समा-बजाऊ

समा-बजाऊ: अशांत जल में समुद्र-जिप्सियों का जीवन

क्या आप समुद्र में अपना जीवन बिताने की कल्पना कर सकते हैं? या बिना ऑक्सीजन सिलिंडर के समुद्र की गहराइयों में गोते लगा सकते हैं? आपका जवाब होगा “बिल्कुल नहीं”। लेकिन एक समुदाय ऐसा है, जिनकी जमीन पानी है और नाव उनका घर है। उनके बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें।

हम बात कर रहे हैं ऐसे समुदाय की जो भोजन के लिए लकड़ी का मास्क और भाला लेकर समुद्र की गहराई में गोते लगाते हैं। वे सैकड़ों वर्षों से समुद्री जीवन जी रहे हैं। लंबे समय से पानी में रहने के कारण उनका शरीर आनुवंशिक रूप से समुद्री जीवन के अनुकूल हो गया है। वे किसी देश के नहीं हैं। खानाबदोश जीवन बिताते हैं और समुद्र ही उनका एकमात्र ठिकाना है। वे खुद को ‘समा-बजाऊ’ कहते हैं, लेकिन दुनिया उन्हें “समुद्री जिप्सी” या “समुद्री घुमंतू” के नाम से जानती है।

आमतौर पर समा-बजाऊ (Sama Bajau) दक्षिणी फिलीपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया के समुद्र तट के पास रहते हैं। वे अक्सर स्टिल्ट्स या नावों पर रहते हैं, जो आमतौर पर पांच मीटर लंबा और एक मीटर चौड़ा होता है। स्टिल्ट एक तरह का लकड़ी का स्तंभ होता है, जिसका इस्तेमाल समुद्र के किनारे घर बनाने के लिए किया जाता है। बजाऊ जन्म से मृत्यु तक अपना जीवन समुद्र में मछलियों और हंसों के बीच बिताते हैं। वे जमीन पर तभी आते हैं, जब उन्हें चावल और पानी जैसी जरूरी चीजों को खरीदने के लिए मछली का व्यापार करना होता है। उनके नाव रूपी तैरते घरों में सभी सुख-सुविधाएं और साधन होते हैं, जैसे- प्रिजर्वड भोजन, केतली, मिट्टी का तेल, पौधे आदि। यहां तक कि कई परिवार पक्षियों को भी पालते हैं।

बजाऊ परिवार का बांस का स्टिल्ट हाउस (Bajao parivar ka bans ka stilt house) 

समा-बजाऊ की उत्पत्ति कैसे हुई? यह अभी तक रहस्य है, क्योंकि बाजाऊ का अस्तित्व सदियों पहले समुद्री खोजकर्ताओं द्वारा लिखी गई कुछेक किताबों में ही मिलता है। लेकिन अब विशेषज्ञों ने अन्य जनजातियों और समुदायों से मलेशिया के समुद्री खानाबदोशों की उत्पत्ति के काफी सबूत जुटा लिए हैं। बजाऊ जनजाति मलेशियाई आबादी के मलय जातीय समूह से संबंधित हैं। लेकिन सदियों पहले अन्य लोगों के विपरीत, समा-बजाऊ समुदाय ने ज़मीन के बजाय समुद्र को ही अपने ठिकाने के रूप में चुना। पहले अन्य समुद्री खानाबदोश समुदाय भी थे। लेकिन वर्तमान में उन कुछ जनजातियों में से बजाऊ एक है, जो शहर के शोर-गुल से दूर कोरल रीफ के ऊपर निवास करता है। कोरल रीफ (मूंगा) छोटे समुद्री जीव होते हैं, जो लाखों-करोड़ों की संख्या में समूह में रहते हैं। लोककथाएं और परंपराएं समा-बजाऊ मौखिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी प्रसारित करते हैं। इस जनजाति के लोग अपने बच्चों को ‘बजाऊ’ नाम के एक आदमी की कहानी सुनाते हैं। जो कबीले का नेता था, जिसका अनुसरण सभी करते थे। बजाऊ एक विशाल आदमी था। लोककथाओं में यह कहा गया है कि उनका शरीर मछली पकड़ने में मदद करने के लिए पर्याप्त पानी विस्थापित कर सकता है। उनका कुल सुखी और समृद्ध था, जिससे पड़ोसी जनजातियों को जलन होती थी। उन्होंने बजाऊ को मारने की साजिश रची और अंत में वे सभी उसके साथ जुड़ गए और इससे ‘बजाऊ जनजाति’ का उदय हुआ।

बजाऊ बच्चों की रगों में दौड़ता है समुद्र (Bajao bacchon ki ragon mein daudta hai samudra)

