बड़ा कौन

सबसे बड़ा कौन है?

जब तक हम दूसरों से तुलना करके अपने आप को आंकेंगे, तब तक हम माया के विश्व में फँसे रहेंगे, और परिणामस्वरूप हम दुःखी रहेंगे।

माप की धारणा हिंदू पुराणशास्त्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पुराणों की कहानियाँ हमें माप से जुड़ी जटिलता से परिचित कराती हैं। एक राजा एक बौने से कहता है कि वह उसे उतनी भूमि देगा जितनी वह तीन कदमों में तय कर पाएगा। फिर बौना अपने आप को विशाल बनाता है – उसका सिर सितारों के पार पहुँच जाता है, उसके पैर समुद्र के तल तक पहुँच जाते हैं – और दो कदमों में वह संपूर्ण भौतिक विश्व को तय कर लेता है।

“तीसरा कदम लेने के बाद मैं अपना पैर कहाँ रखूँ? मुझे ऐसी जगह दिखाओ जो मेरी नहीं है,” बौना-बना-विशालकाय व्यक्ति राजा से माँग करता है। राजा अपना सिर झुकाकर उसे बौने को पेश करता है। इस तरह वह स्वीकार करता है कि उसका अहंकार यह समझने में विफल रहा कि मनुष्य के तीन कदम भगवान के तीन कदमों के बराबर नहीं हैं। आप समझ ही गए होंगे कि ये विष्णु के वामन अवतार और राजा महाबली की कहानी है।

मंदिर लोकसाहित्य में भी यही धारणा समझाई गई है। पेरुमल अर्थात विष्णु को समर्पित कई तमिल मंदिरों में जय और विजय नामक द्वारपाल होते हैं। अपनी उठी हुई तर्जनी से वे भक्तों को चेतावनी देते हैं कि द्वार पर और उसके अंदर, गर्भगृह, में उन्हें जो कुछ भी दिखाई देता है, उन्हें उसे ध्यान देना अत्यावश्यक है।

द्वारपालों की छवि पर ग़ौर करने पर हम जान जाते हैं कि उनके पैर गदा पर रखे हुए हैं और इस गदा के चारों ओर एक सांप की कुंडलियाँ लिपटी हुईं हैं। इस सांप के जबड़े में हाथी है। और तुरंत हमें एहसास होता है कि ये द्वारपाल बहुत लंबे हैं। उनकी वास्तविक लंबाई उनकी छवि से बहुत ज़्यादा है। इस प्रकार भक्त को एहसास दिलाया जाता है कि वह छोटा है, अति छोटा है और किसी ऐसी हस्ती की उपस्थिति में है जो अनंत का अवतार है। यही कारण है कि विष्णु को अनंत वासुदेव अर्थात अनंत विश्व (वसु) के स्वामी (देव) कहकर संबोधित किया जाता है।

रोचक बात यह है कि एक तमिल भक्ति भजन में इस विचार को उलट दिया गया है। भजन में पूछा गया है कि विश्व के निर्माता, ब्रह्मा, से बड़ा कौन है? हमें बताया जाता है कि विष्णु उनसे बड़े हैं, क्योंकि ब्रह्मा विष्णु की नाभि से उगने वाले कमल पर निवास करते हैं। और विष्णु से बड़ा कौन है? शेष नाग, जिसकी कुंडली पर विष्णु सोते हैं। और शेष नाग से बड़ा कौन है? क्षीरसागर, जिसपर शेष नाग तैरता है। और क्षीरसागर से बड़ा कौन है? भू-मंडल, जिसके सात महासागर और सात महाद्वीप हैं। और भू-मंडल से बड़ा कौन है? वह महान नाग जिसके फण पर भू-मंडल बैठा है। और उस महान नाग से बड़ा कौन है? देवी, जो इस महान नाग को अपनी उंगली के चारों ओर अंगूठी के रूप में लपेटती हैं। और, देवी से बड़ा कौन है? उनके पति, शिव, जिनकी गोद में देवी विराजमान हैं। और शिव से बड़ा कौन है? शिव का भक्त, जिसके हृदय में शिव निवास करते हैं।

माप इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है? क्योंकि मनुष्य मापने के बाद तुलना करते हैं। और, इससे हमारी पहचान यहाँ तक कि हमारी श्रेष्ठता और हीनता की भावना भी निर्माण होती है। मापने के माध्यम से हम जिस विश्व की सराहना कर पाते हैं उसे ‘माया’ कहते हैं। यह शब्द ‘मा’ इस मूल से आता है, जिसका अर्थ है मापना। जब तक हम दूसरों से तुलना करके अपने आप को आंकेंगे, तब तक हम माया के विश्व में फँसे रहेंगे, और परिणामस्वरूप हम दुःखी रहेंगे।

इसलिए, स्कूल में रिपोर्ट कार्ड मिलने पर जब बच्चों की एक दूसरे से तुलना होती है, या ऑफ़िस में जब अप्प्रैज़ल के समय कर्मचारियों की आपस में तुलना होती है तब वे दुःखी होते हैं। जब अमीर लोग उनसे भी अमीर लोगों से मिलते हैं तब वे ग़रीब महसूस करते हैं। अपने आप से दुबला व्यक्ति देखने पर हम मोटा महसूस करते हैं। वेदों में, भगवान हमारी कल्पना में अनंत भाजक हैं, जो हमारे हृदय में निवास करते हैं, और सभी माप और तुलना को मिटाकर हमें शांति प्रदान करते हैं।

देवदत्त पटनायक पेशे से एक डॉक्टर, लीडरशिप कंसल्टेंट, मायथोलॉजिस्ट, राइटर और कम्युनिकेटर हैं। उन्होंने मिथक, धर्म, पौराणिक कथाओं और प्रबंधन के क्षेत्र मे काफी काम किया है।

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