नई नौकरी में ध्यान रखें इन बातों का

अपनी नई नौकरी में खुद को ऐसे करें सुव्यवस्थित

अगर आप किसी नई कंपनी में काम करने जा रहे हैं और आपको किसी टीम का नेतृत्व करना है, तो ज़िंदगी के ये सूत्र आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं। इस तरह की परिस्थिति से निपटने के लिए ये सूत्र आपको हर मोड़ पर काम देंगे।

आज नौकरी छोड़ना और पकड़ना आम बात हो गई है। किसी कंपनी को छोड़कर दूसरी जगह नौकरी करने के पीछे कई वजह हो सकती हैं। जैसे, दूसरी कंपनी में अच्छा वेतन मिलना, बेहतर अवसरों की तलाश या किसी कंपनी की कार्यशाली के मुताबिक खुद को ढाल नहीं पाने में असमर्थ होना।

खैर, आप जिन वजहों से भी नई कंपनी या संस्थान से जुड़े हों, लेकिन यह सच है कि नई जगह पर काम करना आपके लिए चुनौतियों से भरा हो सकता है। आपको नई जगह पर काम के नए तौर-तरीकों के अनुरूप खुद को ढालना पड़ेगा।

वहीं, अगर आप किसी लीडरशिप वाली पोजिशन में हैं, तो आपको अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। आपको कुछ फेरबदल और नए नियम बनाने पड़ सकते हैं, ताकि आप और आपकी टीम बेहतर और उत्पादक बन सके।

ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिए चाणक्य ने सुझाया है,’ नेतृत्व करने वाले लोगों को चाहिए कि वे एक ऐसी न्यायसंगत परंपरा स्थापित करें, जिसे पहले कभी किसी ने शुरू न की हो, अगर किसी ने शुरू भी की हो, उसे जारी रखें। कभी भी ऐसी व्यवस्था न बनाएं, जिससे लोगों के लिए अन्यायपूर्ण लगे और यदि किसी ने ऐसी परंपरा शुरू कर रखी है, तो उसे तत्काल प्रभाव से रोक दें।

अगर आप किसी नई कंपनी में काम करने जा रहे हैं और आपको किसी टीम का नेतृत्व करना है, तो ज़िंदगी के ये सूत्र आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं। इस तरह की परिस्थिति से निपटने के लिए ये सूत्र आपको हर मोड़ पर काम आएंगे।

बेहतरीन व्यवस्था की शुरुआत करें

अगर, आप किसी कंपनी की टीम का नेतृत्व कर रहे हैं, तो सबसे पहले आप अपनी टीम के सदस्यों और मौजूदा व्यवस्था का बारीकी से अध्ययन करें। बतौर एक लीडर के रूप में अपने जूनियर सहकर्मियों के बारे में अच्छी तरह से जाना बहुत ज़रूरी है। खासकर उनकी कमजोरियों और मज़बूत पक्ष के बारे में जानकारी होना ज़रूरी है।

आप उन कौशल या साधनों की एक सूची तैयार करें, जिनके बारे में आपको लगता है कि उनमें कमी है। अगर, आप इस काम को तत्काल तौर पर नहीं पा रहे हैं, तो अपने पुराने संस्थान की बेहतरीन व्यवस्था के बारे में सोचें, जो काफी प्रभावी रही हो।

मिसाल के तौर पर आप चाहें, तो अपने सहकर्मियों के साथ रोजाना या सप्ताह में एक बार मीटिंग कर सकते हैं। आप चाहें, तो किसी सहकर्मी के जन्मदिन पर छोटी-मोटी पार्टी आयोजित कर सकते हैं या कोई और पहल, जिससे आपकी अच्छी शुरुआत के लिए मददगार साबित हो।

पहले से लागू अच्छी व्यवस्थाओं को जारी रखें

प्रत्येक संस्थान में पहले से ही कुछ बेहतर व्यवस्थाएं होती हैं। ऐसे में आप उन व्यवस्थाओं को कभी खत्म न करें, बल्कि उन्हें जारी रखें। इसकी बजाय आप चाहें, तो अपनी टीम के सदस्यों को पुरानी व्यवस्था को जारी रखने और उसमें कुछ सुधार करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।

यह मानकर चलें कि नई कंपनी में अकाउंटिंग और रिपोर्टिंग जैसी व्यवस्था काफी बेहतर है। इसलिए इसमें फेरबदल करने की बजाय इसका भरपूर इस्तेमाल करें। इसके अलावा आपको मौजूदा व्यवस्था को और उन्नत या बेहतर करने की कोशिश करनी चाहिए।

ऐसा कुछ करें, जिससे नुकसान हो

जब आप सत्ता में होते हैं, तो आपके पास कई नई चीज़ों को शुरू करने का अधिकार मिला होता है। चाहें, तो आप अपने विचारों के साथ प्रयोग भी कर सकते हैं। फिर भी आपको बेहतरी के लिए मिले अधिकार का आप गलत इस्तेमाल न करें।

आपको इस बात का हमेशा ख्याल रखना चाहिए कि आप कोई भी ऐसा काम न करें, जिससे नुकसान का सामना करना पड़े। अगर, आप यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि यह व्यवस्था सही है या गलत, तो ऐसी स्थिति में आप अपने सीनियर साथियों से सलाह ले सकते हैं। सीनियर के सुझावों के आधार पर ही किसी नए व्यवस्था को शुरू करें।

व्यर्थ की चीज़ों पर रोक लगाएं

अगर, आपको लग रहा है कि नई कंपनी में कुछ गलत हो रहा है, तो उस पर सहमति जताने की बजाय ना कहने में किसी भी तरह की कोई झिझक नहीं होनी चाहिए। गलत चीजों पर अंकुश लगाने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करना उतना ही अहम है जितना कि सही चीज़ों को शुरू करने या उसे जारी रखने के लिए आप इसका इस्तेमाल करते हैं।

किसी भी संस्थान में नेतृत्व करने वाले लोगों के लिए यह चुनौती ही है। सबसे पहले आपको सही और गलत के बीच फर्क करना सीखना पड़ेगा। इसके बाद आपके भीतर कंपनी में चल रही व्यर्थ की चीज़ों को रोकने की ताकत होनी भी ज़रूरी है।

संपूर्ण अर्थशास्त्र में चाणक्य ने इन बातों पर जोर दिया है कि एक नेतृत्वकर्ता के भीतर इन सभी गुणों का होना कितना अहम है।

एक बार जब आप इन गुणों को अपने अंदर विकसित कर लेंगे, तो आप नई जगह पर अपने जूनियर साथियों और सीनियर अधिकारियों से सम्मान पाने के हकदार हो जाएंगे।

डॉ राधाकृष्णन पिल्लई एक भारतीय मैनेजमेंट थिंकर है, लेखक और आत्म-दर्शन और चाणक्य आंविक्षिकी के संस्थापक हैं। डॉ पिल्लई ने तीसरी सदी ईसा पूर्व के ग्रंथ कौटिल्य के अर्थशास्त्र पर रिसर्च की है और इसे माॉडर्न मैनेजमेंट में शामिल किया है ।

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