विश्व विरासत दिवस: देश के प्रसिद्ध स्मारक और स्थल

विश्व विरासत दिवस मनाने का मुख्य मकसद है, दुनिया के महत्वपूर्ण स्मारकों को सुरक्षित और संरक्षित रखना। युनेस्कों की ओर से पूरी दुनिया में कई स्मारकों और स्थलों को विरासत की श्रेणी में रखा गया है। इसमें भारत के भी 32 ऐसे स्थल हैं, जिसे युनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज स्थल के रूप में चयनित किया गया है।

विरासत हर किसी के लिए गौरव करने वाली बात होती है। विरासत एक तरह से हमारी पहचान होने के साथ ही हमारे अतीत के बारे में बताता है कि हम कितने समृद्ध थे। विरासत किसी भी समाज या फिर देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। दुनिया में कई ऐसी विरासतें हैं, जो हमारे इतिहास और संस्कृति का एक बहुत ही खूबसूरत नमूना है। इन धरोहरों का संरक्षण करना हर किसी की ज़िम्मेदारी है। इन्हीं विरासतों को बचाने और सुरक्षित रखने के लिए पूरी दुनिया में 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है।

आप ताजमहल की बात कर लें या फिर कुतुबमीनार की ये सब हमारे देश की विरासत है। इन सभी जगहों पर हर साल भारी तादाद में लोग आते हैं, इन्हें देखते हैं और गर्व महसूस करते हैं। ज़ाहिर सी बात है कि अगर हमारे देश में कुछ ऐसे स्थल और स्मारक हैं, जिससे पूरी दुनिया में हमारी पहचान बनती है, हमें सम्मान मिलता है तो हम भारतवासी गौरवान्वित ज़रूर महसूस करेंगे। यह चीज़ हर देश के लिए समान होती है।
तो चलिए सोलवेदा हिंदी के इस आर्टिकल में जानते हैं विश्व विरासत दिवस (World Heritage Day) और भारत के प्रसिद्ध स्मारकों के बारे में।

विश्व विरासत दिवस क्यों मनाया जाता है? (Vishv Virasat Divas kyu manaya jaata hai?)

इस दिवस को मनाने की शुरुआत 18 अप्रैल 1982 को हुई थी। ट्यूनीशिया में सबसे पहले इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मॉन्यूमेंट्स की ओर से इस दिवस को मनाया गया था। वहीं, 1983 में इसे संयुक्त राष्ट्र की ओर से युनेस्को ने इसे मान्यता दी। इसके बाद से पूर विश्व में इस दिवस को मनाया जाने लगा।

विश्व विरासत दिवस मनाने का मुख्य मकसद है, दुनिया के महत्वपूर्ण स्मारकों को सुरक्षित और संरक्षित रखना। युनेस्कों की ओर से पूरी दुनिया में कई स्मारकों और स्थलों को विरासत की श्रेणी में रखा गया है। इसमें भारत के भी 32 ऐसे स्थल हैं, जिसे युनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज स्थल के रूप में चयनित किया गया है। युनेस्को हर साल करीब-करीब 25 वैश्विक स्थलों को विश्व विरासत की सूची में शामिल कर रहा है। अभी के समय में युनेस्को के विश्व विरासत सूची में करीब 1000 स्थल हैं।

विश्व विरासत स्थल का महत्व (Vishv Virasat sthal ka mahatv)

विश्व विरासत स्थल में प्राचीन खंडहर, ऐतिहासिक स्मारक, प्राकृतिक परिदृश्य और सांस्कृतिक प्रथाएं शामिल हैं। विश्व विरासत स्थलों का संरक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए है कि वे हमारे इतिहास और सांस्कृतिक विरासत की जानकारी देते रहें। विश्व विरासत में शामिल स्थल लोकप्रिय टूरिस्ट स्पॉट भी होते हैं। भविष्य की पीढ़ियों के लिए और इनका अस्तित्व बनाए रखने के लिए, इन्हें संरक्षित और सुरक्षित किया जाना ज़रूरी है।

भारत के प्रसिद्ध स्मारक और स्थल (Bharat ke prasidh smarak or sthal)

भारत तो विरासत का जीता-जागता नमूना है। भारत में कई प्राचीन स्थल और स्मारक हैं, जिनकी अलग-अलग कहानी है। आज हम जानेंगे इनमें से कुछ खास स्थल और स्मारकों के बारे में।

आगरा का ताजमहल (Agra ka Tajmahal)

