कॉर्पोरेट जगत में दिग्गज लोगों के साथ कैसे करें काम

कॉर्पोरेट जगत में दिग्गज लोगों के साथ कैसे करें काम

आज के कॉर्पोरेट जगत में ऊंचे ओहदे वाले अधिकारी या लीडर के साथ कैसे काम किया जा सकता है? इस लेख में जानें उन उपायों के बारे में, जो आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं।

अगर किसी इंसान को असीम शक्तियां हासिल , तो इसका इस्तेमाल उसे किस तरह करना चाहिए, वहीं जब लगे कि वह इन शक्तियों का दुरुपयोग कर रहा है, तो उसकी पहचान कैसे की जानी चाहिए। इन तमाम चीजों के बारे में चाणक्य ने अर्थशास्त्र में विस्तारपूर्वक बताया है। एक शक्ति संपन्न राजा या व्यक्ति के सानिध्य में काम करने वाले व्यक्ति को अपना आचरण कैसा रखना चाहिए, इसके बारे में भी उन्होंने अर्थशास्त्र में बिंदुवार तरीके से सुझाया है।

शक्ति क्या है, इस बारे में चाणक्य ने एक कथन के ज़रिए कुछ तरह समझाया है, “जब आग की लपटें किसी तक पहुंचती हैं, तो वह शरीर के कुछ हिस्से या पूरे शरीर को जला सकती हैं, उसी तरह एक राजा अपनी पत्नी-बेटों के साथ किसी को भी मौत के घाट उतार सकता है या किसी को भी समृद्ध बना सकता है।”

भले ही ये चंद शब्द हों, लेकिन इस कथन के काफी मायने हैं। व्यक्तिगत तौर में कहूं, वास्तव में यह मेरे सबसे पसंदीदा कथनों में से एक है। इस कथन से आपको एक ही समय में दो बातें जानने को मिल जाती हैं। पहली बात यह है कि एक नेता चाहे तो आपको पूरी तरह बर्बाद कर सकता है या आपको बुलंदियों तक पहुंचाने में काफी मदद कर सकता है।

अगर, राजा के साथ आपका व्यवहार काफी अशिष्ट है और आप उसका आदर नहीं करते हैं, तो यह बात अच्छी तरह से समझ लें कि आग तो बस आपके शरीर को जला सकती है, लेकिन राजा का क्रोध आपको पूरी तरह बर्बाद कर सकता है। यहां तक कि आपकी मदद करने वाले भी आपसे दूरी बना लेंगे और भविष्य की सभी उम्मीदें (..पत्नी-बेटे) खत्म हो जाएंगी।

ऐसे में अब सवाल उठता है कि आज के इस कॉर्पोरेट जगत में ऊंचे ओहदे वाले अधिकारी या लीडर के साथ कैसे काम किया जा सकता है? इस लेख में जानें उन उपायों के बारे में, जो आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं।

अपने बॉस की मन:स्थिति को समझें

आप किसी भी संस्थान में दिग्गज लोगों या किसी बिजनेस लीडर के साथ काम कर रहे हैं, तो सबसे पहले अपने बॉस की मन:स्थिति को ज़रूर समझें। राजतंत्र के दिनों में राजा के अंतिम शब्द ही कायदे-कानून होते थे। लेकिन, अब तो अच्छी बात यह है कि आज लोकतंत्र में हम लोग अपना प्रतिनिधि या नेता चुनते हैं। इसलिए सही नेता का चुनाव करना बहुत ज़रूरी है।

एक बार जब आपने अपना नेता चुन लिया, जिसके साथ आपको काम करना है, तो इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि उसे पूरी तरह से समझना अत्यंत जरूरी है। उसे क्या पसंद है और क्या नापंसद है, उसका रुख कैसा है, उसकी सोच क्या है, इन तमाम चीजों के बारे में जानना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही उसके व्यक्तिगत और संगठन से जुड़े कौन-कौन से उद्देश्य है, इसका भी हमेशा ख्याल रखें।

एक बार जब एक लीडर और उसके नीचे काम करने वाले कर्मचारियों के बीच मानसिक तौर पर सामंजस्य स्थापित हो जाता है, लीडर और उनके नीचे काम करने वाले लोगों में गहरा लगाव विकसित हो जाता है। इस तरह दोनों मिलकर बड़े-बड़े से काम को चुटकियों में निपटा सकते हैं और सफलता के शिखर तक पहुंच सकते हैं। यही सफलता का भी मूलमंत्र है।

हमेशा इस बात का ख्याल रखें, राजा के अधीन काम करने वाले लोग राजा से अधिक शक्ति संपन्न होते हैं।

इस मूलमंत्र को आपको हमेशा ख्याल रहना होगा। कोई भी नेता या अधिकारी अक्सर अपने सलाहकारों और गुप्तचरों से घिरे रहते हैं। लीडर तक कोई भी सूचनाएं इन्हीं लोगों के ज़रिए मिलती है।

ज्यों-ज्यों किसी लीडर या अधिकारी के साथ आपके संबंध बढ़ेंगे, इस बात को आप बखूबी समझ जाएंगे कि किसी भी अधिकारी या नेता की व्यवस्था का संचालन इन्हीं लोगों की बदौलत बेहतर ढंग से चल पाता है। ऐसे में जिस तरह आप अपने बॉस की मन:स्थिति को बखूबी समझते हैं, उसी तरह उन लोगों को भी समझने का प्रयास करें, जो उसे प्रभावित करते हैं।

आप को अच्छी तरह समझ लेंगे, तो यह तय है कि आप किसी भी परिस्थिति का सामना बड़े ही कुशल तरीके से कर पाएंगे। आप अपने बॉस के करीबी बन जाते हैं, तो उन तक सही जानकारी पहुंचे, इसकी भी जिम्मेवारी आप पर ही होती है।

अपने बॉस का विश्वासपात्र बनें

इस लेख के पहले हिस्से में बताए गए उपायों के अतिरिक्त इस बात का भी हमेशा ख्याल रखें कि आपको अपने बॉस या लीडर का विश्वासपात्र बनना बहुत ज़रूरी है। समाज में उनकी शक्तियां और प्रभाव आपके लिए भी काफी मददगार साबित हो सकती हैं। साथ ही ये शक्तियां आपको बर्बाद भी कर सकती हैं।

एक बात अपने जेहन में हमेशा रखें कि नेता सिर्फ उन्हीं लोगों के समर्थन में खड़े , जो उनके प्रति काफी ईमानदार और और समर्पित रहे हैं। किसी भी सूरत में अपने बॉस या लीडर का समर्थन हासिल करने के लिए सबसे प्रमुख चीज ‘विश्वास’ ही है। सिवाय इसके दूसरी और कोई भी चीज़ नहीं है।

आप इस चीज़ से अच्छी तरह वाकिफ होंगे कि नेता एक तरह से काफी बड़ी शख्सियत वाले लोग होते हैं। वे अक्सर बड़े-बड़े लोगों से घिरे रहते हैं। इसके पीछे कोई और वजह नहीं, बल्कि यह आस्था और विश्वास ही है। आप भी इस चीज़ को समझें और खुद एक बड़ा नेता बनने का प्रयास करें।

डॉ राधाकृष्णन पिल्लई एक भारतीय मैनेजमेंट थिंकर है, लेखक और आत्म-दर्शन और चाणक्य आंविक्षिकी के संस्थापक हैं। डॉ पिल्लई ने तीसरी सदी ईसा पूर्व के ग्रंथ कौटिल्य के अर्थशास्त्र पर रिसर्च की है और इसे माॉडर्न मैनेजमेंट में शामिल किया है ।

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