कुशल नेतृत्व के लिए शक्तियों का प्रबंधन जरूरी

कुशल नेतृत्व के लिए शक्तियों का प्रबंधन ज़रूरी

हर इंसान का स्वभाव अलग-अलग होता है। सबमें कुछ न कुछ खूबियां ज़रूर होती हैं, जो उन्हें खास होने का अहसास कराती हैं। लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इंसान अलग-अलग परिस्थितियों में किस तरह काम करता है और उसकी प्रतिक्रिया क्या होती है।

प्राचीन भारतीय ग्रंथों में विद्वानों और मनीषियों ने बताया है कि ‘शक्ति’ नाम की अगर कोई चीज है, तो वह और कुछ नहीं, बल्कि ‘अर्थ’ है। सही मायने में ‘अर्थ’ को ही शक्ति का स्वरूप बताया गया है। भले ही यह हम लोगों को अर्थशास्त्र शब्द का एक अलग मायने बताया है, लेकिन यही सबसे उपयुक्त अर्थ है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि चाणक्य का अर्थशास्त्र एक तरह से ‘पावर मैनेजमेंट यानी शक्ति प्रबंधन’ पर आधारित एक पुस्तक है।

इस तरह की पुस्तक उन लोगों के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है, जो किसी संस्थान या ऑफिस में सबसे बड़े पदों पर काम करते हैं। एक लीडरशिप की भूमिका का निर्वहन करते हैं। ऐसे लोगों को इस बात की भली-भांति जानकारी होनी चाहिए कि किस समय कैसा व्यवहार करना है और किस समय अपनी शक्तियों का सही इस्तेमाल करना है। चाणक्य इन चीजों से अच्छी तरह वाकिफ थे। वे शक्ति प्रबंधन के मामले में काफी कुशल थे। इसके अलावा एक राजा को अपनी शक्तियों का प्रबंधन किस तरह करना चाहिए, इसके बारे में भी उन्होंने कई उपाय सुझाए हैं।

कौटिल्य के अर्थशास्त्र की 7वीं पुस्तक में चाणक्य ने उन 6 स्थितियों के बारे में बताया है, जिनसे हर इंसान का कभी न भी वास्ता ज़रूर पड़ता है। उन्होंने इन 6 स्थितियों से निपटने के अलग-अलग तरीके भी बताएं हैं। उनका मानना है कि वास्तव में अलग-अलग स्थितियों के लिए ये 6 तरकीब हैं।

अब सवाल उठता है कि अलग-अलग परिस्थितयों के लिए चाणक्य ने वैकल्पिक युक्तियों को क्यों सुझाया है? तो इसका सबसे साधारण जवाब यह है कि परिस्थियों में समानता नहीं होती है। हर परिस्थिति के अलग-अलग कारण होते हैं। यही वजह है कि हरेक स्थिति से निपटने के लिए एक विशेष रणनीति अपनानी चाहिए।

अगर हम लोग इन बातों को अच्छी तरह समझ जाएंगे, तो यह समझना आसान हो जाएगा कि अपनी शक्तियों को प्रबंधन किस तरह करना है। तो आइए इस लेख में हम जानते हैं उन चुनिंदा स्थितियों के बारे में, जिनका सामना एक कॉर्पोरेट लीडर को करना पड़ सकता है।

लोगों को संभालने के लिए

जब कभी किसी व्यक्ति को जिम्मेवारी से भरा कोई पद या शक्तियां मिल जाती हैं, तो उसका सबसे पहला काम होता है, अपने नीचे काम करने वाले लोगों को संभालना। दरअसल, उस व्यक्ति और उसके करियर की सफलता न सिर्फ इस बात पर निर्भर करती है कि वह अपने सहकमियों और अपने नीचे काम करने वाले लोगों को किस तरह संभाल पाता है, बल्कि इस पर भी निर्भर करती है कि वह अपने प्रतिद्वंद्वियों का सामना किस तरह कर पाता है।

