसे लाफ्टर योग आज पूरी दुनिया में मशहूर हुआ।

कॉमेडी क्लब में एक ओपन-माइक नाइट में लोग लगातार हंसते हुए लोटपोट हो रहे थे। बेशक वह स्टैंड-अप नाइट कमाल की थी। लोग कितने खुश नज़र आ रहे थे और छोटे से छोटे चुटकुले पर भी खुल कर हंस रहे थे। इस कॉमेडी में बुफे टेबल के आस-पास लोग आपस में कॉमेडी करके हंसाने वाले व्यवसाय पर गंभीरता से चर्चा भी कर रहे थे। इस दौरान सभी एक ही बात पर सहमत दिखे कि हंसना हमारे शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए दवा जैसा है। इस शो के दौरान वे सभी लोग बेहद खुश भी दिखाई दे रहे थे। लोगों ने तो यह तक माना कि स्टैंड-अप नाइट खुद में एक पूरी रात थी, जिसमें उन्होंने जीवन का आनंद लिया।

लेकिन इन सब से अलग एक सवाल दिमाग में आता है कि अगर कोई कॉमेडी शो का आयोजन ना किया जाए, तो क्या लोग हंसेंगे नहीं? शायद टेलीविजन देख कर जिस पर कोई कॉमेडी शो या मूवी देख कर लोग घंटे-दो घंटे हंस लेते हैं। पर जब वो शो या कोई स्टैंड-अप कॉमेडी नाइट खत्म हो जाती है, तो फिर हंसी ना जाने कहां गायब हो जाती है। क्या कभी बिना वजह हंस कर देखा है। शायद ये आपके जीवन की निरसता को दूर कर उसमें खुशियों के रंग भरने का काम करे।

हंसने के कई कारण हो सकते हैं, बिना वजह के हंसना एक प्रकार का योग है। शायद इसलिए इस योग का नाम ‘अट्टहास योग’ रखा गया है, जिसमें बिना वजह हमें हंसना होता है और आज योग पूरी दुनिया में एक आंदोलन की तरह फल फूल रहा है। इस मुहिम को आगे बढ़ाने का जिम्मा डॉ मदन कटारिया ने अपने कंधे पर उठा रखा है। वह लोगों को बिना किसी कारण के हंसने की शपथ दिलाते हैं। सोलवेदा ने इस ‘खुशी के डॉक्टर’ से ‘लाफ्टर योग (Laughter Yoga)’ के बारे में खास बातचीत की और उनके अनुभव व प्रभाव के बारे में जानने की कोशिश की।

आपको अपने जीवन में कब हंसी से खास जुड़ाव महसूस होना शुरू हुआ?

बेवजह हंसना मेरे लिए खुद मुश्किल था। मैं गांव का एक युवा लड़का था, जिसे चुटकुले और कॉमेडी के बारे में पता ही नहीं था। गांव में हमें हंसी सहजता से आती थी। यह बिल्कुल वैसा था, जब दो दोस्त आपस में बात कर रहे हैं और हंस रहे हैं। जब मैं शहर आया तो यहां पर बड़े-बड़े चुटकुले मुझे हंसा ना सके। तब मुझे अंदर से ख्याल आया कि क्या मेरा हंसना चुटकुले पर निर्भर है? शायद नहीं, मुझे महसूस हुआ कि हंसने के लिए किसी भी वजह की ज़रूरत नहीं है।

लाफ्टर योग ने वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति ला दी है। क्या आप इससे सहमत हैं?

जी बिल्कुल, बड़े पैमाने पर यह माना गया और स्वीकार किया गया है कि हंसने से तनाव कम होता है। इसके अलावा इम्यून सिस्टम भी मज़बूत होता है। जब लोग किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते हैं, तो वे कई बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। हंसना सौ मर्ज़ की एक दवा है, क्योंकि हंसते समय हमें किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी नहीं करनी होती है। लेकिन शर्त सिर्फ यही है कि इसकी डेली प्रैक्टिस करना ज़रूरी है। आपको जान कर हैरानी होगी कि हमारा शरीर असली और बनावटी हंसी में अंतर करने में अक्षम है। इसलिए हमें हमेशा हंसना चाहिए। लाफ्टर योग करने से मन हल्का होता है, यह एक तरह से मनोवैज्ञानिक स्तर पर इमोशंस को दूर करता है। जब आप बिना वजह हंसना अपनी आदत बना लेते हैं, तो आप अधिक विचारशील, विनम्र और अच्छा महसूस करते हैं।

लाफ्टर योग के शुरू होने के पीछे की कहानी क्या है?

