बराबरी वालें के साथ करें जीवन की साझेदारी

बराबरी वालों के साथ करें जीवन की साझेदारी

राधाकृष्णन पिल्लई ने कहा, "एक से भले दो होते हैं। किसी भी समस्या का समाधान या किसी युद्ध को जीतने के लिए साझेदारी बहुत जरूरी है। इसलिए अपने जैसे लोगों की मदद करें, उन्हें विकसित करें।"

एपीजे अब्दुल कलाम को कौन नहीं जानता है, वे महान वैज्ञानिक होने के साथ ही भारत के पूर्व राष्ट्रपति भी थे। जब वह देश के लिए मिसाइल बना रहे थे, उस समय अब्दुल कलाम से पूछा गया कि आप तो शांति में विश्वास रखते हैं, तो फिर विनाश का हथियार क्यों तैयार कर रहे हैं? इस पर बेहद सादगी से उन्होंने जवाब दिया, “सिर्फ ताकतवर देश ही ताकतवर देश को सम्मान देता है। इसलिए मैं भारत को ताकत देने के लिए यह मिसाइल बना रहा हूं।”

यह बात कड़वी जरूर है, लेकिन सच है कि हम अपने जीवन में सम्मान बराबरी वालों को ही देते हैं। हम किसी काम के लिए सिर्फ उन्हीं लोगों के साथ हाथ मिला सकते हैं, जिनका ओहदा हमारे बराबर हो। इसके विपरीत जब हम खुद से छोटे या निचले तबके के लोगों के साथ समय बिताते हैं, तो हमारे जीवन में कोई खास फर्क या बदलाव नहीं दिखता है।

वहीं, अगर कोई हमसे ऊपर है, तो हमारी वैल्यू उसके लिए ठीक वैसी ही होगी, जैसी हमारे लिए हमसे नीचे के लोगों की है। इसलिए हमसे ऊपर वाले व्यक्ति को भी हममें कोई वैल्यू नजर नहीं आएगी। इस तरह से, समान विचारधारा रखने और समान स्तर वाले लोग आपस में जल्दी घुल-मिल सकते हैं।

एक मुहावरा है कि ‘चोर-चोर मौसेरे भाई।’ जिसका मतलब समानता से है। इस बात को चाणक्य नीति में भी बताया गया है। चाणक्य का मानना है कि, “मनुष्य को बराबरी के लोगों के साथ विकसित होना चाहिए या अपने समान लोगों की मदद करनी चाहिए।”

अर्थशास्त्र में बराबरी या समानता की अवधारणा दोस्ती के बारे में है। ऊपर चाणक्य द्वारा बताई गई बात का तात्पर्य भी यही है कि आपको अपनी विचारधारा और समानता वाले दोस्त की मदद करनी चाहिए और दोनों के हित के लिए काम करना चाहिए।

समान लोगों या बराबर के लोगों के साथ साझेदारी करने के कई फायदे हैं, आइए जानते हैं:

हर स्थिति को समझ सकते हैं

एक ही लेवल या वर्ग के लोग एक-दूसरे को बेहतर समझते हैं, वे एक-दूसरे के सुख-दुख को भी समझ सकते हैं। बराबरी के लोगों की मानसिकता, उनके सोचने का तरीका, उनका नज़रिया और उनका रहन-सहन समझने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। एक कंपनी का जनरल मैनेजर, जो लगभग 400 कर्मचारियों को मैनेज कर रहा है, वह दूसरे कंपनी के जनरल मैनेजर की समस्या को बखूबी समझ सकता है। वह दूसरे कंपनी के जनरल मैनेजर की परेशानी और समस्याओं के बारे में पहले से ही अवगत रहता है। ऐसा आप हर क्षेत्र में देख सकते हैं, जैसे- पीएचडी का एक छात्र अपने समान दूसरे छात्र के संघर्ष और बाधा को समझ सकता है, चाहे वे दोनों साथ में एक यूनिवर्सिटी में न पढ़ रहे हो। यही नियम शादी और वैवाहिक संबंधों पर लागू होता है। जिनके विचार, आर्थिक स्थिति, समझ और लाइफस्टाइल एक दूसरे से मिलती हैं, वे एक आनंदमय वैवाहिक जीवन बिताते हैं।

सोच का आदान-प्रदान होता है

एक कहावत सुनी होगी कि “एक से भले दो।” इसी कहावत के आधार पर जब समान विचार और ओहदे वाले दो लोग साथ में आते हैं, तो वे एक दूसरे को लाभ ही पहुंचाते हैं। वे एक दूसरे का विकल्प बनते हैं, जिनमें से किसी एक के न होने पर दूसरा उसकी कमी को पूरा कर सके। दोनों एक दूसरे को समझते हुए एक-दूसरे का नजरिया बदलते हैं। किसी काम को करने के कई तरीके मिलकर इजाद करते हैं। एक व्यक्ति कमजोर हो सकता है, लेकिन टीम हमेशा मजबूत होती है। इसलिए दो छोटे-छोटे लोग मिलकर किसी बड़े दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दे सकते हैं। इसलिए अपने समान लोगों के साथ दोस्ती करें और आपसी तालमेल से जीवन की सभी बाधाओं को दूर करें।

सबको लेकर आगे बढ़ें

परिवर्तन और विकास ही प्रकृति का नियम है। यह बात खास तौर पर मानव स्वभाव में निहित है। विकास तभी सार्थक होता है, जब वह दूसरों के लिए हो। अपने लिए किया गया विकास स्वार्थ से ज्यादा कुछ नहीं है। एक बार एक अमीर आदमी ने कहा था, “ मेरा बचपन गरीबी में बीता, लेकिन मैं दोस्तों के मामले में अमीर था। मैं बहुत खुश था। लेकिन आज, जब मैं बहुत अमीर हूं, तो मेरा कोई दोस्त ही नहीं है। मैं दोस्तों के मामले में आज गरीब हूं।” यह बात चुभने वाली है कि जब पैसे नहीं थे, तो रिश्ते थे और आज पैसे हैं तो रिश्ते नहीं? इसलिए, हमेशा ध्यान रखें कि जीवन में आगे बढ़ें लेकिन अपने समान लोगों को लेकर। इससे आप सफल होने के साथ ही समर्थन और मजबूत रिश्ते कमा सकते हैं।

प्रकृति ने जीवन को साझेदारी के साथ जीने के लिए गढ़ा है। इसलिए एक अच्छा इंसान बनकर, सभी को साथ ले कर चलें। अपने चारों तरफ देखें और अपने समान लोगों को सहारा देकर ऊपर उठाएं।

आपके अंदर अगर ऊपर बताए गए गुण निहित हैं, तो आप किसी समुदाय, समाज या देश का नेतृत्व बेहतर तरीके से नेतृत्व कर सकते हैं। क्योंकि यही एक अच्छे नेतृत्व के गुण हैं।

डॉ राधाकृष्णन पिल्लई एक भारतीय मैनेजमेंट थिंकर है, लेखक और आत्म-दर्शन और चाणक्य आंविक्षिकी के संस्थापक हैं। डॉ पिल्लई ने तीसरी सदी ईसा पूर्व के ग्रंथ कौटिल्य के अर्थशास्त्र पर रिसर्च की है और इसे माॉडर्न मैनेजमेंट में शामिल किया है ।

X

आनंदमय और स्वस्थ जीवन आपसे कुछ ही क्लिक्स दूर है

सकारात्मकता, सुखी जीवन और प्रेरणा के अपने दैनिक फीड के लिए सदस्यता लें।