बाजाऊ लोग अभी भी अपनी परंपराओं और जीवन शैली के प्रति निष्ठावान हैं। आज भी वे लेपास नामक हाउसबोट पर रहते हैं, जो शिकार में जाने या एक द्वीप से दूसरे द्वीप पर प्रवास करने के लिए उनके परिवहन का एकमात्र जरिया है। एक बजाऊ के जीवन में हर दिन किसी रोमांच से कम नहीं होता है। दिन में परिवार के पुरुष ‘भोजन’ की तलाश में गहरे पानी में गोते लगाते हैं। आठ साल से कम उम्र के बच्चे भी अपने पिता के साथ शिकार पर जाते हैं। बिना ऑक्सीजन टैंक के सिर्फ गियर के साथ समा-बजाऊ लगभग 200 फीट की गहराई तक तैरते हैं। लगभग पांच घंटे पानी में बिताते हैं और हर दिन 15 पाउंड से अधिक मछलियां पकड़ते हैं। बजाऊ लोगों ने अपनी अनूठी जीवनशैली और क्षमताओं के कारण दुनिया भर के विशेषज्ञों को आश्चर्यचकित किया है। आनुवंशिकीविद् मेलिसा इलार्डो ने बजाऊ लोगों के साथ तीन गर्मियां बिताई। उन्होंने कहा “उनका अपनी सांस और शरीर पर पूरा नियंत्रण है। वे पहले ही प्रयास में बिना किसी परेशानी के मछली को भाले की मदद से पकड़ लेते हैं।” जब समा-बजाऊ समुद्र के तल में इतना लंबा समय बिताते हैं, तब अक्सर बदलते दबाव के कारण उनके कान के पर्दे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। कुछ व्यक्ति जानबूझकर अपने कानों को छेदते हैं, ताकि समुद्र तल के दबाव का असर उन पर न हो। बजाऊ एक आम आदमी की तुलना में अधिक समय तक पानी में रह सकते हैं। जब वैज्ञानिकों ने उनकी इस क्षमता के रहस्य को सुलझाने की कोशिश की, तो परिणाम काफी चौंकाने वाले थे। एकेडमिक जॉर्नल सेल में प्रकाशित शोध के मुताबिक एक बजाऊ के प्लीहा का आकार औसत व्यक्ति की तुलना में 50 प्रतिशत बड़ा होता है। जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी के अनुसार, जब पानी के नीचे कोई व्यक्ति होता है, तो उस वक़्त व्यक्ति की प्लीहा लाल रक्त कोशिकाओं को रक्तप्रवाह में छोड़ने के लिए संकुचित होती है। इसका संबंध रक्त में मौजूद ऑक्सीजन से होता है। वहीं, बजाऊ में बड़ी प्लीहा होने का मतलब है कि रक्त में अधिक ऑक्सीजन होना, इसलिए वे लंबे समय तक पानी में रह पाते हैं। समा-बजाऊ लोगों की आनुवंशिक तौर पर तेज नजर होती है, जो उन्हें छुपने वाले समुद्री जीवों और कीमती पत्थरों को देखने में सक्षम बनाती है।

बजाऊ महिला के जीवन का एक सामान्य दिन (Bajao mahilaon ke jivan ka ek samanya din)

बाजाऊ महिलाएं भी अपने परिवारों में केंद्रीय भूमिका निभाती हैं। जब पुरुष और बच्चे मछली पकड़ने, नाव बनाने और व्यापार में व्यस्त होते हैं, तब महिलाएं पुआल की चटाई बुनने, मिट्टी के बर्तन बनाने और बेचने में समय बिताती हैं। समा-बजाऊ जनजाति की महिलाओं की दस्तकारी डिजाइन विभिन्न द्वीपों में प्रसिद्ध हैं। उनकी हस्तकला लंबी, ध्यानपूर्वक की जाने वाली प्रक्रिया है। जो बजाऊ महिलाओं को अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है। घरेलू सामग्री बनाने के अलावा, बजाऊ महिलाएं चावल और पांडन के पत्तों से कूलिंग पाउडर तैयार करती हैं। जिसे पारंपरिक रूप से बेडक सेजुक कहा जाता है। यह पाउडर लंबे समय तक नमक के संपर्क में रहने के कारण त्वचा के निर्जलीकरण को रोकता है। काफी लंबे समय से समा-बजाऊ ने अपने जीवन को अनोखे तरीके से जिया है। लेकिन अब मछली व्यापार और पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण के लिए बढ़ते नियमों ने कई बजाऊ परिवारों को आधारभूत जरूरतों के लिए जमीन पर पलायन करने के लिए मजबूर किया है। जो अभी भी समुद्री जिप्सी के रूप में रह रहे हैं, वे एक सभ्य जीवन जीने के लिए रोजाना अपनी लड़ाई लड़ते हैं। उदाहरण के लिए, मलय सरकार के नियमों के अनुसार, समा-बजाऊ लोगों को अब नाव बनाने के लिए हल्के, सस्ते पारंपरिक लकड़ी की जगह भारी और अधिक महंगे व्यावसायिक लकड़ी का उपयोग करना चाहिए। वजन के कारण उनके लिए समुद्र में नेविगेट करना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा वे किसी भी नागरिकता अधिकार या योजनाओं का लाभ नहीं लेते हैं। भोजन से लेकर स्वास्थ्य देखभाल तक वे अपनी पारंपरिक प्रथाओं और समुद्री संसाधनों पर ही निर्भर हैं। अब उनकी समुद्री खानाबदोश जीवनशैली खतरे में है, तो उन्हें जीवन यापन के वैकल्पिक तरीकों के बारे में सोचना चाहिए।

X

आनंदमय और स्वस्थ जीवन आपसे कुछ ही क्लिक्स दूर है

सकारात्मकता, सुखी जीवन और प्रेरणा के अपने दैनिक फीड के लिए सदस्यता लें।