भारत के आगरा में बना ताजमहल विश्व के सात अजूबों की सूची में शामिल है। इसे मुगल शासक शाहजहां ने बनवाया था। उन्होंने अपनी पत्नी की याद में इस खूबसूरत इमारत की नींव रखी थी। ताजमहल विश्व विरासत की सूची में भी शामिल है। ताजमहल मुगल वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है, जो कि सफेद संगमरमर से बना है। ताजमहल को बनवाने के लिए भारत के साथ ही ईरान और मध्य एशिया से कारीगरों को बुलाया गया था। यमुना नदी के किनारे बना ताजमहल 1983 से ही विश्व विरासत में शामिल है।

सूर्य मंदिर, ओडिशा (Surya mandir, Odisha)

ओडिशा में सूर्य भगवान को समर्पित कोणार्क का सूर्य मंदिर विश्व विरासत की सूची में तीसरे नंबर पर है। 1984 में युनेस्को ने इसे विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया था। सूर्य मंदिर को गंग वंश के राजा नृसिंहदेव ने बनवाया था। यह लाल बलुआ पत्थर और काले ग्रेनाइट से बना हुआ है। मंदिर को 12 जोड़ी चक्रों वाले सात घोड़ों से खींचे जाते हुए दिखाया गया है।

महाबोधि मंदिर, बोधगया (Mahabodhi mandir, Bodhgaya)

वर्ष 2002 में महाबोधि मंदिर को विश्व विरासत की सूची में युनेस्कों ने शामिल किया था। महाबोधि मंदिर बिहार के बोध गया में है और भगवान बुद्ध को समर्पित है। स्तूप की तरह बने इस मंदिर में गौतम बुद्ध की प्रतिमा स्थापित है। इसके बारे में कहा जाता है कि यह प्रतिमा उसी जगह पर स्थापित है, जहां गौतम बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति की थी।

अजंता एलोरा की गुफाएं, महाराष्ट्र (Ajanta Ellora ki gufayein, Maharashtra)

अजंता एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास स्थित हैं। इसे 1983 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में युनेस्को ने 1983 में अपी सूची में शामिल किया था। अजंता में 29 और एलोरा में 34 गुफाएं हैं। यहां की चित्रकारी और मूर्तियां काफी खूबसूरत हैं, जो किसी को अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम हैं। इन गुफाओं की खोज 1819 में हुई थी।

फतेहपुर सीकरी, आगरा (Fatehpur Sikri, Agra)

आगरा शहर से 22 किलोमीटर दूर फतेहपुर सीकरी स्थित है। इस शहर को मुगल शासक अकबर ने बसाया था। युनेस्को से इसे वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में 1986 में शामिल किया था, जो कि स्थापत्य कला के लिए काफी मशहूर है। यहां पर बुलंद दरवाज़ा, सलीम चिश्ती की दरगाह और जोधाबाई का महल सहित काफी ऐतिहासिक स्मारक हैं।

चोला मंदिर, तमिलनाडु (Chola Mandir, Tamilnadu)

दक्षिण भारत के तमिलनाडु में चोला मंदिर है। इसे चोला वंश के शासकों ने बनवाया था। चोला मंदिर को युनेस्को ने 1987 में वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल किया था। मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में करवाया गया था। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी परछाई ज़मीन पर दिखाई नहीं देती है।

खजुराहो, मध्य प्रदेश (Khajuraho, Madhya Pradesh)

मध्य प्रदेश के छतरपुर में चंदेला वंश के शासकों ने खजुराहो के स्मारकों को बनवाया था। खजुराहो में 85 मंदिर हैं, जो 12वीं सदी में बनवाए गए थे। यहां के मंदिर नागर शैली में बने हुए हैं। इसे 1986 में युनेस्को ने अपने वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल किया था।

कुतुब मीनार, दिल्ली (Qutub Minar, Delhi)

कुतुब मीनार भारतीय इतिहास को दर्शाता एक प्रमुख स्मारक है। इसे युनेस्को ने 1993 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल किया था। इसका निर्माण गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था। यह मीनार भारत के राजधानी दिल्ली में स्थित है। कुतुब मीनार को भारत की दूसरी सबसे ऊंची मीनार का दर्जा प्राप्त है।

इस आर्टिकल में हमने विश्व विरासत दिवस के बारे में बताने के साथ-साथ, कुछ ऐतिहासिक और बेहतरीन स्मारकों के बारे में भी जानकारी दी। यह जानकारी आपको कैसा लगी हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं। इसी तरह की और भी जानकारियों के लिए पढ़ते रहें सोलवेदा हिंदी।

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