1993 में मैंने उपचार तंत्र पर अपनी समझ को गहरा करने के लिए हेल्थ मैगजीन ‘माई डॉक्टर’  प्रकाशित करना शुरू किया, जिससे मैं ऐसे तरीके का पता लगा पाऊं, जिसमें बिना दवा के इलाज किया जा सके। इस मैगज़ीन के बिजनेस ने मेरे सेहत पर बहुत बुरा असर डाला। मैं तनाव में रहने लगा और खुद को ठीक करने के तरीके तलाशने लगा। तभी एक दिन मैंने कहीं पढ़ा कि ‘हंसी सबसे अच्छी औषधि है’ और फिर मैंने इसके बारे में लेख भी लिखा। मैंने सोचा क्यों ना इस पर शोध किया जाए और फिर मुझे लाफटर क्लब खोलने का आइडिया आया। जिस क्लब में आने से ज्यादातर लोगों ने मना कर दिया, लेकिन मेरी पत्नी सहित कुछ लोगों ने मुझ पर भरोसा जताया। हम सभी रोज़ सुबह पार्क में मिलने लगे और एक-दूसरे को चुटकुले सुना कर खिल-खिला कर हंसने का अभ्यास करने लगे। पहले दिन के बाद लोग इस मुहिम से आकर्षित हुए और क्लब से जुड़ने लगे, दूसरे दिन 16 लोग आए, फिर एक हफ्ते बाद क्लब से 50 लोग जुड़ गए।

कुछ दिनों बाद हमारे सभी चुटकुले पुराने हो गए और लोगों ने हंसना कम कर दिया। मैंने क्लब के सदस्यों को आश्वासन दिया कि मैं इसका समाधान ज़रूर लेकर आऊंगा। उसी समय मैंने इमोशन और हेल्थ पर आधारित एक किताब पढ़ी कि जब एक व्यक्ति खुश रहने की कोशिश करता है, तो उसके शरीर को यह नहीं पता चलता कि ये असली खुशी है या बनावटी। अगले दिन मैंने सभी से बेवजह हंसने के लिए कहा, एक की हंसी देख दूसरे को हंसी आने लगी। हम सभी ने ऐसा किया और इसका हमें बेहतर परिणाम मिला। लगभग एक महीने में 90 लोग बिना किसी कारण हंस रहे थे। हंसने की प्रैक्टिस करने के बाद हमने पाया कि हमें ठीक उसी तरह पसीना होता है जैसे एरोबिक्स के बाद होता है। हंसी के एक्सरसाइज के साथ ही हमने प्राणायाम भी करना शुरू किया। तभी इसका नाम लाफ्टर योग पड़ा। वो पांच लोगों का समूह आज 106 देशों तक फैल गया है।

किस तरह की बीमारियों में हंसी सबसे अधिक प्रभावी है?

यह योग सबसे अधिक कैंसर और डिप्रेशन में फायदेमंद होता है। एक कैंसर पेशेंट को सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है। यदि शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति सही मात्रा में हो, तो कैंसर सेल्स से बचाव संभव है और हंसने से हमारे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई अच्छी तरह से होती है। जैसे सांप के काटने पर व्यक्ति के डर से जान जा सकती है उसी तरह से कैंसर भी है। कैंसर से उबरने के लिए हमारे शरीर को सिर्फ शारीरिक तौर पर ही नहीं बल्कि भावनात्मक रूप से भी दुरुस्त होना ज़रूरी है। हंसने से हमारा नज़रिया और सोच सकारात्मक रूप से बदलता है। हंसी हमारे मन को शांत रखने में भी मददगार है।

लाफ्टर के और जादुई कारनामे कौन से हैं?