हर इंसान का स्वभाव अलग-अलग होता है। सबमें कुछ न कुछ खूबियां ज़रूर होती हैं, जो उन्हें खास होने का अहसास कराती हैं। लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इंसान अलग-अलग परिस्थितियों में किस तरह काम करता है और उसकी प्रतिक्रिया क्या होती है।

प्रत्येक इंसान और समूह को संभालने के लिए आपके पास अलग-अलग रणनीति होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में इंसान की आंतरिक मन:स्थिति को समझना बहुत ज़रूरी है। अगर आपने यह सीख लिया, तो यह आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकता है। किसी भी महत्वपूर्ण काम को आप चुटकियों में पूरा कर सकते हैं।

ज्ञान की स्थितियों से निपटने के लिए

जिस तेज गति से दुनिया एक ‘नॉलेज इकोनॉमी’ की तरफ आगे बढ़ रही है, इस प्रतिस्पर्धा भरे दौर में वही आगे बढ़ पाएगा, जिसके पास दूसरों की तुलना में अधिक सूचनाएं या जानकारी हैं।

आज के समय में कंपनियां अपना कारोबार बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तर पर रिसर्च और डेवलपमेंट के क्षेत्र में काफी निवेश कर रही हैं। आप या तो भविष्य में क्या होगा, इसका अनुमान लगा सकते हैं या आप इसकी शुरुआत कर सकते हैं।

आने वाला समय उन्हीं लोगों का होगा जो लीक से हट कर सोच सकते हैं। साथ ही भविष्य में लोगों को किस चीज की ज़रूरत पड़ सकती है, इसे ध्यान में रखकर जो उनके लिए उत्पाद और सेवाएं मुहैया करा सकते हैं।

संसाधन की स्थिति से निपटने के लिए

यहां भौतिक संसाधन से तात्पर्य धन, मशीन और यहां तक कि नई-नई तकनीक से है। बदलते समय के साथ अब कारोबार करने का तरीका भी तेजी से बदल रहा है। ऐसे में इस बदलाव के दौर में बाजार में वहीं टिक पाएगा, जो धारा के साथ चलेगा।

इसलिए एक कंपनी के सीईओ को यह जानना बहुत ज़रूरी है कि बढ़ती लागत, तकनीक के क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलाव और वित्तीय अस्थिरता की स्थिति से निपटने के लिए उसके पास क्या योजनाएं हैं? शीर्ष पदों पर काम करने वाले लोगों को हर छोटी-सी-छोटी चीजों के बारे में गंभीरतापूर्वक सोचना पड़ता है। इन स्थितियों से निपटने के लिए उसके पास दूसरा क्या विकल्प और बैकअप हो सकता है, इस पर भी विचार करना होता है।

इन स्थितियों से निपटने के लिए हमेशा दो रास्ते होते हैं, या तो पहले वैसी परिस्थिति को आने दें और फिर उस स्थिति के मुताबिक बदलाव करें। या स्थितियों का बारीकी से अवलोकन करें और उसे अच्छी तरह समझें। इससे पहले कि ऐसी स्थिति आए, उसका सामना करने के लिए आप पहले से ही तैयारी करके रखें। दूसरे शब्दों में कहें, तो एकाएक आने वाले किसी भी बदलाव के लिए तैयार रहें। इसलिए हर स्थिति से निपटने के लिए हमेशा अलग-अलग तरकीब सोचने की आदत डालें।

ऐसा करके इंसान बड़ी आसानी से किसी भी परिस्थिति का बेहतर तरीके से सामना कर सकता है और अपनी शक्तियों को सही तरह से मैनेज कर सकता है।

डॉ राधाकृष्णन पिल्लई एक भारतीय मैनेजमेंट थिंकर है, लेखक और आत्म-दर्शन और चाणक्य आंविक्षिकी के संस्थापक हैं। डॉ पिल्लई ने तीसरी सदी ईसा पूर्व के ग्रंथ कौटिल्य के अर्थशास्त्र पर रिसर्च की है और इसे माॉडर्न मैनेजमेंट में शामिल किया है ।

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