लाफ्टर के अन्य कई जादुई कारनामे हैं, इसका बहुत बेहतर परिणाम मूक-बधिर बच्चों में देखा गया है। जब हमने इस लाफ्टर योग को कुछ ऐसे ही विकलांग बच्चों पर लागू किया तो, हमें अविश्वसनीय परिणाम मिलें। कुछ ही सेशन के बाद उनके विचारों और रवैये में बदलाव देखने को मिला। लाफ्टर योग कार्डियोवैस्कुलर थेरेपी के समान है, जिसका रिजल्ट एरोबिक्स की तरह होता है। इस योग की सबसे खास बात यही है कि इसमें शरीर को ज्यादा हिलाने की ज़रूरत नहीं होती है, तो इसे कोई भी कर सकता है।

स्टैंड-अप कॉमेडी और सिटकॉम के दौर में लाफ्टर योग की क्या स्थिति है, क्या यह समाप्त होने के कगार पर है?

स्टैंड-अप कॉमेडी और सिटकॉम के इस युग में लोग लाफ्टर योग पर सवाल उठाते हैं। उन्हें मैं कहना चाहता हूं कि हंसने से फायदा तभी होगा जब इसकी प्रैक्टिस लगातार की जाएगी। किसी चुटकुले पर आने वाली हंसी लंबे समय तक नहीं टिकती है। अलग-अलग लोगों के लिए चुटकुलों का अर्थ भी भिन्न ही होता है। किसी को एक चुटकुला मज़ेदार लगता है, तो वहीं किसी को बोरिंग भी लग सकता है। लाफ्टर योग से ही हम लगातार बिना किसी वजह के हंस सकते हैं। लाफ्टर योग से मुझे खुद में बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं।

अब इस आंदोलन में आगे की राह क्या है?

बहुत जल्द ही हम अपना पहला लाफ्टर योग यूनिवर्सिटी बेंगलुरु में खोलने का प्लान कर रहें हैं। जहां से लोग लाफ्टर योग के बारे में सभी चीज़ें जान और सीख सकते हैं।

अंत में एक और अहम सवाल, जब कोई भी समस्या ना हो तो आसानी से हंसा जा सकता है। लेकिन डिप्रेशन में कोई कैसे हंसे?

यहां मैं अपनी पसंदीदा लाइन दोहराना चाहूंगा कि “हम खुश हैं इसलिए नहीं हंसते बल्कि हम हंसते हैं, इसलिए खुश हैं।” लाफ्टर योग अंदर से खुश रहने के बारे में नहीं है, बस बिना कुछ सोचे-समझे हंसने के संबंधित है, जिसका प्रभाव मुझे और मेरे छात्रों को देखने को मिला है। बिना किसी कारण हंसने से हमारे मूड में सकारात्मक बदलाव होता है। इससे हमारा दिमाग भी ऊर्जावान और एक्टिव रहता है। हम अपने इमोशंस के लिए खुद ही जिम्मेदार होते हैं, क्योंकि सभी व्यक्ति अपने खुशी के पलों में हंस सकते हैं, लेकिन दुख में लाफ्टर योग की प्रैक्टिस कर के हम खुश रह सकते हैं। सुबह के समय लाफ्टर योग करना हमें रोज़मर्रा के कामों के लिए तैयार करता है। इस योग से हम अपनी भावनाओं पर काबू पा सकते हैं।

  • डॉ. मदन कटारिया 1995 से लाफ्टर योगा क्लब मूवमेंट के संस्थापक हैं। मुंबई के इस डॉक्टर को ‘गुरु ऑफ गिगलिंग’ (लंदन टाइम्स) के रूप में भी जाना जाता है। डॉ. कटारिया एक जाने माने मोटिवेशनल और इंस्परेशनल स्पीकर के तौर पर दुनिया भर में लोगों के जीवन में हंसी के साथ खुशियां बांटने का काम कर रहे हैं।